कलकत्ता हाई कोर्ट
कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) भारत का सबसे पुराना उच्च न्यायालय है. यह B.B.D बाग, कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है (Calcutta High Court Location). पश्चिम बंगाल राज्य और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के केंद्र शासित प्रदेश इसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं (Calcutta High Court Jurisdiction). कलकत्ता हाई कोर्ट की इमारत का डिजाइन बेल्जियम में स्थित क्लॉथ हॉल, Ypres पर आधारित है (Calcutta High Court Building Design).
न्यायालय के पास अपीलीय के अलावा मूल क्षेत्राधिकार है. इस न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों की अपील केवल भारत के सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है. इस अदालत में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 72 है (Calcutta High Court Sanctioned Strength).
कलकत्ता उच्च न्यायालय भारत के तीन उच्च न्यायालयों में से एक है, जिसकी स्थापना प्रेसीडेंसी टाउन में महारानी विक्टोरिया के दिए गए पेटेंट के तहत 26 जून 1862 को की गई थी. यह 1 जुलाई 1862 को उच्च न्यायालय अधिनियम, 1861 के तहत फोर्ट विलियम में न्यायिक उच्च न्यायालय के रूप में स्थापित किया गया था (Calcutta High Court Inauguration Date). सर बार्न्स पीकॉक कलकत्ता उच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश थे (First Chief Justice of Calcutta High Court). उन्होंने 1 जुलाई 1862 को अदालत की स्थापना के समय कार्यभार ग्रहण किया था. न्यायमूर्ति रोमेश चंद्र मित्रा पहले भारतीय कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश थे First Indian Officiating Chief Justice of Calcutta High Court) और न्यायमूर्ति फणी भूषण चक्रवर्ती अदालत के पहले भारतीय स्थायी मुख्य न्यायाधीश थे First Indian Permanent Chief Justice of Calcutta High Court). सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति शंकर प्रसाद मित्रा थे (Longest Serving Chief Justice of Calcutta High Court).
कलकत्ता उच्च न्यायालय की प्रिंसिपल सीट पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में है. अंडमान और निकोबार की राजधानी पोर्ट ब्लेयर और जलपाईगुड़ी में कलकत्ता हाई कोर्ट के बेंच हैं (Calcutta High Court Benches). न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव हैं (Calcutta High Court Current Chief Justice).
कलकत्ता हाई कोर्ट ने पिछले फैसले के आधार पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह साफ नहीं है कि अलीपुर कोर्ट ने किस आधार पर काफी कम राशि का आदेश दिया था. संशोधित आदेश में कहा गया कि पहले के फैसले में सुधार की जरूरत है.
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार की नई ओबीसी सूची पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसमें 140 उप-श्रेणियां (80 मुस्लिम, 60 गैर-मुस्लिम) शामिल थीं.अगली सुनवाई 31 जुलाई को निर्धारित है. ममता सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
सोशल मीडिया पर एक जज का वीडियो वायरल हो रहा है, जो पुलिस को फटकार लगाते हुए दिखाई दे रहे हैं. इस वीडियो पर शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी के वक्त की तस्वीर लगा कर शेयर किया जा रहा है. आजतक ने इस वीडियो का फैक्ट चेक किया है...
कलकत्ता हाईकोर्ट ने शर्मिष्ठा पनोली को अंतरिम जमानत दे दी है. 22 वर्षीय लॉ स्टूडेंट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए बुधवार को जस्टिस राजा बसु ने शर्मिष्ठा को शर्त जमानत को मंजूरी दे दी.
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कोलकाता हाईकोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को ऐसी टिप्पणी करते समय सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि हमारे देश में विभिन्न समुदाय, जाति और धर्म के लोग एक साथ रहते हैं.
पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में मुर्शिदाबाद हिंसा को हिंदुओं पर जानबूझकर किया गया हमला बताया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि उपद्रवियों ने हिंदू परिवारों के घरों में तोड़फोड़ की और सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए. सरकार ने सोशल मीडिया के जरिए भीड़ को भड़काने का भी जिक्र किया है.
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आगे कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र सरकार ने मामले के इस पहलू पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है. यदि स्थिति की मांग हो तो हमारा ऑब्जर्वेशन केंद्र सरकार द्वारा स्वत: संज्ञान लेकर अपनी शक्ति का प्रयोग करने के मार्ग में बाधा नहीं बनेगा.
मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने हिंसा प्रभावित इलाकों में केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश दिया. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 16 कंपनियां अर्धसैनिक बल भेजे हैं. हिंसा में तीन लोगों की जान गई और कई परिवार दहशत में जीने को मजबूर हैं. बीजेपी की मांग के बाद यह कदम उठाया गया है.
हिंदू सेवा दल की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की एकल पीठ ने यातायात की भीड़ को देखते हुए रेड रोड से जुलूस निकालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया. अदालत के फैसले के बाद हिंदू सेवा दल ने फैसले को डिवीजन बेंच में चुनौती दी है.
पश्चिम बंगाल में अंजनी पुत्र सेना और विश्व हिंदू परिषद को रामनवमी की रैली निकालने की अनुमति मिल गई है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने शर्तों के साथ इन दोनों हिंदू संगठनों को प्रस्तावित रूट पर रैली निकालने की इजाजत दे दी है.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने हावड़ा में हिंदू संगठन को पुराने रूट पर रामनवमी जुलूस निकालने की इजाजत दी है. कोर्ट ने शर्त रखी है कि रैली शांतिपूर्ण होनी चाहिए और कोई अस्त्र-शस्त्र नहीं ले जाया जा सकता. बीजेपी और टीएमसी के बीच इस मुद्दे पर तीखी बयानबाजी हो रही है.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने RSS प्रमुख मोहन भागवत की बर्दवान में रैली को मंजूरी दे दी. ममता बनर्जी सरकार ने बोर्ड परीक्षा का हवाला देकर रैली के लिए अनुमति देने से इनकार किया था. अदालत ने कहा कि रैली रविवार को है जब कोई परीक्षा नहीं है. कार्यक्रम सिर्फ सवा घंटे का है, इसलिये किसी को कोई परेशानी नहीं होगी. देखें ये वीडियो.
हाई कोर्ट ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि जोगेश चंद्र लॉ कॉलेज में सरस्वती पूजा के दौरान किसी ऐसे व्यक्ति को कॉलेज कैंपस में एंट्री न होने दी जाए, जिसके खिलाफ कोई शिकायत दर्ज है.
जस्टिस गवई ने कहा, "धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं हो सकता." राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा, "यह धर्म के आधार पर नहीं, पिछड़ेपन के आधार पर है."
शीर्ष अदालत ने कहा कि एसआईटी में वे अधिकारी शामिल होंगे, जिनके नाम राज्य द्वारा प्रस्तुत किए गए थे. ये एसआईटी साप्ताहिक आधार पर हाईकोर्ट को जांच की प्रगति पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.
शीर्ष अदालत ने राज्य से महिला अधिकारियों सहित भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों की एक सूची प्रस्तुत करने को भी कहा, जिन्हें एक नए विशेष जांच दल (एसआईटी) में शामिल किया जा सकता है, जिसे सीबीआई के बजाय हिरासत में यातना मामले की जांच करने का काम सौंपा जा सकता है.
एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि कोलकाता पुलिस ने यूट्यूब पर कलकत्ता उच्च न्यायालय की अवकाश पीठ (Vacation Bench) के एक कोर्ट रूम की लाइव-स्ट्रीमिंग की कथित हैकिंग की जांच शुरू कर दी है. उन्होंने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट के आईटी विभाग द्वारा इस संबंध में सोमवार देर शाम शिकायत दर्ज करने के बाद कोलकाता पुलिस के साइबर क्राइम सेक्शन ने जांच शुरू कर दी है.
मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने कहा, "यदि इनमें से कोई भी एक या अधिक आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह मामला बेहद गंभीर है." अदालत ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया कि वह इन आरोपों पर हलफनामा दाखिल करे और मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को निर्धारित की.
ममता बनर्जी खुद को स्ट्रीट फाइटर बताती हैं, और कोलकाता रेप-मर्डर केस में भी उनका ये रूप देखने को मिला है. हैरानी की बात ये है कि ऐसे मामलों अक्सर वो पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की जगह अपने राजनीतिक बचाव की लड़ाई लड़ती नजर आती हैं - और वो भी बहुत ही असंवेदशील तरीके से.
पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें पश्चि बंग छात्र समाज और नबन्ना आंदोलन के नेता सायन लाहिड़ी को दी थी. छात्र नेता को 27 अगस्त की शाम को रैली का नेतृत्व करने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए गिरफ्तार किया गया था.
अली अख्तर ने दावा किया कि उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है और दस्तावेजी सबूत भी पेश किए हैं, जिसमें आर्थिक लाभ के लिए विभिन्न अवैधताओं की जानकारी दी गई है. अली के वकील ने बताया कि इन प्रयासों के बावजूद राज्य सरकार लंबे समय तक आरोपों पर चुप रही. याचिकाकर्ता ने आगे तर्क दिया कि इन अनियमितताओं की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन में देरी ने उनके दावों को साबित करने का काम किया.