महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat 2023) के दिन धन की देवी लक्ष्मीजी को समर्पित है. यह हिंदू कैलेंडर में श्रावण के महीने में पूर्णिमा से पहले शुक्रवार को और पश्चिमी कैलेंडर में अगस्त या सितंबर के महीने से शुरू होता है. यह लगभग 15 दिनों तक चलता है. इस बार यह उत्सव 22 सितंबर से 6 अक्टूबर 2023 तक चलेगा.
जो लोग पूरे 15 दिन तक उपवास नहीं रख सकते वह किसी एक शुक्रवार को इसे कर सकते हैं. यह एक महत्वपूर्ण व्रत है. महालक्ष्मी व्रत दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र और ओडिशा के कुछ हिस्सों में बड़े धूमधाम से किया जाता है (Mahalaxmi Vrat in South India).
भगवान विष्णु की पत्नी, जिन्हें धन और समृद्धि का वास माना जाता है, देवी महालक्ष्मी का आशीर्वाद लेने के लिए पुरुषों या विवाहित महिलाओं द्वारा पूजा की जाती है. महालक्ष्मी व्रत के दिन, महिलाएं अपने घरों की सफाई करती हैं और अपने घर के सामने रंगोली बनाती हैं. महिलाएं स्नान करने के बाद खुद को सुंदर कपड़े और आभूषणों से सजाती हैं. फिर वे पहले कलश को देवी लक्ष्मी के सामने रखती हैं और व्रत शुरू करती हैं. कलश को चावल या पानी से भरा जाता है जो समृद्धि का प्रतीक है और इसे आम और पान के पत्तों से ढ़क दिया जाता है. फिर कलश पर हल्दी और सिंदूर से लिपटे नारियल को रखा जात है (Mahalaxmi Vrat and Worship).
मुख्य पूजा भगवान गणेश की पूजा से शुरू होती है, बाद में, देवी महालक्ष्मी की पूजा की जाती है. इसके बाद लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनाम का जाप किया है. फिर देवी को मिठाई और नमकीन सहित नौ प्रकार के व्यंजन प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है (Mahalaxmi Vrat Puja 2023).
Vaibhav Lakshmi Vrat katha: वैभव लक्ष्मी व्रत हर शुक्रवार को किया जाता है. वैभव लक्ष्मी व्रत को अगर सुहागिन महिलाएं करें तो वह सबसे ज्यादा लाभकारी माना जाता है. यह व्रत नियमित रूप से 11 या 21 शुक्रवार तक किया जाना चाहिए. इसके अलावा, व्रत के दिन मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा की जानी चाहिए.
मान्यताओं के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत का सुख समृद्धि, धन और यश के लिए किया जाता है.