केंद्रीय वक्फ बोर्ड, वक्फ अधिनियम 1995 की एक उपधारा है जो भारत सरकार द्वारा स्थापित एक वैधानिक निकाय है. इसकी स्थापना राज्य वक्फ बोर्डों के कामकाज से संबंधित मामलों पर सलाह देने के उद्देश्य से की गई थी (Waqf Board). खबरों के मुताबिक तीन दिन पहले 2 अगस्त को कैबिनेट ने वक्फ एक्ट में कुल 40 संशोधनों को मंजूरी दी है. इन संशोधनों के पारित होने के बाद वक्फ बोर्ड की शक्तियां सीमित हो जाएंगी. इन संशोधनों का उद्देश्य किसी भी संपत्ति को 'वक्फ संपत्ति' के रूप में नामित करने के वक्फ बोर्ड के अधिकार को प्रतिबंधित करना है.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वक्फ संपत्तियों को UMEED पोर्टल पर छह महीने के भीतर रजिस्टर करना अनिवार्य है और इस डेडलाइन को किसी भी सूरत में आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. कोर्ट ने सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि डेडलाइन के बाद ट्रिब्यूनल के पास जाने का विकल्प उपलब्ध है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य याचिकाकर्ताओं ने डेडलाइन बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया.
बंगाल में कम से कम 27 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स हैं. कम से कम 100 सीट ऐसी हैं जहां ममता बनर्जी मुसलमानों के सहयोग के बिना चुनाव जीत ही नहीं सकती हैं. ऐन चुनावों के पहले कोई भी जनाधार वाला नेता नहीं चाहेगा कि उसके कोर वोटर्स उनसे खफा हो जाएं. जाहिर है कि पूरे देश को यह जिज्ञासा है कि ममता ऐसा क्यों कर रही हैं?
आज तक की एंकर अर्पिता आर्या के साथ तीखी बहस में AIMIM नेता वारिस पठान वक्फ बोर्ड से मुसलमानों को मिलने वाले फायदों पर सही आंकड़े देने में विफल रहे. एक अन्य मेहमान कन्हैया बेलियारी ने कहा कि 'झूठ की बुनियाद पर राजनीति करने का एकाधिकार किसी एक पार्टी को नहीं है, सब करते हैं.'
उत्तर प्रदेश के वक्फ बोर्ड के 'उम्मीद पोर्टल' पर हिंदुओं और बेनामी संपत्तियों को फर्जी दस्तावेजों के जरिए अवैध रूप से वक्फ में दर्ज करने की शिकायत जताई गई है. जितेंद्र नारायण सिंह उर्फ वसीम रिजवी ने सेंट्रल वक्फ बोर्ड को पत्र लिखकर इस गड़बड़ी की शिकायत की है.
वक्फ संपत्तियों के उम्मीद पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख 6 दिसंबर है. समय सीमा बढ़ाने की मांग को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसे मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है.
कांग्रेस स्पोक्सपर्सन सैयद निज़ामुद्दीन ने दो अहम मुद्दों पर बात की. पहला मुद्दा वक्फ बोर्ड की जमीन से जुड़ा है. उन्होंने बताया कि खाना मस्जिद की जमीन, जो 2003 से वक्फ बोर्ड की गजटेड लैंड है, उस पर डिफेंस अपना दावा कर रहा है. यह जमीन 1 एकड़ 5 गुंटा है, जिसमें से 2500 वर्ग गज गजटेड है.
यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सभी मुतवल्ली समितियों से 5 दिसंबर की तय तारीख से पहले उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों का पूरा विवरण अपलोड करने के लिए कहा है. ऐसा नहीं करने पर मुतवल्ली के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश को आंशिक राहत बताते हुए कई प्रावधानों पर निराशा जताई है. बोर्ड ने कलेक्टरों की शक्तियों पर रोक और "वक्फ बाय यूजर" को सुरक्षित रखने का स्वागत किया, लेकिन कानून की कई धाराओं को असंवैधानिक बताया.
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून पर अंतरिम आदेश दिया है, जिसमें याचिकाकर्ताओं की कानून पर रोक लगाने की मांग को खारिज कर दिया गया है. इस फैसले को वक्फ बोर्ड के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. इसपर AIMIM चीफ ओवैसी ने कहा, 'ये सेट बेक है, वर्क बोर्ड के लिए ये सेट बेक है. वर्क प्रॉपर्टीस के डेवलपमेंट प्रोटेक्शन और इल्लीगल एंकरोचेर्स से हटाने के लिए'. सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि एएसआई संरक्षित स्मारक और सरकारी जमीन पर वक्फ का कब्जा नहीं माना जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक अंतरिम आदेश जारी किया है. इस आदेश पर याचिकाकर्ताओं ने आंशिक संतोष व्यक्त किया है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे अपने पक्ष में नहीं माना है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस फैसले को 'सेटबैक' बताते हुए 16 नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बड़े प्रदर्शन की घोषणा की है.
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ अमेंडमेंट एक्ट 2025 पर अंतरिम फैसला सुनाया है, जिसके कुछ प्रावधानों पर रोक लगी है. 10 राजनैतिक पार्टियों और कुछ एनजीओ की 20 से 22 याचिकाओं पर आए 128 पन्नों के इस आदेश को विपक्षी दल अपनी जीत बता रहे हैं, जबकि सरकार का कहना है कि उनकी बात मान ली गई है. हालांकि, एक याचिकाकर्ता ने इसे वक्फ बोर्ड और वक्फ संपत्तियों के लिए बड़ा झटका बताया है.
वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि वक्फ सुधार वक्त और वक्फ, दोनों की जरूरत है. यह संसद का एक्ट है और संसद ने ही करेक्ट किया.
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून पर सुनवाई करते हुए जहां वक्फ बाय यूजर जैसे प्रावधानों को खारिज कर दिया, वहीं वक्फ करने के लिए पांच साल से इस्लाम मानने के प्रावधान को तर्कसंगत नहीं मानते हुए फिलहाल इस पर रोक लगा दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ एक्ट को असंवैधानिक नहीं माना और मामले में अगली सुनावाई 20 मई 2026 के लिए टाल दिया. सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि पूर्वधारणा हमेशा विधायिका से पारित कानून की संवैधानिकता के पक्ष में होती है. न्यायालय का हस्तक्षेप केवल दुर्लभतम मामलों में ही होता है.
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अतंरिम फैसला सुनाते हुए कानून के कुछ प्रावधानों पर रोक लगा दी है. अदालत ने फिलहाल उस प्रावधान पर रोक लगाई है, जिसमें वक्फ बोर्ड का सदस्य बनने के लिए कम से कम 5 साल तक इस्लाम का पालन करने की शर्त रखी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को बड़ी राहत देते हुए वक्फ कानून को लागू रखने का आदेश दिया है. कोर्ट ने वक्फ एक्ट के पांच वर्ष इस्लाम अभ्यास प्रावधान पर रोक लगाई और कहा कि वक्फ बनाने के लिए पांच वर्ष तक इस्लाम का अनुयायी होना अनिवार्य नहीं है. इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता में ईस्टर्न कमांड पहुंचे और कंबाइंड कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया. इसके बाद वे बिहार के पूर्णिया में 36,000 करोड़ की परियोजनाओं का शुभारंभ करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना निर्णय सुनाया है. शीर्ष अदालत ने पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन इसके कुछ प्रावधानों को खारिज कर दिया है. निर्णय के अनुसार, वक्फ बोर्ड के कुल 11 सदस्यों में से तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उस प्रावधान पर भी रोक लगा दी, जिसके तहत वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति का 5 साल तक इस्लाम का अनुयायी होना जरूरी था.
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को पूरी तरह रद्द करने से इनकार किया है, लेकिन कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई है. कोर्ट ने वक्फ करने के लिए इस्लाम में पांच साल की न्यूनतम प्रैक्टिस की अनिवार्यता और वक्फ बोर्ड में अधिकतम गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या पर रोक लगाई.
सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ अधिनियम 2025 के संशोधन पर अंतरिम निर्णय दिया है. इस निर्णय में पूरे कानून पर रोक नहीं लगाई गई है, लेकिन कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई गई है. अदालत ने वक्फ बोर्ड का सदस्य बनने के लिए कम से कम 5 साल तक इस्लाम का पालन करने की शर्त पर रोक लगाई है. सरकार ने इस निर्णय का स्वागत किया है और कहा है कि यह जनहित और न्याय के लिए लाए गए संशोधनों के अनुरूप है. देखें फैसले पर पक्ष-विपक्ष के नेता क्या बोले.
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर बड़ा फैसला सुनाया है. शीर्ष अदालत ने पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, हालांकि अपने फैसले में कानून के कुछ प्रावधानों को खारिज कर दिया गया है. कोर्ट ने कहा कि वक्फ बोर्ड के कुल 11 सदस्यों में से तीन से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उस प्रावधान पर भी रोक लगाई जिसके मुताबिक वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति का 5 साल तक इस्लाम का अनुयायी होना जरूरी था. जानें वकीलों ने क्या बताया.
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाई है, जिसमें वक्फ बोर्ड के सदस्य बनने के लिए कम से कम पांच साल तक इस्लाम पालन की शर्त शामिल है. कोर्ट ने कहा कि जब तक इस संबंध में उचित नियम नहीं बनते, तब तक यह प्रावधान लागू नहीं होगा.