छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) महाराष्ट्र के एक राजनीतिज्ञ हैं. उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में येओला सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की सरकार में खाद्य और नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता मामलों के कैबिनेट मंत्री थे. (Chhagan Bhujbal Ministry).
छगन भुजबल येओला निर्वाचन क्षेत्र से महाराष्ट्र की 14वीं विधान सभा के सदस्य हैं (MLA from Yeola constituency). भुजबल 18 अक्टूबर 1999 से 23 दिसंबर 2003 तक महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैं (Former Deputy CM of Maharashtra). उन्होंने इससे पहले महाराष्ट्र सरकार में लोक निर्माण विभाग और गृह मामलों के मंत्री के रूप में भी कार्य किया था.
भुजबल का जन्म 15 अक्टूबर 1947 को नासिक में हुआ था (Chhagan Bhujbal age). राजनीति में आने से पहले भुजबल भायखला मार्केट में सब्जी विक्रेता थे, जहां उनकी मां की एक छोटी सी फलों की दुकान चलाती थीं.
वह महाराष्ट्र के एक बड़े ओबीसी नेता हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1960 के दशक में शिवसेना से की थी. उन्होंने वीजेटीआई, मुंबई से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल की (Chhagan Bhujbal education. उसके बाद, बालासाहेब ठाकरे से प्रभावित होने के कारण वह शिवसेना में शामिल हुए. वह शिवसेना के शुरुआती सदस्यों में से थे. भुजबल ने 1991 में शिवसेना छोड़ दी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए. बाद में, शरद पवार के कांग्रेस से अलग होने के बाद, वह उनके साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में चले गए (Chhagan Bhujbal political career).
छगन भुजबल पर भ्रष्टाचार के भी आरोप लगते रहे हैं. दिसंबर 2017 में, प्रवर्तन निदेशालय ने मन लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत भुजबल परिवार के 20.41 करोड़ रुपये की संपत्ति की कुर्की की थी (Enforcement Directorate proceedings).
अदालत ने कहा कि 2021 में उन्हें एसीबी के केस से बरी किया जा चुका है और यह आदेश अब अंतिम है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए अदालत ने माना कि मूल अपराध खत्म होने पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस नहीं चल सकता.
महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने मराठा आरक्षण और ओबीसी कोटे पर अपनी राय रखी है. उन्होंने कहा कि वह मराठा समाज को आरक्षण देने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उन्हें ओबीसी आरक्षण में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, जिसमें पहले से ही 374 जातियां शामिल हैं. भुजबल ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जरांगे के दबाव में काम कर रही है.
महाराष्ट्र में मराठा समाज को आरक्षण देने के फैसले पर आखिरकार रार छिड़ ही गया है. ओबीसी समुदाय के दिग्गज नेता छगन भुजबल ने फडणवीस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. मराठा समाज को आरक्षण देने के फैसले को सड़क से लेकर कानूनी लड़ाई लड़ने तक का ऐलान कर दिया है, जिसे लेकर सीएम फडणवीस डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं.
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर सियासी घमासान तेज है. इस बीच महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने आजतक से खास बातचीत में दावा किया कि इससे ओबीसी आरक्षण पर कोई आंच नहीं आएगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने मराठा और ओबीसी, दोनों समाजों के हितों का ध्यान रखा है. शिंदे ने भरोसा दिलाया कि किसी एक समाज को न्याय देते समय दूसरे के साथ अन्याय नहीं होगा.
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण पर विवाद गहरा गया है, जब मनोज जरंगे पाटिल के आमरण अनशन के बाद सरकार ने एक सरकारी आदेश (जीआर) जारी किया. इस जीआर के तहत, हैदराबाद गैजेटियर के आधार पर मराठा समुदाय को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे, जिससे उन्हें ओबीसी कोटे में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा. इस फैसले ने मराठा बनाम ओबीसी का मुद्दा खड़ा कर दिया है. कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल के नेतृत्व में ओबीसी समाज ने इसका कड़ा विरोध किया है.
नरेंद्र फडणवीस सरकार के मराठा आरक्षण के फैसले को अदालत में चुनौती देने की तैयारी हो चुकी है. महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल इस चुनौती की तैयारी में हैं. वे सोमवार को अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं. छगन भुजबल का कहना है कि मराठा समाज को ओबीसी आरक्षण देने का सरकारी आदेश कैबिनेट और ओबीसी समुदाय को भरोसे में लिए बिना ही निकाला गया है.
महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने 'हैदराबाद गजट' जारी करते हुए मराठा समाज के लोगों को 'कुनबी' जाति का दर्जा देने का ऐलान कर दिया. इसके तहत लंबे समय से चली आ रही मराठा आरक्षण की मांग पूरी हो गई है. लेकिन इस फैसले से महाराष्ट्र सरकार के भीतर ही मतभेद उभरने लगे हैं. ओबीसी समुदाय के बड़े नेता और राज्य के मंत्री छगन भुजबल ने मराठा आरक्षण पर सरकार के फैसले का खुलकर विरोध किया है.
महाराष्ट्र सरकार ने मनोज जरांगे का अनशन खत्म करने के लिए मराठा समाज को ओबीसी वर्ग में शामिल कर लिया है. लेकिन अब सरकार के मंत्री छगन भुजबल इस फैसले से नाराज बताए जा रहे हैं. उनका कहना है कि मुख्यमंत्री के पास किसी जाति को आरक्षण की श्रेणी में जोड़ने का अधिकार नहीं है, वह सिर्फ कमीशन की सिफारिशें लागू कर सकता है.
मराठा आरक्षण आंदोलन के मुखिया मनोज जरांगे अपने हजारों समर्थकों के साथ मुंबई के आजाद मैदान में अनशन कर रहे हैं. जरांगे मराठा समुदाय को ओबीसी के तहत आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं, जिसे लेकर ओबीसी समुदाय सख्त तेवर अपना लिया है. इस तरह मराठा बनाम ओबीसी की लड़ाई में तब्दील हो गया है.
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे पाटिल के आंदोलन के बीच महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और वरिष्ठ एनसीपी नेता छगन भुजबल ने सोमवार को मुंबई में ओबीसी नेताओं की बैठक बुलाई है. भुजबल महाराष्ट्र की राजनीति में ओबीसी समुदाय के एक प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं.
महाराष्ट्र की सरकार में अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी कोटे के मंत्री दत्तात्रेय भरणे के बाद अब छगन भुजबल ने भी लड़की बहिन योजना के कारण बजट पर दबाव बढ़ने की बात कही है.
छगन भुजबल की वापसी बीजेपी की इच्छा से हुई है. यह चर्चा महाराष्ट्र की राजनीति में जोरों पर है. लेकिन आने वाले स्थानिक स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव में भुजबल की एंट्री का फायदा हो सकता है. धनंजय मुंडे को मंत्रिमंडल से दूर करने से ओबीसी समुदाय नाराज था. अब उसी जगह भुजबल जैसे सीनियर नेता को जगह मिलने से वह नाराजगी कुछ हद तक कम हो जाएगी. अगस्त के महीने में जब मनोज जरांगे फिर से अपना आंदोलन तेज करेंगे तो भुजबल उनका सामना करने के लिए तैयार रहेंगे.
महाराष्ट्र में कल मंत्रिमंडल विस्तार होगा। इस विस्तार में एन सीपी के छगन भुजबल को मंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी. यह खबर काफी दिनों से चर्चा में थी.
छगन भुजबल को धनंजय मुंडे की जगह देवेंद्र फडणवीस मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. गौर करने वाली बात है कि धनंजय मुंडे ने मार्च महीने में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके पास खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की जिम्मेदारी थी.
महाराष्ट्र में आज देवेंद्र फडणवीस मंत्रिमंडल का विस्तार होना है. फडणवीस मंत्रिमंडल के इस विस्तार में एनसीपी के कद्दावर नेता छगन भुजबल मंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं.
धनंजय मुंडे के इस्तीफे के बाद पंकजा मुंडे के निशाने पर सीधे सीधे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आ गये हैं - पंकजा मुंडे को तो अरसा बाद मौका मिला है, और वो टूट पड़ी हैं.
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पद पाने से वंचित रह गए छगन भुजबल अपनी पार्टी से नाराज चल रहे हैं. भुजबल को अपनी पार्टी के प्रमुख अजित पवार से अधिक देवेंद्र फडणवीस से उम्मीद क्यों है?
महाराष्ट्र की नई सरकार में जगह ना मिलने से नाराज बताए जा रहे एनसीपी नेता छगन भुजबल मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिले हैं. फडणवीस से अपनी मुलाकात के बारे में भुजबल ने बताया कि वो और उनके चचेरे भाई समीर भुजबल देवेंद्र फडणवीस से मिले और उनके बीच राजनीतिक और सामाजिक कई मुद्दों पर बात हुई.
महाराष्ट्र की नई सरकार में जगह ना मिलने से नाराज चल रहे एनसीपी नेता छगन भुजबल सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की. भुजबल ने बताया कि वो और उनके चचेरे भाई समीर भुजबल फडणवीस से मिले और उनके बीच राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर बात हुई. देखें ये वीडियो.
महाराष्ट्र सरकार में पूर्व मंत्री छगन भुजबल ने बताया, "CM ने मुलाकात के वक्त कहा कि मुझे 8-10 दिन का वक्त दीजिए, हम फिर मिलेंगे और तय करेंगे कि ओबीसी और उनके नेताओं के कल्याण के लिए हम क्या कर सकते हैं."
महाराष्ट्र में महायुति सरकार के गठन के बाद अब नाराजगियों का दौर जारी है. कई नेताओं का दर्द छलक रहा है. लेकिन एनसीपी (अजित गुट) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने अब अपनी नाराजगी खुलेआम जाहिर कर दी है. मंगलवार को उन्होंने कहा कि 'जहां नहीं चैना, वहां नहीं रहना.' उनके इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं.