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ममता बनर्जी की भाभी को गर्ल्स कॉलेज मैनेजमेंट कमिटी का अध्यक्ष बनाने पर HC ने उठाए सवाल

जज ने कहा कि 2017 के कानून के अनुसार, रानी बिड़ला गर्ल्स कॉलेज मैनेजमेंट का गठन करने के बजाय, मैनेजमेंट कमिटी को राज्य सरकार द्वारा नामित पांच लोगों द्वारा चलाया जा रहा है. जज ने कहा कि इस मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है.

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पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (R) और उनकी भाभी काजरी बनर्जी. (Photo: X/@AITMC)
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (R) और उनकी भाभी काजरी बनर्जी. (Photo: X/@AITMC)

कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भाभी काजरी बनर्जी की रानी बिड़ला गर्ल्स कॉलेज मैनेजमेंट कमिटी की अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं. जस्टिस बिवास पटनायक ने अपने आदेश में कहा कि नियमों के अनुसार, कॉलेज मैनेजमेंट कमिटी का अध्यक्ष ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ा हो. लेकिन काजरी बनर्जी एक पार्षद (काउंसलर) हैं.

मामले की सुनवाई के दौरान उनके पक्ष में कोई आवश्यक साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया. इसलिए, कलकत्ता हाई कोर्ट ने रानी बिड़ला गर्ल्स कॉलेज मैनेजमेंट कमिटी की अध्यक्ष काजरी बनर्जी द्वारा कॉलेज की ​प्रिंसिपल डॉ. श्राबंती भट्टाचार्य को दिए गए कारण बताओ नोटिस पर अंतरिम रोक लगा दी है. जस्टिस बिवास पटनायक ने कहा कि 3 जुलाई के कारण बताओ नोटिस और 29 अगस्त के निलंबन निर्णय पर आठ सप्ताह के लिए रोक रहेगी.

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इसके साथ ही, काजरी बनर्जी की मैनेजमेंट कमिटी की अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति की वैधता पर भी सवाल उठाया गया है. जज ने कहा कि इस मुद्दे पर भी सुनवाई की आवश्यकता है. इस मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी. काजरी बनर्जी ने प्रिंसिपल श्राबंती भट्टाचार्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. प्रिंसिपल ने इस नोटिस को चुनौती देते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट का रुख किया. जब यह मामला जस्टिस बिस्वजीत बसु की पीठ में दायर हुआ, तो जस्टिस बसु ने सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश जारी करने का फैसला किया.

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उस समय, राज्य के महाधिवक्ता ने जस्टिस बिस्वजीत बसु से मामले से खुद को अलग करने का अनुरोध किया. जस्टिस बसु ने इस पर नाराजगी व्यक्त की, लेकिन मामले से अलग हो गए. बाद में, यह मामला जस्टिस बिवास पटनायक की पीठ में गया. उसी दिन, जज ने कॉलेज की मैनेजमेंट कमिटी की अध्यक्ष काजरी बनर्जी को कारण बताओ नोटिस जारी किया और लिए गए निर्णय पर अस्थायी रोक लगा दी. जज ने कहा कि 2017 के कानून के अनुसार, कॉलेज मैनेजमेंट का गठन करने के बजाय, मैनेजमेंट कमिटी को राज्य सरकार द्वारा नामित पांच लोगों द्वारा चलाया जा रहा है. जज ने कहा कि इस मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है.

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