पंचायत चुनाव
पांच अधिकारियों के परिषद को पंचायत (Panchayat) कहा जाता है. भारत में पंचायती राज (Panchayati Raj) गांवों की स्थानीय स्वशासन की एक व्यवस्था है. इसमें पंचायती राज संस्थाएं (PRI) शामिल हैं जिनके माध्यम से गांवों में स्वशासन व्यवस्था होती है. उन्हें "आर्थिक विकास, सामाजिक न्याय को मजबूत करने और ग्यारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध विषयों सहित केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के कार्यान्वयन" का काम सौंपा गया है. सभी स्तरों पर पंचायतों के सदस्यों के लिए चुनाव हर पांच साल में होते हैं (Panchayat Election). पंचायतों में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के सदस्यों को सामान्य जनसंख्या के समान अनुपात में शामिल करना होता है. सभी सीटों और चेयरपर्सन पदों में से एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होती है (Panchayat Election Reserved Seats).
भारतीय संविधान का भाग IX पंचायतों से संबंधित संविधान का खंड है. दो मिलियन से अधिक निवासियों वाले राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में पंचायती राज संस्थाओं के तीन स्तर हैं - 1. ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत (Gram Panchayat), 1. मंडल परिषद या ब्लॉक समिति या ब्लॉक स्तर पर पंचायत समिति (Mandal Parishad) और 3. जिला स्तर पर जिला परिषद (Zila Parishad).
20 लाख से कम आबादी वाले राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में पंचायती राज संस्थाओं के केवल दो स्तर हैं. ग्राम सभा में ग्राम पंचायत के क्षेत्र में रहने वाले सभी पंजीकृत मतदाता होते हैं और यह वह संगठन है जिसके माध्यम से गांव के निवासी सीधे स्थानीय सरकार में भाग लेते हैं (Panchayat Election Voters).
वर्तमान में, पंचायती राज प्रणाली नागालैंड, मेघालय और मिजोरम को छोड़कर सभी राज्यों में और दिल्ली को छोड़कर सभी केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूद है (Panchayat States in India).
पंचायतों को तीन स्रोतों से धन प्राप्त होता है- 1. केंद्रीय वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित स्थानीय निकाय अनुदान, 2. केंद्र प्रायोजित योजनाओं द्वारा और 3. राज्य सरकारों द्वारा जारी की गई धनराशि (Panchayat Funds).
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में जयंत चौधरी की पार्टी ने अकेले किस्मत आजमाने का फैसला किया है. जयंत चौधरी ही नहीं बीजेपी के दो और बड़े सहयोगी अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद भी अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि मोदी और योगी सरकार में शामिल तीनों दल क्यों एकला चलो की राह पर हैं?
यूपी पंचायत चुनाव अप्रैल से जुलाई 2026 में होंगे. चुनाव से पहले मतदाता सूचियों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है, जहां 50 लाख तक डुप्लीकेट नाम हो सकते हैं, जिसके लिए आयोग ने सुधार अभियान शुरू किया है. साथ ही, ग्राम प्रधान की खर्च सीमा ₹1.25 लाख और जिला पंचायत अध्यक्ष की ₹7 लाख तक बढ़ा दी गई है.
उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले मतदाता सूची की विश्वसनीयता पर सवाल उठे हैं. राज्य निर्वाचन आयोग की जांच में कई जिलों में एक ही व्यक्ति का नाम दो-तीन बार दर्ज पाया गया. पीलीभीत, वाराणसी, बिजनौर और हापुड़ में यह गड़बड़ी सबसे ज्यादा है. आयोग ने जिलाधिकारियों को जल्द सुधार के निर्देश दिए हैं. अनुमान है कि जांच के बाद करीब 50 लाख डुप्लीकेट नाम हटाए जा सकते हैं.
उत्तर प्रदेश में शहरी निकायों के विस्तार से पंचायत चुनावों में असर पड़ा है. ताजा परिसीमन के बाद 30 जिला पंचायत और 830 क्षेत्र पंचायत वार्ड कम हो गए हैं. अब 3,020 जिला पंचायत और 75,014 क्षेत्र पंचायत वार्डों पर चुनाव होंगे. 495 ग्राम पंचायतों का अस्तित्व समाप्त हो गया है. पंचायती राज विभाग जल्द ही रिपोर्ट राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपेगा.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताया कि यूपी में 12 करोड़ से अधिक मतदाता पंचायत चुनाव में भाग लेते हैं. सीएम ने लखनऊ के अवध विहार योजना, शहीद पथ में राज्य निर्वाचन आयोग के अत्याधुनिक कार्यालय भवन का शिलान्यास किया. नया छह मंजिला भवन 2618.59 वर्ग मीटर में फैला होगा और 50 करोड़ की लागत से बन रहा है. सीएम ने कहा कि आयोग का स्वायत्त भवन लोकतंत्र को मजबूती देगा, चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाएगा.
उत्तराखंड में हालिया पंचायत चुनावों में बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज की है. पार्टी ने 12 में से 10 जिला पंचायत सीटें, करीब 60% ब्लॉक प्रमुख और लगभग 70% ग्राम प्रधान पद अपने नाम किए. बीजेपी ने इस सफलता का श्रेय विकास कार्यों और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व को दिया.
Uttarakhand Panchayat Election Result: बद्रीनाथ क्षेत्र को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का गढ़ माना जाता है. यहां भाजपा को करारी हार मिली है, वहीं लैंसडाउन से विधायक महंत दिलीप रावत की पत्नी नीतू रावत को कांग्रेस प्रत्याशी ज्योति पटवाल ने हरा दिया. राज्य की 358 जिला पंचायत सीटों में से 125 सीटों पर बीजेपी समर्थित प्रत्याशी विजयी घोषित किए जा चुके हैं. कांग्रेस समर्थित 83 उम्मीदवार चुनाव जीते हैं. 150 निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी बाजी मारी है.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मतदाताओं का धन्यवाद किया और सभी विजयी उम्मीदवारों से ग्राम सभाओं के विकास के लिए सामूहिक रूप से काम करने की अपील की, जो एक विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी.
Uttarakhand Panchayat Election 2025 Result : उत्तराखंड के पंचायत चुनावों में इस बार का नजारा कुछ अलग रहा. इंटरनेट की चमक-दमक और सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स रखने वाले युवा जब मैदान में उतरे तो ज़मीनी सच्चाई से उनका आमना-सामना हुआ. किसी को सिर्फ 55 वोट मिले तो किसी को 269 वोट पर ही संतोष करना पड़ा.
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहला चरण में ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य के लिए गुरुवार मतदान होगा. पहले चरण में 26 लाख से ज्यादा मतदाता 17,000 से अधिक प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे. वहीं, पहले चरण के मतदान से पहले सीएम धामी ने लोगों से लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने की अपील की है.
पंचायतों में प्रधान पति, सरपंच पति और मुखिया पति की संस्कृति को लेकर सरकार अब सख्त सजा का प्रावधान करने की तैयारी में है. इसे लेकर पंचायती राज मंत्रालय की ओर से गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी है.
महाराष्ट्र पंचायत चुनाव के नतीजे किसी भी प्री-पोल सर्वे जितना ही मायने रखते हैं. ज्यादा कुछ नहीं तो ये महाराष्ट्र में आगे का सियासी रोड मैप जरूर दिखा रहे हैं - और ये भी बता रहे हैं कि बीजेपी और उसके सहयोगियों के साथ साथ उद्धव ठाकरे का भविष्य कैसा रहने वाला है?
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव के लिए 8 जुलाई को वोटिंग होनी है. लेकिन पंचायत चुनाव के नामांकन के दौरान ही कुल पांच लोगों की मौत हो चुकी है. कई जगह हिंसा देखने को मिल रही है. हिंसा की घटनाओं पर बीजेपी प्रदेश की ममता सरकार पर जमकर बरसी. देखें.
पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के नतीजे आ गए हैं. टीएमसी ने तीनों फॉर्मेट में जबरदस्त जीत हासिल की है. दूसरे नंबर पर बीजेपी रही. 2024 को लेकर बंगाल में क्या है जनता का मूड? देखिए पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज.
बंगाल में पंचायत चुनाव के नतीजे आ रहे हैं. टीएमसी बाकी दलों से बहुत आगे है. जिला परिषद और पंचायत समिति में तो कुछ घंटे पहले तक दूसरे दलों का खाता नहीं खुला था. लेकिन बड़ा सवाल ये है कि पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में बड़ी तादाद में हुई हत्याओं का जिम्मेदार कौन? देखिए दंगल.
चुनाव को लोकतंत्र का जश्न कहा जाता है लेकिन पश्चिम बंगाल में ये जश्न मातम में बदल गया है. किसी का चिराग उजड़ गया तो किसी की मांग उजड़ गयी. पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में अब तक 13 लोगों की जान जा चुकी है. शुभांकर मिश्रा के साथ देखिए दंगल.
बंगाल में पंचायत चुनाव से पहले हिंसा का दौर जारी है. विपक्ष इस पूरे मुद्दे को लेकर ममता बनर्जी की सरकार पर हमलावर है, तो वहीं राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस ने भी राज्य चुनाव आयोग और राज्य सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर की है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अख्तियार किया है.
पंचायत चुनाव से पहले राज्य के सभी हिस्सों से हत्याएं, झड़पें और अशांति की खबरें आ रही हैं. अब सवाल उठता है कि आखिर चुनाव जीतने और पंचायत पर कब्जा करने की इतनी होड़ क्यों है, पंचायत में ऐसा क्या है?
पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. पंचायत चुनावों के लिए मतदान अगले महीने जुलाई में होना है, लेकिन अभी नामांकन से ही प्रदेशभर में हिंसा शुरू हो गई. बीजेपी ही नहीं, ममता बनर्जी की TMC के कई कार्यकर्ताओं की भी इसमें मौत हुई है. लेकिन सवाल यह कि प्रदेश ये हिंसक राजनीति कब खत्म होगी.
पश्चिम बंगाल में कई शहरों से चुनावी हिंसा से जुड़े मामले सामने आ रहे हैं. प्रदेश में कुछ ही दिनों में पंचायत चुनाव के लिए मतदान होना. इससे पहले नमांकन के दौरान ही कई लोगों की मौत हो गई. मामला हाई कोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट तक चला गया है.
पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. पंचायत चुनावों से पहले पूरे प्रदेश में हिंसा की कई खबरें आ रही हैं. इसी बीच अब मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है, जिस पर 20 जून को सुनवाई होगी. राज्य चुनाव आयोग और ममता बनर्जी सरकार की तरफ से SC में इस हिंसा को लेकर याचिकाएं दायर की गई हैं.