छगन भुजबल ने कैबिनेट मीटिंग से बनाई दूरी, मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार के फैसले से नाराज!

महाराष्ट्र सरकार ने मनोज जरांगे का अनशन खत्म करने के लिए मराठा समाज को ओबीसी वर्ग में शामिल कर लिया है. लेकिन अब सरकार के मंत्री छगन भुजबल इस फैसले से नाराज बताए जा रहे हैं. उनका कहना है कि मुख्यमंत्री के पास किसी जाति को आरक्षण की श्रेणी में जोड़ने का अधिकार नहीं है, वह सिर्फ कमीशन की सिफारिशें लागू कर सकता है.

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मराठा आरक्षण के फैसले से नाराज हैं छगन भुजबल (File Photo: PTI) मराठा आरक्षण के फैसले से नाराज हैं छगन भुजबल (File Photo: PTI)

ऋत्विक भालेकर

  • मुंबई,
  • 03 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:48 PM IST

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग पर अड़े मनोज जरांगे को आखिरकार सफलता मिल गई, क्योंकि फडणवीस सरकार ने 'हैदराबाद गजट' जारी करते हुए मराठा समाज के लोगों को 'कुनबी' जाति का दर्जा देने का ऐलान किया है. कुनबी जाति पहले से ही महाराष्ट्र में ओबीसी के दायरे में आती है. सरकार के इस फैसले एक तरफ मराठा समाज के लोगों में खुशी का माहौल है, वहीं दूसरी ओर सरकार के कुछ नेता इससे नाराज बताए जा रहे हैं.

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भुजबल ने मीटिंग ने बनाई दूरी

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने बुधवार को कैबिनेट बैठक में हिस्सा नहीं लिया, जिससे राज्य सरकार के मराठा आरक्षण के फैसले पर उनकी नाराजगी के साफ संकेत मिलते हैं. हालांकि, बैठक शुरू होने से पहले उन्होंने उप-मुख्यमंत्री अजित पवार से मुलाकात की और सरकार के फैसले से ओबीसी आरक्षण प्रभावित होने के बारे में अपना रुख साफ किया. 

 ये भी पढ़ें: मराठा आरक्षण देने पर राजी हुई महाराष्ट्र सरकार, कुनबी प्रमाण पत्र के लिए बनेगी कमेटी

उधर, महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने ओबीसी समुदाय के मुद्दों के लिए छह सदस्यीय कैबिनेट उपसमिति बनाने का फैसला किया है, जिसमें हर दल से दो-दो मंत्री होंगे. इस कदम का मकसद मराठा आरक्षण के फैसले के बाद ओबीसी समुदाय की चिंताओं का हल निकालना है. सरकार मराठों को ओबीसी का दर्जा देकर पहले से पिछड़े वर्ग में आने वाले लोगों का नाराजगी नहीं झेलना चाहती और इसी वजह से ओबीसी समाज की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की जा रही है.

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सरकार के फैसले पर उठाए सवाल

छगन भुजबल ने सोमवार को मुंबई में ओबीसी नेताओं की बैठक भी बुलाई थी. महाराष्ट्र की राजनीति में भुजबल एक बड़ा ओबीसी चेहरा हैं और मराठा आरक्षण के सवाल पर उनका कहना है कि कालेकर कमीशन और बाद में मंडल कमीशन ने मराठों को पिछड़े समुदाय के रूप में शामिल नहीं किया है. एक मुख्यमंत्री आयोग की सिफारिशों को लागू कर सकता है लेकिन अपनी मर्जी से जातियों को शामिल नहीं कर सकता. छगन भुजबल ने कहा कि यहां तक कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि कुनबी और मराठा एक समान नहीं हैं.

ये भी पढ़ें: महाराष्ट्र में 'हैदराबाद गजट' क्या है जिसके जरिए जरांगे ने मराठा आरक्षण की मांग करा ली पूरी?

अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत मराठों के लिए 10 प्रतिशत कोटा की मांग को लेकर मनोज जारंगे शुक्रवार से दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे थे. उनकी मांग थी कि मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए. इसके जरिए मराठा समाज के लोग सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के हकदार बन जाएंगे. अब सरकार ने जरांगे की मांगों को मान लिया है और उन्होंने अपना अनशन खत्म कर दिया है. 

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