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अरुण योगीराज की बनाई रामलला की मूर्ति गर्भगृह में होगी स्थापित? राम मंदिर ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने बताई सच्चाई

बीजेपी नेता एवं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को राज्य के मूर्तिकार अरुण योगीराज को बधाई देते हुए कहा था कि उनके द्वारा बनाई गई प्रतिमा को अयोध्या के नए मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुना गया है. इसपर अब राम मंदिर ट्रस्ट से जुड़े लोगों ने सफाई दी है.

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मूर्तिकार अरुण योगीराज
मूर्तिकार अरुण योगीराज

अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इसके लिए तैयारियां जोरों पर हैं. राम मंदिर में कौन सी मूर्ति स्थापित की जानी है इसके लिए मंथन चल रहा है. राम मंदिर ट्रस्ट ने अभी तक इस पर अंतिम निर्णय नहीं लिया है. ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में रामलला की जो तीन प्रतिमाएं तराशी गई हैं, उनमें से किसकी प्राण प्रतिष्ठा मंदिर में की जाएगी इसपर चर्चा जारी है. जल्द ही इसे फाइनल कर लिया जाएगा. 

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, राम मंदिर ट्रस्ट से जुड़े हुए लोगों ने बताया है कि अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है कि पिछले कुछ महीनों में रामलला की जो तीन प्रतिमाएं तराशी गई हैं, उनमें से किसकी प्राण प्रतिष्ठा मंदिर में की जाएगी. 

बता दें कि बीजेपी नेता एवं कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को राज्य के मूर्तिकार अरुण योगीराज को बधाई देते हुए कहा था कि उनके द्वारा बनाई गई प्रतिमा को अयोध्या के नए मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुना गया है. हालांकि, मंदिर का निर्माण करा रहे राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसपर कोई टिप्पणी नहीं की है.

राम मंदिर में स्थापित मूर्ति

ट्रस्ट पदाधिकारियों ने कहा कि मूर्ति के बारे में निर्णय शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती और अन्य संतों के परामर्श से लिया जाएगा. ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने बताया- ट्रस्ट का जो भी निर्णय होगा, उसे उचित समय पर सार्वजनिक किया जाएगा.

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चयनित प्रतिमा को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा और 22 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में एक समारोह में उसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. मंदिर के निर्माण का पहला चरण अब पूरा हो गया है.
 
गौरतलब है कि साल 1949 से, श्रद्धालु रामलला की प्रतिमा वाले अस्थायी मंदिर में पूजा-अर्चना करते रहे हैं. अब राम मंदिर ट्रस्ट के अधिकारियों का कहना है कि पुरानी "चल" मूर्ति को उत्सव के अवसरों के लिए परिसर में रखा जाएगा. 

रामलला की मूर्ति का चयन होना बाकी 

मालूम हो कि तीन मूर्तिकारों ने अलग-अलग पत्थरों पर अलग-अलग काम करके भगवान की मूर्तियां बनाई हैं. उनमें से दो के लिए पत्थर कर्नाटक से आया था और तीसरी मूर्ति राजस्थान से लाई गई चट्टान से बनाई जा रही थी. मूर्तियों की नक्काशी जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे और कर्नाटक के गणेश भट्ट और अरुण योगीराज ने की थी. 

ट्रस्ट के अधिकारियों के मुताबिक, गर्भगृह के लिए मूर्ति का चयन करते समय उसकी चमक लंबे समय तक टिके रहने जैसे पहलुओं पर एक तकनीकी रिपोर्ट को भी ध्यान में रखा जाएगा. 

येदियुरप्पा के बयान के बाद शुरू हुई चर्चा 

दरअसल, येदियुरप्पा ने सोमवार को सोशल मीडिया पर लिखा था- "मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई भगवान राम की मूर्ति को अयोध्या के भव्य श्री राम मंदिर में स्थापना के लिए चुना गया है, जिससे राज्य के सभी राम भक्तों का गौरव और खुशी दोगुनी हो गई है. शिल्पी योगीराज अरुण को हार्दिक बधाई." येदियुरप्पा के बेटे और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने भी योगीराज की सराहना की थी.

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लेकिन योगीराज ने न्यूज एजेंसी को बताया कि उन्हें अभी तक उनकी मूर्ति स्वीकार किए जाने के बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है. उन्होंने कहा- "मुझे खुशी है कि मैं देश के उन तीन मूर्तिकारों में शामिल था, जिन्हें 'रामलला' की मूर्ति तराशने के लिए चुना गया था."

इससे पहले वह उत्तराखंड के केदारनाथ में लगी आदि शंकराचार्य की मूर्ति और इंडिया गेट के पास लगी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति भी बना चुके हैं. 

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