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इटली चुनाव: बर्लुस्कोनी के गठबंधन को सबसे ज्यादा सीट मिलने के आसार

इटली में रविवार को हुए आम चुनाव में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की बात कही जा रही है. एग्जिट पोट सर्वे में भी यही आया कि देश में त्रिशंकु स्थिति बनेगी.

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सिल्वियो बर्लुस्कोनी (फाइल फोटो)
सिल्वियो बर्लुस्कोनी (फाइल फोटो)

पूर्वोत्तर भारत में चुनाव के बाद अब आम भारतीय की नजर इटली के चुनाव पर लगी है क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपने यहां के चुनाव के परिणाम का इंतजार किए बगैर अपनी नानी से मिलने इटली चले गए. उनके जाने के बाद खबर आई कि वहां आम चुनाव चल रहे हैं.

इटली में रविवार को हुए आम चुनाव में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की बात कही जा रही है. एग्जिट पोट सर्वे में भी यही आया कि देश में त्रिशंकु स्थिति बनेगी. आव्रजन और अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों पर मतभेदों के बीच चुनाव हो रहे हैं. फाइव स्टार मूवमेंट, सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी और पूर्व प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी के दक्षिणपंथी गठबंधन फ्रीडम ऑफ पीपल के बीच कांटे की टक्कर चल रही है.

पूर्व प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी का दक्षिणपंथी गठबंधन संसद के निचले में सबसे ज्यादा सीट जीतता हुआ दिख रहा है. माना जा रहा है कि उन्हें चुनाव में 248 से 268 के बीच सीट (32 से 37.6 प्रतिशत वोट) मिल सकती है, हालांकि बहुमत के लिए 316 सीटों की दरकार रहेगी. व्यवस्था विरोधी पार्टी फाइव स्टार मूवमेंट को 195-235 सीटें (29 से 32 फीसदी वोट) और सत्तारुढ़ मध्य-वामपंथी गठबंधन के 115-155 सीटें जीतने की संभावना व्यक्त की जा रही है.

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परिणाम आने के बाद नई सरकार के गठन में हफ्तेभर का समय लग सकता है. परिणाम के बाद सरकार के लिए गठबंधन और बातचीत से जरिए रास्ता निकालने में कई दिन लग सकते हैं.

दूसरी ओर, सबसे ज्यादा सीट जीतने के आसार बर्लुस्कोनी की पार्टी को है, लेकिन टैक्स चोरी के आरोप में दोषी ठहराए जाने की वजह से पूर्व प्रधानमंत्री बर्लुस्कोनी (81) अगले साल तक सार्वजनिक पद ग्रहण नहीं कर सकते. चार बार प्रधानमंत्री रह चुके बर्लुस्कोनी ने आव्रजन विरोधी लीग पार्टी के साथ गठबंधन किया है और देश का नेतृत्व करने को लेकर यूरोपीय संसद के अध्यक्ष एंटोनियो टजानी का समर्थन किया है.

इटली का एक अखबार लिखता है कि चुनाव के बाद हर चीज बदल जाएगी. इटली में संसदीय चुनाव के लिए रविवार को वोट डाले गए. इटैलियन गृह मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर 58 फीसदी मतदान हुआ, जो 2013 के मुकाबले अधिक है. चुनाव प्रचार प्रवासी और आर्थिक मुद्दे हावी रहे. इटली में अप्रवासियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और यह वहां बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है.

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