श्रीहरिकोटा
श्रीहरिकोटा (Sriharikota) बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) पर स्थित एक बाधा द्वीप है. यह भारत के आंध्र प्रदेश में तिरुपति जिले की शार परियोजना बस्ती में स्थित है. इसमें सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (Satish Dhawan Space Centre) है, जो भारत के दो उपग्रह प्रक्षेपण केंद्रों में से एक है. दूसरा थुम्बा भूमध्यरेखीय रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन, तिरुवनंतपुरम में है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा से पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल और जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल जैसे मल्टीस्टेज रॉकेट का उपयोग करके उपग्रहों को लॉन्च किया.
श्रीहरिकोटा आंशिक रूप से सुल्लुरपेटा मंडल में स्थित है और आंशिक रूप से आंध्र प्रदेश में तिरुपति जिले के टाडा मंडल में स्थित है. पुलिकट झील को बंगाल की खाड़ी से अलग करता है. निकटतम शहर और रेलवे स्टेशन सुल्लुरपेटा है जो श्रीहरिकोटा से 16 किमी पश्चिम में है और तिरुपति सबसे नजदीक शहर है जो 16 किमी की एलिवेटेड रोड श्रीहरिकोटा को मुख्य भूमि से जोड़ती है. यह चेन्नई शहर से लगभग 70 किमी उत्तर में है. इसकी ऊंचाई 1 मीटर है (Location of Sriharikota).
मौसम ने साथ नहीं दिया, लेकिन LVM3 ने फिर चमत्कार कर दिखाया. 2 नवंबर 2025 को ISRO ने श्रीहरिकोटा से CMS-03 सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च किया. 4410 किग्रा वजनी भारत का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट नौसेना के लिए हिंद महासागर में सुरक्षित संचार व निगरानी मजबूत करेगा. ISRO चीफ वी. नारायणन बोले कि हमारा स्पेस सेक्टर ऊंचाइयों को छू रहा है, नौसेना को नई ताकत मिलेगी.
ISRO ने भारतीय नौसेना के लिए CMS-03 सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है. अब नौसेना बेहतर संचार कर सकेगी. दुश्मन के इलाकों पर नजर रख सकेगी. यह भारत का अब तक सबसे भारी सैटेलाइट है. इसे इसरो ने अपने बाहुबली रॉकेट LVM3-M5 से लॉन्च किया है. देसी तकनीक से बना यह नौसेना के जहाजों, विमानों व पनडुब्बियों को जोड़ेगा.
2 नवंबर 2025 को ISRO का LVM3 रॉकेट 4400 किलो का CMS-03 संचार उपग्रह लॉन्च करेगा. यह भारत का सबसे भारी संचार सैटेलाइट है, जो नौसेना को समुद्री इलाकों में सुरक्षित संचार देगा. ऑपरेशन सिंदूर के सबक से सीख कर यह वायुसेना-नौसेना समन्वय मजबूत करेगा, हिंद महासागर की निगरानी बढ़ाएगा. सफलता से भारत की सैन्य क्षमता नई ऊंचाई छुएगी.
Chandrayaan-3 का चांद पर सफलतापूर्वक पहुंचाने वाले रॉकेट LVM3 से इसरो फिर एक लॉन्च की तैयारी कर रहा है. 2 नवंबर 2025 को देश का सबसे भारी सैटेलाइट CMS-03 लॉन्च किया जाएगा. इसका वजन 4400 किलोग्राम है. यह भारतीय नौसेना के लिए बनाया गया सैटेलाइट है. भारत के समुद्री इलाकों पर नजर रखेगा.
इसरो एक 40 मंजिला रॉकेट बना रहा है, जो 75 टन वजन को अंतरिक्ष में ले जाएगा. इसरो अध्यक्ष वी. नारायणन ने बताया कि 2025 में नाविक उपग्रह, N1 रॉकेट और अमेरिका का 6500 किलो का उपग्रह लॉन्च होगा. GSAT-7R नौसेना के लिए बनेगा. भारत के 55 उपग्रहों की संख्या 3-4 साल में तिगुनी होगी. नारायणन को तेलंगाना में डॉक्टरेट सम्मान मिला.
पाकिस्तान 2026 में पहला एस्ट्रोनॉट भेजने की तैयारी कर रहा है, जो चीन की मदद से हो रहा है. लेकिन पाक स्पेस एजेंसी SUPARCO की शुरुआत से अब तक प्रगति धीमी रही, क्योंकि फंड और स्वतंत्रता की कमी है. ISRO ने चंद्रयान, मंगलयान और गगनयान जैसे कदमों से दुनिया में नाम कमाया है.
भारत ने अंतरिक्ष में एक बार फिर इतिहास रचा है. नासा और इसरो का साझा सैटेलाइट निसार श्रीहरिकोटा से लॉन्च हो चुका है. यह उपग्रह अंतरिक्ष से पृथ्वी की निगरानी करेगा. निसार को नासा और इसरो ने मिलकर तैयार किया है. यह भारत और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण सहयोग है. यह सैटेलाइट हर 12 दिन पर पूरी पृथ्वी की भूमि और बर्फीली सतहों को स्कैन करेगा. इसका उद्देश्य धरती की बेहतर निगरानी करना है.
NISAR की सफल लॉन्चिंग भारत और दुनिया के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. यह सैटेलाइट कामचटका जैसे भूकंप और सुनामी की पहले से खबर देकर लाखों जिंदगियां बचा सकता है. इसके दोहरे रडार, हर मौसम में काम करने की क्षमता और मुफ्त डेटा नीति इसे अनोखा बनाती है. भारत के लिए यह आपदा प्रबंधन, कृषि और जल प्रबंधन में गेम-चेंजर होगा.
NISAR धरती की निगरानी का सुपरहीरो है. ये भूकंप, बाढ़, हिमनद पिघलने और फसलों पर नजर रखेगा. किसानों को फसल की जानकारी, वैज्ञानिकों को डेटा और आपदा राहतकों को अलर्ट देगा. ISRO और NASA की साझेदारी भारत की अंतरिक्ष ताकत और वैश्विक सहयोग का प्रतीक है. 30 जुलाई 2025 को GSLV-F16 के साथ लॉन्च होने वाला ये सैटेलाइट भारत को आपदा प्रबंधन, कृषि और जलवायु परिवर्तन में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा.
NASA-ISRO का निसार मिशन 30 जुलाई को लॉन्च होने को तैयार है. यह सैटेलाइट नहीं बल्कि प्राकृतिक आपदाओं की सबसे पहले जानकारी देने वाला जासूस होगा. ये अंतरिक्ष से ही भूकंपों, ज्वालामुखी विस्फोट और भूस्खलन जैसी आपदाओं का अलर्ट पहले ही दे देगा. ताकि हजारों-लाखों लोगों की जान बचाई जा सके.
NASA और ISRO मिलकर 30 जुलाई 2025 को लॉन्च करेंगे NISAR सैटेलाइट, जो भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन जैसी आपदाओं की पहले से चेतावनी देगा. जानिए इस मिशन की खास बातें.
ISRO के पीएसएलवी रॉकेट का तीसरा लॉन्च 18 मई 2025 को असफल रहा. तीसरे चरण में केव्लार कवर के फटने और फ्लेक्स नोजल की खराबी की जांच चल रही है. यह पीएसएलवी की तीसरी असफलता है, जिसकी सफलता दर 94.44% है. इसरो के कुल 97 लॉन्च में 86.08% सफल रहे.
ISRO 18 मई 2025 को PSLV-C61/EOS-09 मिशन लॉन्च करने जा रहा है. ये इसरो की 101वां लॉन्च होगा. EOS-09 की लॉन्चिंग भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगा. इसका एक टाइमलैप्स वीडियो आया है जो इस मिशन की तैयारियों को दिखाता है.
ISRO 18 जून को EOS-09 उपग्रह का प्रक्षेपण करेदा. यह उपग्रह न केवल रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में देश की क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि आपदा प्रबंधन और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा.
ISRO ने 16 अगस्त 2024 को अपने SSLV-D3 रॉकेट की सफल लॉन्चिंग कर देश को एक नया ऑपरेशनल रॉकेट दिया। इस लॉन्च के साथ EOS-8 सैटेलाइट को 475 किलोमीटर की ऊंचाई पर भेजा गया, जो आपदाओं का अलर्ट देने, पर्यावरण की मॉनिटरिंग और बाढ़ जैसी आपदाओं की जानकारी प्रदान करेगा। SSLV रॉकेट की सफलता से छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग में नई संभावनाएं खुली हैं और इससे भविष्य में तेजी से सैटेलाइट्स भेजने का रास्ता साफ होगा।
ISRO श्रीहरिकोटा से 100वें लॉन्च का 27 घंटे का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. 29 जनवरी 2025 सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से NVS-02 मिशन की लॉन्चिंग होगी. नाविक सैटेलाइट सीरीज का दूसरा उपग्रह है. इसे GSLV-F15 रॉकेट से छोड़ा जाएगा.
ISRO श्रीहरिकोटा से 100वां लॉन्च करने जा रहा है. यह लॉन्च 29 जनवरी 2025 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से होगा. यह नाविक सैटेलाइट सीरीज का दूसरा उपग्रह है. इसे GSLV-F15 रॉकेट से छोड़ा जाएगा.
केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को बजट 2025 से पहले ही बड़ी खुशखबरी दी है. दरअसल, मोदी सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन (8th pay Commission) के लिए मंज़ूरी दी. इसके साथ ही एक और बड़ा फैसला भी लिया गया. श्रीहरिकोटा में तीसरे लॉन्च पैड के निर्माण को स्वीकृति दी गई है. वर्तमान में वहां दो लॉन्च पैड हैं.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने हाल ही में अपने स्पैडेक्स मिशन की सफल लॉन्चिंग की है, जो भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है। यह लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी रॉकेट के माध्यम से की गई है। इसरो के अनुसार, स्पैडेक्स मिशन स्पेस डॉकिंग में सफलता की ओर बढ़ने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। सेटेलाइट प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुरेंद्रन ने इस महत्वपूर्ण लॉन्चिंग पर अपने विचार साझा किए हैं। इसरो की यह पहल भारत के विज्ञान और तकनीकी क्षमता को और ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
माना जा रहा है कि इसरो के Spadex मिशन की सफलता ही भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) के बनने और चंद्रयान-4 मिशन की सफलता को तय करेगा. यही वजह है कि इस लॉन्चिंग को बेहद अहम माना जा रहा है.
ISRO ने बताया कि यह तकनीक तब जरूरी होती है जब एक ही मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च की जरूरत पड़ती है. अगर यह मिशन सफल होता है, तो भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा, जो इस तकनीक को हासिल कर चुका है. अबतक अमेरिका, चीन और रूस के पास ही ये तकनीक है.