चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2), चंद्रयान-1 के बाद इसरो (ISRO) द्वारा विकसित दूसरा चंद्र अन्वेषण मिशन है (Second Lunar Exploration Mission). इसमें एक चंद्र परिक्रमा (Lunar Orbiter) के साथ विक्रम लैंडर (Vikram Lander) और प्रज्ञान चंद्र रोवर (Pragyan Lunar Rover) भी शामिल है. इन सभी को भारत में विकसित किया गया था. इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चांद सतह की संरचना (Lunar Surface Composition) और चांद पर पानी (Lunar Water) की प्रचुरता के बारे में अध्ययन करना है.
22 जुलाई 2019 को GSLV मार्क III-M1 द्वारा आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Centre) में दूसरे लॉन्च पैड से चन्द्रयान-2 को लॉन्च किया गया था. यह यान 20 अगस्त 2019 को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा और विक्रम लैंडर की लैंडिंग के लिए ऑर्बिटल पोजीशनिंग शुरू कर दिया. लैंडर और रोवर को 6 सितंबर 2019 को दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र में लगभग 70 ° दक्षिण के अक्षांश पर चंद्रमा के निकट की ओर उतरने और एक चंद्र दिवस के लिए वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए निर्धारित किया गया था, जो लगभग दो पृथ्वी सप्ताह के बराबर है. चांद पर एक सफल सॉफ्ट लैंडिंग करने वाले देशों में सोवियत संघ का लूना 9 (Soviet Unionn Luna 9), संयुक्त राज्य अमेरिका का सर्वेयर 1 (USA, Surveyor 1) और चीन का चांग'ई 3 (China, Chang'e 3) है. अब ऐसा करने वाला भारत चौथा देश बन गया है.
हालांकि, 6 सितंबर 2019 को लैंड करने का प्रयास करते समय लैंडर अपने इच्छित प्रक्षेपवक्र से विचलित होने पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इसरो को प्रस्तुत एक विफलता विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार, दुर्घटना एक सॉफ्टवेयर गड़बड़ के कारण हुई थी. इसरो 2023 में चंद्रयान-3 के साथ फिर से लैंडिंग का प्रयास करेगा (Chandrayaan-3).
भारत के चंद्रयान-2 ने पहली बार सूरज के कोरोनल मास इजेक्शन (CME) का चंद्रमा पर असर देखा. CHACE-2 उपकरण ने 10 मई 2024 को दिन वाले हिस्से में एक्सोस्फियर का दबाव 10 गुना बढ़ने का रिकॉर्ड किया. यह खोज चंद्रमा की पतली हवा, स्पेस वेदर और लूनर बेस निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है.
भारत के चंद्रयान 2 अंतरिक्ष यान ने एक अनोखा काम किया है. इसने सूरज से निकलने वाले बड़े विस्फोट का चंद्रमा पर असर पहली बार देखा है.
इसरो के चंद्रयान-2 मिशन ने पहली बार सूर्य के सौर विस्फोट का चंद्रमा पर प्रभाव दर्ज किया है. CHACE-2 उपकरण ने पाया कि इससे चंद्रमा के वायुमंडलीय दबाव और परमाणुओं की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी हुई. यह खोज भविष्य के चंद्र मिशनों और मानवीय बस्तियों की योजना के लिए एक बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि मानी जा रही है.
राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा को गर्व के साथ प्रदर्शित किया. PSLV की शुरुआत से लेकर गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन तक, इसरो ने दुनिया को दिखाया कि भारत अंतरिक्ष में कितना सक्षम है. चंद्रयान-3 की सफलता ने नई पीढ़ी को प्रेरित किया. BAS जैसे प्रोजेक्ट भारत को अंतरिक्ष महाशक्ति बनाएंगे.
Japan के SLIM मून प्रोब ने वो काम कर दिखाया जो ISRO का Chandrayaan-3 भी नहीं कर पाया था. स्लिम मून प्रोब ने चांद की भयानक सर्दी वाली लंबी रात को सर्वाइव कर लिया है. इसके बाद उसने पृथ्वी से संपर्क भी किया है. जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा ने इस बात की पुष्टि की है.
चंद्रमा के जिस दक्षिणी ध्रुव पर दुनिया की महाशक्तियां नहीं पहुंच सकीं, वहां हिंदुस्तान पहुंचा है. भारत का राष्ट्रीय चिह्न चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर चस्पा हुआ है. भारत का तिरंगा चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लहराया है. आज की तारीख दुनिया में इतिहास बन चुकी है. हिंदुस्तान ने बता दिया है कि अंतरिक्ष का सिकंदर भारत है, अब चांद हमारा है.
तारीख 23 अगस्त 2023... समय शाम के 6 बजकर 4 मिनट...और भारत के चंद्रयान-3 ने चांद पर टचडाउन कर दिया. ये तारीख दुनिया में इतिहास बन गई. भारत के चांद पर पहुंचने के आखिरी 17 मिनट ऐसे थे, जिनको लेकर वैज्ञानिकों की भी सांसें थम गईं. लैंडिंग की प्रक्रिया में इन लम्हों में लैंडर को खुद उतरना होता है. इसरो के पास कोई कमांड नहीं थी. सॉफ्ट लैंडिंग हुई तो पूरा देश जश्न में डूब गया.
यहां फोटो में जो लाल और नीले घेरे दिख रहे हैं, यही वो घेरे हैं जहां पर ISRO ने Chandrayaan-3 और Chandrayaan-2 की टेस्टिंग की थी. इन घेरों में अलग-अलग आकार के गड्ढे यानी आर्टिफिशयल क्रेटर्स हैं. जिनमें रोवर को चलाकर देखा गया था. अब इनकी तस्वीर सामने आई है.
भारत का चंद्रयान-3 मिशन चल रहा है. उधर, Chandrayaan-4 की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है. इस मिशन में भारत के साथ जापानी स्पेस एजेंसी भी काम करेगी. फिलहाल बेहद शुरुआती स्तर पर बातचीत चल रही है. जापानी वैज्ञानिक इस साल इसरो दौरे पर भी आए थे. आइए जानते हैं इस मिशन के बारे में...
Chandrayaan-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल (PM) जो चांद का चक्कर लगा रहा था, उसे ISRO धरती की कक्षा में वापस ले आया है. यानी इसरो अपने यान को वापस बुलाने की क्षमता रखता है. इसके पहले चांद की सतह पर विक्रम लैंडर की छलांग लगवाकर इसरो ने पूरी दुनिया को सरप्राइज किया था.
ISRO ने चांद और धरती की नई तस्वीर जारी की है. ये फोटोग्राफ्स और वीडियो 17 अगस्त की दोपहर तब ली गई थीं, जब विक्रम लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग हो रहे थे. ये ठीक उनके अलग होने के बाद विक्रम में लगे लैंडर इमेजर L1 कैमरा-1 से ली गई थीं. आप भी देखिए ये अद्भुत Photos...
Chandrayaan-3 को धरती से 36 हजार किलोमीटर दूर भेजने वाला हिस्सा अब जाकर वापस लौटा. पिछली रात ढाई बजे के करीब यह हिस्सा अमेरिका के पास उत्तरी प्रशांत महासागर में बेकाबू होकर गिरा. इस पर नियंत्रण नहीं किया जा सकता था. यह LVM-3 M4 रॉकेट का क्रायोजेनिक अपर स्टेज था.
Chandrayaan-3 से फिर खुशखबरी आई है. चांद के चारों तरफ चक्कर लगा रहा चंद्रयान-3 का प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module) परमाणु तकनीक से ऊर्जा हासिल कर रहा है. यानी वह कई सालों तक चांद के चारों तरफ चक्कर लगाता रहेगा. अंतरिक्ष और चंद्रमा के नए रहस्यों को उजागर करता रहेगा.
चंद्रयान 3 की सफलता का जश्न इस बार रामलीला समितियां भी मना रही हैं. दिल्ली में इस बार रावण चंद्रयान 3 पर सवार होकर सीता हरण करेगा. इस तरह के मंचन की तैयारी कर ली गई है.
Chandrayaan-3 मिशन अब खत्म होने वाला है. तीन-चार दिन में चांद के दक्षिणी ध्रुव पर फिर रात हो जाएगी. शिव शक्ति प्वाइंट पर विक्रम-प्रज्ञान भयानक सर्दी वाली 14-15 दिन के अंधेरे में चले जाएंगे. ऐसे में उम्मीद तो सिर्फ चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल (Propulsion Module - PM) से है. जो एक्टिव है, अब भी डेटा भेज रहा है.
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा है कि चंद्रयान-3 मिशन पूरा हो चुका है. विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को जो काम दिया गया था, उन दोनों ने अपना काम सफलतापूर्वक पूरा कर दिया है. अब वो चैन की नींद सो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब तक सूरज-चांद रहेंगे तब तक चंद्रयान-3 रहेगा. देखें ये वीडियो.
ISRO चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा है कि Chandrayaan-3 मिशन पूरा हो चुका है. लैंडर और रोवर को जो काम दिया गया था. उन दोनों ने पूरा कर दिया है. यह एक शानदार और सफल मिशन था. अगर लैंडर-रोवर अब नींद से नहीं जगते, तो हमें उसका दुख नहीं है. क्योंकि वो अपना काम पूरा करके सोए हैं.
20 सितंबर 2023 को शिव शक्ति प्वाइंट पर सूरज आ गया. 22 को इसरो ने संदेश भेजा. लेकिन आज 25 हो चुकी है, विक्रम और प्रज्ञान ने सांस तक नहीं ली. सो ही रहे हैं. इसरो के सारे प्रयास अभी तक विफल रहे हैं. इनका नींद से जगना बोनस है, क्योंकि मिशन तो पूरा हो चुका है.
Chandrayaan-3 का रोवर Pragyan चांद की सतह पर राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह और ISRO के लोगो की छाप चांद की सतह पर स्पष्ट तौर पर नहीं छोड़ पाया. यानी शिव शक्ति प्वाइंट के आसपास की जमीन पर मिट्टी कम पत्थर ज्यादा है. यह एक अच्छी खबर इसलिए हैं क्योंकि इससे वैज्ञानिकों को उस सतह की असलियत पता चलेगी.
Chandrayaan-3 के लैंडर Vikram और रोवर प्रज्ञान के नींद से जगने को लेकर नई जानकारी सामने आई है. इसरो ने विक्रम लैंडर के कुछ सर्किट्स को सोने नहीं दिया था. वो जग रहे थे. लगातार संपर्क किया जा रहा है. लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही है. इसरो ने कहा है कि विक्रम और प्रज्ञान ऑटोमैटिकली जग जाएंगे.
आज Chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की नींद नहीं खुलेगी. ये खुलासा किया है ISRO के अहमदाबाद में मौजूद Space Application Center के डायरेक्टर नीलेश देसाई ने. उन्होंने कहा कि पहले इन्हें 22 सितंबर 2023 को जगाने की तैयारी थी. लेकिन अब यह इसे 23 सितंबर को जगाया जाएगा.