इजरायल और हमास जंग के बीच ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी (Ebrahim Raisi) ने इस्लामिक और अरब देशों से एकजुट होने की गुहार लगाई है. रईसी ने इजरायल के खिलाफ इस्लामिक और अरब देशों को लामबंद होने को कहा है.
ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहानिया ने इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष पर चर्चा करने के लिए अरब देशों के दौरा शुरू कर रहे हैं. इस दौरान वह इराक और लेबनान भी जाएंगे.
इस दौरान ईरान के राजदूत ने कहा कि गाजा के खिलाफ यह अपराध और उनके खतरनाक प्रभाव के मद्देनजर ईरान के विदेश मंत्री का यह दौरा आज से शुरू होगा. वह पहले इराक और उसके बाद लेबनान के दौरे पर होंगे.
बीते 24 घंटों में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम ने सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद और सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से अलग-अलग फोन वार्ताएं की. इस दौरान उन्होंने इजरायली हमास जंग पर ही चर्चा करते हुए फिलिस्तीन के लिए समर्थन की मांग की.
ईरान पर लग रहे हैं समर्थन के आरोप
ईरान पर इजरायल के खिलाफ हमास का साथ देने के आरोप लग रहे हैं. दावा किया जाता है कि हमास को सबसे ज्यादा फंडिंग भी ईरान से ही मिलती है. हालांकि, ईरान ने इन आरोपों को खारिज किया है. वहीं, इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) के प्रवक्ता मेजर नीर दीनार ने एक न्यूज वेबसाइट से कहा कि 'सबूत नहीं होने का मतलब ये नहीं है कि ईरान इसके पीछे नहीं है.'
क्या सच में ईरान करता है हमास की मदद?
दुनिया हमास को फिलिस्तीनी आतंकी संगठन के रूप में जानती है, जिसका गाजा पट्टी पर कब्जा है. कई एक्सपर्ट्स दावा करते हैं कि इस आतंकी संगठन को ईरान से समर्थन प्राप्त है. उसी ने इजरायल पर हमले के लिए हमास की मदद की है. ईरान इसके लिए फंडिंग भी करता है. इसके अलावा इसे हथियार भी उपलब्ध करवाता है और इन्हें स्पेशल ट्रेनिंग भी देता है.
बता दें, हमास का कब्जा गाजा पट्टी पर है. गाजा पट्टी करीब 10 किलोमीटर चौड़ी है. और इसका इलाका 41 किलोमीटर लंबा है. यहां 22 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. साल 2006 के फिलिस्तीनी विधायी चुनावों में जीत हासिल करने के बाद इसने 2007 में अपने प्रतिद्वंदी फतह के साथ हिंसक संघर्ष के बाद गाजा पर कब्जा कर लिया.