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खरमास

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खरमास

हिंदू धर्म के अनुसार, गुरु देव बृहस्पति की दो राशियां धनु और मीन में जब-जब सूर्य प्रवेश करता है, तब खरमास या मलमास (Kharmas of Malmas) लगता है. ऐसी मान्यताएं है कि सूर्य जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो उनकी गति धीमी हो जाती है. सूर्य की मध्यम गति के चलते शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. हिंदू संवत कैलेंडर के अनुसार मध्य दिसंबर से मध्य जनवरी तक की अवधि को खरमास या मलमास कहा जाता है (Months of Kharmas ). यह मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के शुभ अवसर पर समाप्त होता है. उस दिन भक्त नदी में पवित्र डुबकी लगाते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. 

माना जाता है कि खरमास की अवधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. हालांकि, भक्तों को इस समय सूर्य देव की पूजा करने की सलाह दी जाती है. आमतौर पर, खरमास के दौरान विवाह, नई चीजें खरीदने या संपत्ति खरीदने जैसे किसी भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए (Inauspicious Month Kharmas). लगभग तीस दीनों तक खरमास रहता है. इन दिनों किसी से भी विवाद या झगड़ा नहीं करना चाहिए. घर में शांति का माहौल बनाए रखना चाहिए. साथ ही, इस दौरान अपने गुरुओं और बड़ों का आदर करना चाहिए. मकर संक्रांति के बाद खरमास समाप्त हो जाती है, जिसके बाद शुभ कार्य किया जाता है (Kharmas avoid auspicious tasks). 

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