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बंगाली मुस्लिमों की हिरासत पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, हाईकोर्ट को तुरंत सुनवाई करने का दिया निर्देश

सुप्रीम कोर्ट में बांग्ला भाषी मुस्लिमों की विदेशी नागरिकता के संदेह में हिरासत और निर्वासन को लेकर सुनवाई हुई. कोर्ट ने भाषा या क्षेत्र के आधार पर निर्वासन को असंवैधानिक बताया. कोर्ट ने उच्च न्यायालयों से नागरिकता जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया.

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कई राज्यों में बंगाली भाषी मुसलमानों की मनमानी हिरासत और निर्वासन पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता (File Photo: PTI)
कई राज्यों में बंगाली भाषी मुसलमानों की मनमानी हिरासत और निर्वासन पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता (File Photo: PTI)

बांग्ला भाषी मुस्लिमों को विदेशी नागरिक होने के शक में कई राज्यों में हिरासत में लेने की घटनाओं को लेकर दाखिल याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच मे याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि प्रवासी श्रमिकों, विशेष रूप से बंगाली भाषी मुसलमानों को ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में मनमाने ढंग से हिरासत में लिया जा रहा है और कुछ मामलों में, बिना किसी उचित प्रक्रिया के बांग्लादेश भेज दिया गया है.

वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि राष्ट्रीयता के निर्धारण हुए बिना देश से निकलना संवैधानिक सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय कानून दोनों का उल्लंघन है.

उन्होंने कोर्ट के सामने कई ऐसे मामलों का भी हवाला दिया जहां वैध दस्तावेज रखने वाले भारतीय नागरिकों को भी सीमा पार भेज दिया गया. जिसमें से एक महिला को बाद में बांग्लादेशी अधिकारियों ने भारतीय नागरिक के आधार पर गिरफ्तार भी कर लिया.

वही केंद्र की ओर से तुषार मेहता ने तर्क दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा और अवैध निर्वासन पर विचार किया जाना चाहिए लेकिन सवाल है कि यहां प्रभावित व्यक्तियों के बजाय संस्थाएं याचिकाएं क्यों दाखिल कर रही है.

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हालांकि कोर्ट ने भी कहा कि केवल भाषा या क्षेत्र के आधार पर निर्वासन को उचित नहीं ठहराया जा सकता हैं. कोर्ट ने जोर देकर कहा कि किसी को भी विदेशी तय करने से पहले एक आवश्यक निष्पक्ष प्रक्रिया होनी चाहिए.

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कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के आधार पर कोलकाता हाई कोर्ट में लंबित बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं पर सुनवाई को स्थगित नहीं किया जा सकता है. साथ ही हाई कोर्ट से अनुरोध किया कि वह प्रभावित व्यक्तियों की नागरिकता की स्थिति का सत्यापन सहित ऐसे मामलों को तेजी से विचार करें.

दरअसल पश्चिम बंगाल प्रवासी श्रमिक कल्याण बोर्ड और उसके अध्यक्ष सांसद समीरुल इस्लाम द्वारा याचिका दाखिल कर बांग्लादेशी नागरिक होने के संदेह में पश्चिम बंगाल से प्रवासी श्रमिकों की हिरासत और निर्वासन को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी गई है. 

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