
उत्तर प्रदेश के संभल जिले की पोक्सो कोर्ट ने रजपुरा थाना क्षेत्र के पाठकपुर गांव में 13 जुलाई 2018 को हुई जघन्य वारदात पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. विशेष न्यायाधीश अवधेश कुमार सिंह ने महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के दोषियों- आराम सिंह, महावीर, भोना उर्फ कुंवरपाल और जयवीर उर्फ गुल्लू को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. दोषियों पर प्रति व्यक्ति 1 लाख 12 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है. इस मामले में पुलिस ने साक्ष्यों के आधार पर चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें पीड़िता की सात वर्षीय बेटी की गवाही, ऑडियो रिकॉर्डिंग और फॉरेंसिक रिपोर्ट मुख्य सबूत रहे.
13 जुलाई 2018 की वो काली रात
घटना के वक्त महिला का पति दिल्ली में मजदूरी कर रहा था. घर में महिला अपनी सात साल की बेटी के साथ थी, तभी पांच दरिंदे घुस आए और मासूम के सामने ही गैंगरेप किया. वारदात के बाद आरोपी धमकी देकर चले गए. बदहवास महिला ने अपने ममेरे भाई को फोन कर रोते हुए आपबीती सुनाई और आरोपियों के नाम बताए. लेकिन मदद पहुंचने से पहले ही आरोपी दोबारा आए और उसे घसीटकर पास के मंदिर के हवनकुंड में ले जाकर जिंदा जला दिया.
तीन बड़े सबूत और मासूम की गवाही
फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई के दौरान तीन साक्ष्य दोषियों के लिए काल साबित हुए. पहला- सात वर्षीय बेटी की आंखों देखी गवाही, जिसने मां को जलते देखा था. दूसरा- महिला की वो अंतिम ऑडियो रिकॉर्डिंग जिसमें उसने ममेरे भाई से मदद मांगी थी. तीसरा- फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट जिसमें आरोपियों के कपड़ों पर सीमेन के निशान पाए गए थे. इन पुख्ता सबूतों ने बचाव पक्ष के 'झूठे मुकदमे' वाले दावों को अदालत में पूरी तरह खारिज कर दिया.

सीएम योगी ने की थी कड़ी कार्रवाई
यह मामला उस वक्त सुर्खियों में आया था जब गैंगरेप पीड़िता का नाम सार्वजनिक करने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा रुख अपनाया था. उन्होंने संभल के तत्कालीन एसपी आरएम भारद्वाज को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था. पुलिस की शुरुआती लीपापोती के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच तेज की गई. घटना के बाद पुलिस ने कीपैड वाला मोबाइल और जले हुए अवशेष बरामद कर फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे थे.
'हमें तो फांसी की उम्मीद थी'
अदालत के फैसले के बाद मृतक महिला के परिजनों ने न्याय का स्वागत किया, हालांकि उनके मन में टीस बाकी है. पीड़िता के ममेरे भाई ने कहा कि उन्होंने दरिंदों के लिए फांसी की मांग की थी, लेकिन अदालत ने जो उम्रकैद का फैसला दिया है, वे उसका सम्मान करते हैं. वहीं, पुलिस कस्टडी में ले जाए जाते समय दोषियों ने इसे अपने खिलाफ साजिश और झूठा मुकदमा करार दिया. एक आरोपी नाबालिग है, जिसकी प्रक्रिया अलग चल रही है.