महाराष्ट्र के जालना में मराठा आरक्षण को लेकर तनाव है. यहां मराठा आरक्षण की (Maratha Reservation) मांग कर रहे आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच में भीषण झड़प हो गई. मराठा आरक्षण के मुद्दे पर बातचीत के लिए महाराष्ट्र सरकार ने मनोज जरांगे को बुलाया है.
मनोज जारांगे के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी 5 सितंबर 2023 से मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर भूख हड़ताल कर रहे थे. डॉक्टरों की सलाह पर पुलिस मनोज जारांगे को अस्पताल में भर्ती कराने के लिए ले जा रही थे कि तभी प्रदर्शनकारी पुलिस भिड़ गई. जिसके बाद हिंसा फैल गई.
दरअसल मराठा आरक्षण का यह मुद्दा साल 2019 से चलता आ रहा है. महाराष्ट्र की राजनीति में हमेशा से मराठाओं का प्रभाव रहा है. राज्य में मराठा समुदाय की आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है. 2018 में महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण के लिए बड़ा आंदोलन हुआ था. इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा में बिल पास किया. इसके तहत राज्य की सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थाओं में मराठाओं को 16 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था.
लेकिन इस बिल के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरक्षण को रद्द न करते हुए इसे घटाकर शिक्षण संस्थानों में 12 फीसदी और सरकारी नौकरियों में 13 फीसदी कर दिया. हाईकोर्ट ने कहा था कि अपवाद के तौर पर 50 फीसदी आरक्षण की सीमा पार की जा सकती है. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण के फैसले को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था (Bombay High Court on Maratha Reservation).
मुंबई पुलिस ने मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल को 10 नवंबर को आजाद मैदान थाने में पूछताछ के लिए बुलाया है. यह समन आंदोलन के दौरान नियमों के उल्लंघन और बॉम्बे हाई कोर्ट की गाइडलाइंस का पालन न करने के आरोप में भेजा गया है.
बीड में दशहरा रैली को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र की मंत्री पंकजा मुंडे ने कहा कि वह मराठा आरक्षण के पक्ष में हैं, लेकिन यह ओबीसी के हिस्से से नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि यह समुदाय खुद वंचित है.
सुप्रिया सुले ने एक मीडिया हाउस में कुछ छात्रों से बात करते हुए आरक्षण के प्रति अपने दिल के उदगार को व्यक्त कर दिया. जाहिर है कि उन्हें नई पीढ़ी का सपोर्ट तो मिल रहा है पर उनकी बात पर उन्हें न परिवार में सपोर्ट मिलने वाला है न ही पार्टी का.
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि उनकी लड़ाई जाति से संबंधित नहीं है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर जीआर जारी किया गया है. हालांकि पीठ ने यह तर्क स्वीकार नहीं किया और कहा कि जब पहले से ही कई प्रभावित व्यक्ति इस विषय पर उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल कर चुके हैं, तो जनहित याचिका के नाम पर और मामले दाखिल करना अदालतों का बोझ बढ़ाना है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठा आरक्षण से जुड़ी जनहित याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि जहां सीधे प्रभावित लोग खुद अदालत आ सकते हैं, वहां जनहित याचिकाएं स्वीकार नहीं होंगी. कोर्ट ने माना कि जनहित के नाम पर कई लोगों द्वारा याचिकाएं दायर करना असली जनहित नहीं है. अदालत ने स्पष्ट किया कि हस्तक्षेप केवल गुण-दोष और आपत्तियों के आधार पर ही किया जाएगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात से दिल्ली तक का सियासी सफर तय करके भारत की राजनीति के तौर-तरीके को पूरी तरह से बदल दिया है. मोदी ने बीजेपी को सियासी बुलंदी दी तो जाति की पिच पर सियासत करने वाले दलों और समाज को राजनीतिक हाशिए पर पहुंच दिया.
महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने मराठा आरक्षण और ओबीसी कोटे पर अपनी राय रखी है. उन्होंने कहा कि वह मराठा समाज को आरक्षण देने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उन्हें ओबीसी आरक्षण में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, जिसमें पहले से ही 374 जातियां शामिल हैं. भुजबल ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जरांगे के दबाव में काम कर रही है.
सरकार ने मराठा आरक्षण के संदर्भ में एक निर्णय लेकर शासनादेश (जीआर) जारी किया है. इस जीआर के खिलाफ ओबीसी समाज के सभी नेता और संगठनों ने बैठक की. ओबीसी समाज का कहना है कि मराठा समाज को ओबीसी में लाने के लिए पूरी शर्तें कमजोर की गई हैं. इससे पूरे महाराष्ट्र के मराठा समाज को ओबीसी के तहत लाने का रास्ता साफ हो गया है.
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर राजनीतिक घमासान तेज है. फडणवीस सरकार द्वारा मनोज जरांगे पाटिल की मांगों को स्वीकारने के बाद ओबीसी समाज में भारी नाराजगी है. वरिष्ठ मंत्री छगन भुजबल ने मराठा आरक्षण के खिलाफ कोर्ट जाने का ऐलान किया है. कांग्रेस भी ओबीसी संगठनों के साथ सरकार को घेरने की रणनीति बना रही है.
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर भी सियासी घमासान जारी है. मनोज जरांगे पाटिल की मांगों को फडणवीस सरकार ने माना, जिससे ओबीसी समाज नाराज है. महायुति सरकार के वरिष्ठ मंत्री छगन भुजबल ने मराठा आरक्षण के खिलाफ कोर्ट जाने का ऐलान किया है. देखें मुंबई मेट्रो.
डिप्टी CM एकनाथ शिंदे ने कहा कि वे और CM देवेंद्र फडणवीस एक टीम की तरह काम कर रहे हैं और महायुति सरकार में क्रेडिट लेने की कोई होड़ नहीं है.
महाराष्ट्र में मराठा समाज को आरक्षण देने के फैसले पर आखिरकार रार छिड़ ही गया है. ओबीसी समुदाय के दिग्गज नेता छगन भुजबल ने फडणवीस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. मराठा समाज को आरक्षण देने के फैसले को सड़क से लेकर कानूनी लड़ाई लड़ने तक का ऐलान कर दिया है, जिसे लेकर सीएम फडणवीस डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं.
मराठा आरक्षण आंदोलन के अगुवा मनोज जरंगे पाटिल ने पांच दिन की भूख हड़ताल खत्म कर दी है. सरकार ने उनकी सभी मांगों को मान लिया है. मराठा समाज में जहां इस फैसले को लेकर खुशी है तो वहीं कुछ ओबीसी नेता इस फैसले से नाराज है. देखिए मुंबई मेट्रो.
गंभीर राजनीति और परिवार के बीच अक्सर दीवार खड़ी रहती है. लेकिन महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे का हालिया लाइव इंटरव्यू इस दीवार को पल भर में गिरा गया. मराठा आरक्षण पर गहन चर्चा के बीच उनका पोता मासूमियत से 'बाबा-बाबा' पुकारते हुए फ्रेम में आ गया और माहौल में हल्की मुस्कान घोल दी.
महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण की मांग पर 2024 अधिसूचना और 2025 जीआर जारी किए. इनसे मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र मिल सकेगा, जिससे ओबीसी लाभ प्राप्त होंगे. 2024 में पारिवारिक संबंधों पर ज़ोर था, जबकि 2025 में ऐतिहासिक दस्तावेजों पर. लेकिन ओबीसी कोटे की स्थिरता पर विवाद बढ़ा.
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर सियासी घमासान तेज है. इस बीच महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने आजतक से खास बातचीत में दावा किया कि इससे ओबीसी आरक्षण पर कोई आंच नहीं आएगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने मराठा और ओबीसी, दोनों समाजों के हितों का ध्यान रखा है. शिंदे ने भरोसा दिलाया कि किसी एक समाज को न्याय देते समय दूसरे के साथ अन्याय नहीं होगा.
मराठा आरक्षण को लेकर एक महत्वपूर्ण चर्चा हुई, जिसमें मराठा समाज को ओबीसी वर्ग के भीतर आरक्षण देने की मांग पर जोर दिया गया. विपक्ष ने भारतीय जनता पार्टी की राजनीति पर सवाल उठाए, जबकि यह भी सुझाव दिया गया कि 50% आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए केंद्र में संवैधानिक संशोधन ही एकमात्र समाधान हो सकता है.
मराठा प्रोटेस्ट के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में दर्ज याचिकाओं पर सुनवाई हुई. अदालत ने पूछा कि प्रोटेस्टर्स ने जवाब क्यों दाखिल नहीं किया. अदालत ने मामले में कई नुकसान होने की बात कही. मनोज जरंगे का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील आशीष राजी गायकवाड ने बताया कि पुराने आंदोलन से संबंधित एफआईआर और मुद्दे अभी भी अदालत में लंबित हैं, जिनका इस मामले से कोई संबंध नहीं है.
नरेंद्र फडणवीस सरकार के मराठा आरक्षण के फैसले को अदालत में चुनौती देने की तैयारी हो चुकी है. महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल इस चुनौती की तैयारी में हैं. वे सोमवार को अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं. छगन भुजबल का कहना है कि मराठा समाज को ओबीसी आरक्षण देने का सरकारी आदेश कैबिनेट और ओबीसी समुदाय को भरोसे में लिए बिना ही निकाला गया है.
महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने 'हैदराबाद गजट' जारी करते हुए मराठा समाज के लोगों को 'कुनबी' जाति का दर्जा देने का ऐलान कर दिया. इसके तहत लंबे समय से चली आ रही मराठा आरक्षण की मांग पूरी हो गई है. लेकिन इस फैसले से महाराष्ट्र सरकार के भीतर ही मतभेद उभरने लगे हैं. ओबीसी समुदाय के बड़े नेता और राज्य के मंत्री छगन भुजबल ने मराठा आरक्षण पर सरकार के फैसले का खुलकर विरोध किया है.
महाराष्ट्र सरकार ने मनोज जरांगे का अनशन खत्म करने के लिए मराठा समाज को ओबीसी वर्ग में शामिल कर लिया है. लेकिन अब सरकार के मंत्री छगन भुजबल इस फैसले से नाराज बताए जा रहे हैं. उनका कहना है कि मुख्यमंत्री के पास किसी जाति को आरक्षण की श्रेणी में जोड़ने का अधिकार नहीं है, वह सिर्फ कमीशन की सिफारिशें लागू कर सकता है.