इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM)
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Electronic Voting Machine or EVM) एक मशीन है जिसका इस्तेमाल बिना कागज के वोट रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है (Record Votes Without Paper). पहली वोटिंग मशीनें मेकैनिकल थीं लेकिन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का उपयोग करना आम होता जा रहा है. परंपरागत रूप से, एक वोटिंग मशीन को उसके इस मेकैनिज्म से परिभाषित किया गया है कि क्या यह सिस्टम प्रत्येक मतदान स्थान पर, या सेंट्रली वोटों का मिलान करता है. वोटिंग मशीनों की उपयोगिता, सुरक्षा, लागत, गति और सटीकता और चुनावों की देखरेख के लिए जनता की क्षमता में अंतर हो सकता है. अलग-अलग विकलांगता वाले मतदाताओं के लिए ये मशीनें कमोबेश सुलभ हो सकती हैं (Usability and Accuracy of EVM).
अलग - अलग राजनीतिक प्रणालियों में जहां एक ही मतपत्र पर कई विकल्प होते हैं, जल्दी परिणाम देने के लिए अक्सर ईवीएम मशीनों की सहायता से मिलान किया जाता है (EVM Gives Quick Results).
डीआरई वोटिंग मशीन प्रणाली में, एक टच स्क्रीन मतदाता को विकल्प दिखाती है, जो विकल्पों का चयन करता है, और वोट डालने से पहले जितनी बार जरूरत हो, अपना विचार बदल सकता है. बार-बार मतदान से बचने के लिए कर्मचारी मशीन पर एक बार प्रत्येक मतदाता को इनिशियलाइज़ करते हैं. वोटिंग डेटा मेमोरी कार्ड में दर्ज किया जाता है, जिसे चुनाव के अंत में कॉपी किया जा सकता है (Process to Use DRE Voting Machine).
आमतौर पर, इन मशीनों में व्यक्तिगत वोटों की जांच करने का कोई रिकॉर्ड नहीं है. प्रत्येक चुनाव के लिए मशीनों में सॉफ्टवेयर लोड होने से पहले, इस तक पब्लिक वेब एक्सेस संभव है. साथ ही, मतदाताओं के चयन की तुलना में उम्मीदवारों को मिलने वाले वोट की संख्या में बढ़ोतरी जैसी प्रोग्रामिंग त्रुटियां भी हो सकती हैं. डीआरई वोटिंग मशीन की जांच के बाद, जर्मनी के संघीय संवैधानिक न्यायालय ने मौजूदा मशीनों के साथ चुनाव की अनुमति देने से इनकार कर दिया था क्योंकि जनता द्वारा उनकी निगरानी नहीं की जा सकती थी (Problems with DRE Voting Machine).
लेबोरेटरी कंडीशन में ईवीएम को सफलतापूर्वक हैक भी किया जा चुका है (EVM Hacking).
EVM से वोटों के नंबर कैसे निकलते हैं? जानिए क्या है पूरा सिस्टम
SIR पर हुए भारी बवाल के बाद चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर पहले से ही सतर्क हो गया है. विपक्ष के आरोपों से सबक लेते हुए चुनाव आयोग ने ईवीएम और वोटिंग प्रक्रिया पर किसी तरह का विवाद न उठे, इसके लिए खास एहतियाती इंतजाम कर रहा है.
Election Commission of India ने राहुल गांधी के आरोपों को खारिज किया. कहा – वोट ऑनलाइन डिलीट नहीं किए जा सकते.
उपराष्ट्रपति चुनाव में ईवीएम नहीं, बल्कि बैलट पेपर से मतदान होता है. और, इसके लिए सांसदों को वोटिंग से पहले बाकायदा ट्रेनिंग भी दी जाती है, ताकि उनके वोट अवैध न हो जाएं - एक चुनावी किस्सा बताता है कि कैसे बैलट पेपर से गड़बड़ी कैसे हो सकती है?
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि चुनाव आयोग कई-कई चेहरे लगा रहा है. नाम एक है लेकिन चेहरे कई हैं. राहुल गांधी ने सात अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भूचाल ला दिया था. बीजेपी सात दिन तो सदमे मे रही लेकिन उन्होंने कल अनुराग ठाकुर को उतार दिया. पहले तो सिर्फ हम बोलते थे कि गड़बड़ है. लेकिन अब तो बीजेपी भी यही बात कर रही है.
चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने वोटर आईडी को आधार से जोड़ने पर फैसला लिया है। इस कदम से चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और डुप्लिकेट मतदाताओं की पहचान की जाएगी। जानिए, कैसे इस फैसले से चुनाव आयोग ने निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठाया।
अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गैबर्ड ने हाल ही में बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि उनकी एजेंसी को कुछ ईवीएम में ऐसी खामियों के प्रमाण मिले हैं, जो हैकिंग के ज़रिए वोट को पलट सकती हैं. इस बयान ने वैश्विक स्तर पर हड़कंप मचा दिया. लेकिन जहां कई देशों में ईवीएम को लेकर सवाल उठ रहे हैं तो वहीं भारत एक उज्जवल अपवाद के रूप में खड़ा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़े आदेश पर साइन कर दिए हैं,जिसके बाद अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया में बड़े बदलाव होने वाले हैं..इस आदेश के तहत वोटर्स रजिस्ट्रेशन के लिए नागरिकता का प्रूफ जैसे पासपोर्ट ज़रूरी होगा.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा कोर्ट में ईवीएम के सत्यापन को लेकर याचिका दायर की गई थी. इस पर मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई की. याचिका में चुनाव आयोग को ईवीएम की मेमोरी/माइक्रोकंट्रोलर की जांच और सत्यापन के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है.
अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी की कम सीटें आने की बात बहुत पहले से ही कर रहे हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपनी आखिरी रैली आते आते सीटों का वो नंबर भी बता दिया है, जिसमें कुछ ग्रेस मार्क्स भी जुड़ सकते हैं - बशर्ते, दिल्लीवालों को महिला सम्मान निधि की पक्की उम्मीद हो.
अरविंद केजरीवाल INDIA ब्लॉक में नये चैलेंजर बनते नजर आ रहे हैं. राहुल गांधी के नेतृत्व को चुनौती देने वाली ममता बनर्जी की राह में अब आम आदमी पार्टी के नेता मुश्किलें खड़ा कर सकते हैं.
INDIA ब्लॉक में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. पहले ममता बनर्जी का नाम लेकर राहुल गांधी के नेतृत्व को चुनौती दी गई, और अब ईवीएम पर अपने स्टैंड को लेकर कांग्रेस निशाने पर आ गई है. अडानी के मुद्दे पर पहले ही अकेली पड़ चुकी है.
कांग्रेस ने हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनावी हार के बाद ईवीएम की विश्वसनीयता को लेकर चिंता जताई है. उसके कई नेताओं ने फिर से बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग उठाई है. लेकिन इस मुद्दे पर कांग्रेस को इंडिया ब्लॉक में शामिल अपने सहयोगी दलों का ही साथ नहीं मिल रहा.
उमर अब्दुल्ला ने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि एक चुनाव में मतदाता आपको चुनते हैं, अगले चुनाव में नहीं चुनते. मैं लोकसभा चुनावों में हार गया था और विधानसभा चुनाव में जीता. मेरी पार्टी को बहुमत मिला. दोनों ही नतीजों को मैंने स्वीकार किया और कभी ईवीएम को दोष नहीं दिया.
महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी किरण कुलकर्णी ने कहा कि इन विधानसभा चुनावों में हमने 288 निर्वाचन क्षेत्रों में 1,440 वीवीपैट का सत्यापन किया जो प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में वीवीपैट का 5 प्रतिशत है. सभी वीवीपैट की काउंटिंग ईवीएम के परिणामों से पूरी तरह मेल खाती हैं.
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के पास मरकरवाडी गांव में 200 से ज्यादा लोगों पर बैलट पेपर से मतदान की कोशिश के मामले में केस दर्ज किया गया है. ईवीएम पर संदेह जताते हुए गांववालों ने बैलेट वोटिंग का प्लान बनाया था लेकिन प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद इसे रद्द किया गया.
कांग्रेस को हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की हार पच नहीं रही है. लगातार ईवीएम पर दोष मढ़ा जा रहा है. कांग्रेस पार्टी अब बैलेट पेपर से चुनाव करवाने की मांग कर रही है. पर कांग्रेस के कुछ बड़े नेता और महाराष्ट्र चुनावों को लेकर पार्टी की आंतरिक सर्वे रिपोर्ट तो कुछ और कहानी कहती है.
सोशल मीडिया पर इस वीडियो को शेयर करने वालों की मानें तो ये महाराष्ट्र का है, जहां भारी संख्या में लोग ईवीएम के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं. लेकिन जब हमने वीडियो की पड़ताल की तो हकीकत कुछ और निकली.
हाराष्ट्र चुनाव नतीजों को आए 4 दिन हो चुके हैं लेकिन EVM पर विपक्ष के सवाल खत्म नहीं हो रहे. EVM पर फिक्सिंग का आरोप लगाने की बात अब पुरानी हो चुकी है और अब तो बाकायदा उसके खिलाफ यात्रा निकालने की तैयारी हो रही है. वो भी तब जब सुप्रीम कोर्ट ने EVM विरोधियों को खरी-खरी सुना दी.
कांग्रेस प्रवक्ता अभय दुबे ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि बैलेट पेपर से मतदान करवाया जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. ऐसे में उन्होंने ईवीएम की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा किया. सुनिए, इस संबंध में भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी ने क्या प्रतिक्रिया दी है.
NCP के प्रवक्ता महेश चव्हाण ने हाल ही में EVM पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति EVM पर संदेह नहीं कर रहा है, तो वो राजनीति छोड़ देंगे. उन्होंने इस मुद्दे पर राजनीतिक विश्लेषक आशुतोष से चर्चा करते हुए EVM के हैक होने की संभावना को लेकर भी बातें कीं. आशुतोष ने इस संबंध में महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए. EVM की सुरक्षा और पारदर्शिता पर इस चर्चा से राजनीतिक गलियारों में नई हलचल देखने को मिल रही है.