केंद्रीय वक्फ बोर्ड, वक्फ अधिनियम 1995 की एक उपधारा है जो भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वैधानिक निकाय है. इसकी स्थापना राज्य वक्फ बोर्डों के कामकाज से संबंधित मामलों पर सलाह देने के उद्देश्य से की गई थी (Waqf Board). खबरों के मुताबिक तीन दिन पहले 2 अगस्त को कैबिनेट ने वक्फ एक्ट में कुल 40 संशोधनों को मंजूरी दी है. इन संशोधनों के पारित होने के बाद वक्फ बोर्ड की शक्तियां सीमित हो जाएंगी. इन संशोधनों का उद्देश्य किसी भी संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में नामित करने के वक्फ बोर्ड के अधिकार को प्रतिबंधित करना है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड देश का आदर्श वक्फ बोर्ड है. उन्होंने इसके लिए अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री कृष्णा गौर, बोर्ड के चेयरमेन सनवर पटेल और विभागीय अधिकारियों की सराहना भी की.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल को इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई करने, सेंट्रल वक्फ काउंसिल समेत बोर्ड्स में नई नियुक्तियों पर रोक लगा दिया था.
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई होनी है. इनमें ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की ओर से दायर याचिका भी शामिल है.
केंद्र ने 25 अप्रैल को अपने जवाबी हलफनामे में संशोधित वक्फ कानून का बचाव किया और संसद की ओर से पारित कानून पर अदालत की ओर से किसी भी 'पूर्ण रोक' का विरोध किया. सरकार ने हलफनामे में 'वक्फ बाई यूजर' संपत्तियों के प्रावधान को भी सही ठहराया था.
छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने भारत में पहली बार वक्फ संपत्तियों के किराए की ऑनलाइन वसूली शुरू की है. इससे इनकम में बड़ा इज़ाफा होगा और बिचौलियों का खेल खत्म होगा.
वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया कि पहले बोर्ड को सालाना 5 लाख रुपए भी किराए से नहीं मिलते थे. अब इस ऑनलाइन सिस्टम से हमें उम्मीद है कि आय सैकड़ों करोड़ रुपए तक बढ़ सकती है. यह पैसा गरीब और जरूरतमंद मुसलमानों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण योजनाओं में लगाया जाएगा.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर द्वारा वक्फ जमीन हड़पने के आरोपों पर जोरदार प्रतिक्रिया दी। खड़गे ने कहा कि अगर आरोप साबित हो गए तो वह इस्तीफा दे देंगे, लेकिन डर कर झुकने वाले नहीं हैं। उन्होंने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए ठाकुर से माफी की मांग की और अपने स्वाभिमान की रक्षा की बात कही।
केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा कि वक्फ मुसलमानों की कोई धार्मिक संस्था नहीं बल्कि वैधानिक निकाय है. वक्फ संशोधन कानून के मुताबिक मुतवल्ली का काम धर्मनिरपेक्ष होता है न कि धार्मिक. ये कानून चुने गए जनप्रतिनिधियों की भावनाओं को दर्शाता है.
महाराष्ट्र में 27 अप्रैल को वक्फ कानून के खिलाफ मुस्लिम संगठन इकट्ठा होंगे. वहीं 30 अप्रैल को पूरे देश में बत्ती गुल कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी है, जिसके तहत देश भर में मुस्लिम समाज के लोग रात को 9 बजे अपने-अपने घरों की बिजली बंद करेंगे.
पूर्व की यूपीए सरकार पर हमला करते हुए राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि जब कोई सरकार मामले का राजनीतिकरण करती है तो वह कहती है कि संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है, और फिर चुप हो जाती है, कुछ नहीं करती और हिंदू-मुसलमानों के बीच तनाव पैदा करती है
सुप्रीम कोर्ट द्वारा वक्फ संशोधन बिल पर दिए गए अंतरिम आदेश से याचिकाकर्ता असदुद्दीन ओवैसी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं. असदुद्दीन ओवैसी ने चिंता जताते हुए कहा कि हम ज्यादा खुशफहमी का शिकार ना हो जाएं. ओवैसी ने लिमिटेशन एक्ट लागू होने से वक्फ संपत्तियों के खोने, गैर-मुस्लिमों को सदस्य बनाने के प्रावधान और केंद्र द्वारा फेडरल ढांचे के खिलाफ नियम बनाने जैसी कई आपत्तियां गिनाईं. देखिए बातचीत.
हैदराबाद में वक्फ कानून के विरोध में बड़ा प्रदर्शन हुआ. इसमें असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह कानून वापस लेने के लिए मजबूर किया जाएगा. उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ हुए आंदोलन का हवाला देते हुए कहा कि जब तक कानून वापस नहीं लिया जाता, प्रदर्शन जारी रहेगा.
केंद्र सरकार ने वक्फ अधिनियम 1995 को संशोधित करके वक्फ अधिनियम 2025 लाया है. नए कानून में कई बदलाव किए गए हैं, जिनमें सबसे विवादित है प्रैक्टिसिंग मुस्लिम की परिभाषा. अब सिर्फ वही शख्स संपत्ति वक्फ कर सकता है जो कम से कम 5 साल से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो.
वक्फ एक्ट 1995 गैर-मुस्लिमों पर लागू होने के कारण हिंदू समाज में चिंता है. वक्फ बाई यूजर को एक ड्रैकोनियन कॉन्सेप्ट बताया गया है, जो अन्य धार्मिक समुदायों पर लागू नहीं होता. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है जिसमें वक्फ एक्ट में संशोधन की मांग की गई है. गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल न करने और उन पर कानून लागू न करने का सुझाव दिया गया है.
क्या यह समाज और कानून में सुधार की कोशिश है या फिर एक धर्म विशेष से छेड़छाड़ का प्रयास? वक्फ संशोधन के बाद से यही बड़ा सवाल देश को मत रहा है. क्या सुप्रीम कोर्ट देश के संसद से पारित कानून पर रोक लगा सकता है? और अगर ऐसा नहीं होता है तो क्या ये विरोध करने वालों को स्वीकार होगा? देखें श्वेतपत्र.
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति का मामला छाया रहा. मुस्लिम पक्ष का तर्क है कि यह बोर्ड के धार्मिक चरित्र को कमजोर करता है. दूसरी ओर, वक्फ पर बनी जेपीसी के चेयरमैन का कहना है कि वक्फ एक कानूनी संस्था है, धार्मिक नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या हिंदू ट्रस्टों में मुसलमानों को शामिल किया जा सकता है.
वक्फ संपत्ति पर नए कानून को लेकर मुस्लिम समुदाय में चिंता है. वक्फ बाई यूजर का मतलब है ऐसी संपत्ति जिसका लंबे समय से धार्मिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जा रहा है, लेकिन जिसका कोई लिखित दस्तावेज नहीं है. नए कानून के तहत हर वक्फ संपत्ति का ऑनलाइन डेटाबेस तैयार करना होगा, जिसमें संपत्ति के दाता, आय और प्रबंधन से जुड़ी सभी जानकारियां शामिल होंगी.
वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिलाओं की भागीदारी पर नए संशोधन को लेकर बहस छिड़ी है. एक कानूनी विशेषज्ञ ने कहा कि 300 साल से चल रही व्यवस्था में बदलाव की कोई खास जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, 'शरीयत और संविधान हमारी दो आंखें हैं, हमें दोनों का इतराम करना है'. वक्फ प्रॉपर्टी के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में 5 मई को सुनवाई होगी.
वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद सरकार के सामने इसे बचाने की चुनौती खड़ी हो गई है. एडवोकेट्स की राय में सरकार को मजबूत दलीलों के साथ कोर्ट में पेश होना होगा. वहीं, कुछ वकीलों को भविष्य में न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव की आशंका भी दिख रही है.
राष्ट्रपति की शक्तियों पर सुप्रीम कोर्ट का निर्देश और वक्फ कानून जैसे मामलों में उसका हस्तक्षेप कार्यपालिका-न्यायपालिका और विधायिका-न्यायपालिका के बीच एक किस्म के तनाव को उजागर करता है. भारत की शासन व्यवस्था में ऐसे तनाव और टकराव के मौके कम ही देखने को मिलते हैं. धनखड़ का बयान न्यायपालिका और लोकतांत्रिक संस्थाओं के बीच सीमाएं तय करने की बहस को आगे बढ़ाता है.
वक्फ बोर्ड संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान सबसे बड़ा मुद्दा वक्फ बाय यूजर का बन गया है. हिंदू पक्ष जिस तरह इस मुद्दे पर आक्रामक हुआ है उससे लगता है कि सरकार इस विषय पर झुकने के मूड में नहीं है.