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ममता बनर्जी की TMC मुस्लिम वोटों पर कितना निर्भर? क्यों एकतरफा पॉलिटिक्स के आरोप लग रहे

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार वक्फ कानून को लेकर मुर्शिदाबाद में हिंसा पर घिरी हुई है. बीजेपी तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाते हुए टीएमसी और सीएम ममदा पर हमलावर है. ममता बनर्जी पर क्यों एकतरफा पॉलिटिक्स के आरोप लग रहे और टीएमसी मुस्लिम वोट पर कितनी निर्भर है?

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फोटोः PTI)
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फोटोः PTI)

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में भड़की हिंसा के बीच ममता बनर्जी की सरकार सवालों के घेरे में है. विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की पश्चिम बंगाल यूनिट ने 16 अप्रैल को हिंदू शहीद दिवस के रूप में मनाया. वहीं, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इमाम सम्मेलन कर मुर्शिदाबाद हिंसा को सुनियोजित बताया, बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया.

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उन्होंने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू का नाम लेकर कहा कि आप सभी उन्हें वोट देते हैं लेकिन वो बीजेपी को पूरा समर्थन देते हैं. वे (नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू) सत्ता के लिए आपकी बलि भी चढ़ा सकते हैं. ममता बनर्जी ने हिंसा में टीएमसी के भी शामिल होने के आरोप का खंडन किया और कहा कि हमारे नेताओं के घर पर भी हमले हुए हैं. जहां ऐसी घटनाएं हुई हैं, वह सीट कांग्रेस के पास है.

बीजेपी और टीएमसी के बीच मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर छिड़ी जुबानी जंग में आरोप यह भी लग रहे हैं कि पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी एकतरफा पॉलिटिक्स कर रही है. बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने तो ममता बनर्जी पर यह आरोप लगा दिया कि प्रदेश को अलकायदा की जमीन बना दिया है. बंगाल बीजेपी के सह प्रभारी और आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने मुर्शिदाबाद हिंसा से जुडी एक मीडिया रिपोर्ट का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए ममता बनर्जी पर हमला बोला था.

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ममता बनर्जी के कार्यक्रम में पहुंचे इमाम (फोटोः PTI)
ममता बनर्जी के कार्यक्रम में पहुंचे इमाम (फोटोः PTI)

अमित मालवीय ने वीडियो पोस्ट कर लिखा था कि 'बदला नहीं, बदलाव चाहिए' के नारे के साथ सत्ता में आईं ममता बनर्जी आज शायद राज्य के हिंदुओं से बदला ले रही हैं. उन्होंने आगे लिखा कि आखिर तुष्टिकरण की राजनीति के कारण कब तक जलेगा पश्चिम बंगाल? ममता की पार्टी पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप बीजेपी लगाती रही है. ऐसे में सवाल है कि टीएमसी मुस्लिम वोटों पर कितना निर्भर है?

टीएमसी मुस्लिम वोटों पर कितना निर्भर?

पश्चिम बंगाल की कुल आबादी में मुस्लिम समुदाय की अनुमानित भागीदारी 30 फीसदी है. ममता बनर्जी ने विधानसभा में कहा था कि सूबे में 33 फीसदी मुस्लिम हैं. मुस्लिमों का वोटिंग पैटर्न देखें तो इस वर्ग के बीच टीएमसी की पकड़ चुनाव दर चुनाव मजबूत हुई है. सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ सोशल डेवलपमेंट (सीएसडीएस) के मुताबिक 2006 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को 22 फीसदी मुस्लिम वोट मिले थे.

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2011 के चुनाव में 35 और 2014 के आम चुनाव में 40 फीसदी मुस्लिमों ने टीएमसी को वोट किया. 2016 के विधानसभा चुनाव में 55, आम चुनाव 2019 में 70 और 2021 के विधानसभा चुनाव में 75 फीसदी मुस्लिमों का समर्थन ममता बनर्जी की पार्टी को मिला था. पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में टीएमसी की मुस्लिम वोटबैंक पर पकड़ थोड़ी कमजोर हुई और पार्टी को इस समाज के 73 फीसदी लोगों का समर्थन मिला.

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हिंदू वोटर्स के बीच कमजोर हुई टीएमसी की पकड़

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मजबूत उभार का असर पश्चिम बंगाल की सियासत पर भी पड़ा है. आंकड़ों पर गौर करें तो टीएमसी की पैठ मुस्लिम समुदाय के बीच मजबूत हुई है तो वहीं इसके उलट पार्टी को मिलने वाले हिंदू वोट में गिरावट आई है. बीजेपी हिंदू वोटबैंक में बड़ी सेंध लगाने में सफल रही है.

ममता बनर्जी (फोटोः PTI)
ममता बनर्जी (फोटोः PTI)

सूबे के दो विधानसभा चुनावों के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं. 2016 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को 43 फीसदी हिंदू वोट मिले थे और बीजेपी को 12. पिछले विधानसभा चुनाव में तस्वीर उलट गई. 2021 के चुनाव में बीजेपी को हिंदू मतदाताओं में से 50 फीसदी का समर्थन मिला तो वहीं टीएमसी का समर्थन 43 फीसदी से घटकर 39 फीसदी पर आ गया.

2021 में मुस्लिम बाहुल्य जिलों में कैसे रहे थे नतीजे

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, बीरभूम, दक्षिण 24 परगना, उत्तर 24 परगना और नादिया जिले में मुस्लिम आबादी प्रभावी भूमिका में है. 2011 की जनगणना के मुताबिक मुर्शिदाबाद में 66.3, मालदा में 51.3, उत्तर दिनाजपुर में 49.9, बीरभूम में 37, दक्षिण 24 परगना में 35.6, उत्तर 24 परगना में 25.8 और नादिया में 26.8 फीसदी आबादी मुस्लिम समाज की है.

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2021 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को मुर्शिदाबाद की 22 में से 20, मालदा की 12 में से आठ, उत्तर दिनाजपुर की नौ में से सात सीटें जीती थीं. बाकी जिलों के नतीजों की बात करें तो दक्षिण 24 परगना जिले की भांगर सीट छोड़कर टीएमसी ने सभी विधानसभा सीटें जीत ली थीं. फुरफुराशरीफ के धर्मगुरु पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की इंडियन सेक्यूलर फ्रंट (आईएसएफ) के नौशाद सिद्दीकी जीते थे.

ममता बनर्जी पिछले ही महीने (मार्च में) फुरफुरा शरीफ गई थीं. नौ साल बाद फुरफुरा शरीफ पहुंचीं ममता बनर्जी ने मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ मीटिंग की थी और इफ्तार में भी भाग लिया था. पीरजादा अब्बास सिद्दीकी और उनकी पार्टी के विधायक नौशाद सिद्दीकी ने सीएम के इस कार्यक्रम से दूरी बना ली थी लेकिन उनके इस दौरे को मुस्लिम वोट गोलबंद करने की कोशिश के तौर पर देखा गया.

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