भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा में भगवान गणेश (Bhagwan Ganesh) का स्थान सर्वोपरि है. वे बुद्धि, विवेक, समृद्धि और शुभता के प्रतीक माने जाते हैं. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी के नाम के उच्चारण और पूजा से होती है, इसलिए उन्हें 'विघ्नहर्ता' और 'प्रथम पूज्य' कहा जाता है.
भगवान गणेश को शिव और पार्वती के पुत्र माने जाते हैं. उनका सिर हाथी का और शरीर मनुष्य का होता है, जो उन्हें अद्वितीय बनाता है. उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें वे अंकुश, पाश, मोदक और आशीर्वाद की मुद्रा धारण करते हैं. उनके वाहन का रूप एक छोटा मूषक (चूहा) है, जो यह दर्शाता है कि सबसे छोटे प्राणी को भी महत्व दिया जाना चाहिए.
भगवान गणेश की जन्म कथा पौराणिक ग्रंथों में अत्यंत प्रसिद्ध है. एक बार माता पार्वती ने स्नान करते समय अपने उबटन से गणेश को बनाया और उन्हें द्वारपाल बना दिया. जब भगवान शिव लौटे, तो गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोका. क्रोधित होकर शिव ने उनका सिर काट दिया. बाद में पार्वती के अनुरोध पर भगवान शिव ने एक हाथी का सिर लगाकर उन्हें जीवनदान दिया. तभी से वे गजानन कहलाए.
गणेश पूजा विशेष रूप से गणेश चतुर्थी के अवसर पर की जाती है, जो भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है. महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में यह पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.
"वक्रतुण्ड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।।"
Diwali 2025 Date: ज्योतिर्विदों और पंडितों के मुताबिक, इस बार 20 अक्टूबर को दिवाली मनाई जाएगी. इस दिन प्रदोष काल और रात में निशीथ काल में अमावस्या तिथि रहेगी, जो महालक्ष्मी पूजन के लिए अनिवार्य है. लेकिन, क्या 21 अक्टूबर को भी दिवाली मनाई जाएगी?
Diwali 2025: इस साल लक्ष्मी पूजा सोमवार, 20 अक्टूबर को मनाई जा रही है. लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त द्रिक पंचांग और ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार निर्धारित किया जाता है. हर शहर के लिए यह समय थोड़ा अलग हो सकता है. पूजा के लिए सही समय पर माता लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करने से धन, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है.
Diwali 2025: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि गिफ्ट राशि के अनुसार चुना जाए, तो उसका शुभ प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है. यह केवल एक भावनात्मक उपहार नहीं बल्कि धन, समृद्धि और तरक्की का भी संकेत बन जाता है.
Diwali 2025 Shubh Muhurat: आज देशभर में दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन दिवाली का सबसे सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त शाम 7 बजकर 08 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन रात 8 बजकर 18 मिनट पर होगा. चलिए जानते हैं दिवाली से जुड़ी संपूर्ण जानकारी के बारे में.
Diwali 2025 Date: हर साल की तरह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानि दीपावाली का त्योहार देश भर में धूम धाम से मनाया जाएगा. दिवाली पर लक्ष्मी पूजा का विशेष विधान है. इस दिन संध्या और रात्रि के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी विघ्नहर्ता भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा और आराधना की जाती है. पुराणों के अनुसार कार्तिक अमावस्या की अंधेरी रात में महालक्ष्मी स्वयं भूलोक पर आती हैं और हर घर में विचरण करती हैं.
Diwali 2025 Upay: 20 अक्टूबर को पूरे देश में दीपावली का पावन पर्व उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा. यह दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा पाने का सबसे शुभ अवसर माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि दीपावली की रात किए गए विशेष प्रयोग जीवन में समृद्धि लाते हैं. तो चलिए जानते हैं कि इस दिन रात में कौन कौन से उपाय करने चाहिए.
Diwali 2025 Kab hai: इस बार भी दिवाली को तिथि को लेकर लोग बहुत ही असमंजस में हैं, कोई कह रहा है कि 20 अक्टूबर को दिवाली मनाना उचित होगा तो कोई कह रहा है कि 21 अक्टूबर को दिवाली मनाना सही होगा. तो चलिए जानते हैं कि इस बार दिवाली की सही डेट क्या रहने वाली है और क्या रहेगा मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजन मुहूर्त.
Dhanteras 2025: इस बार 18 अक्टूबर को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा. पंचांग के मुताबिक, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. लेकिन क्या आपको पता कि एक बार भगवान गणेश ने कुबेर देवता का घमंड तोड़ा था. चलिए जानते हैं कि इससे जुड़ी कथा के बारे में.
Dhanteras 2025: कल यानी 18 अक्टूबर को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा. माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा के अलावा इस दिन खरीदारी का विशेष महत्व है. जानते हैं खरीदारी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, मंत्र और बाकी जानकारी
Diwali 2025: दिवाली पर नए गणेश और लक्ष्मी जी हर घर लाए जाते हैं, लेकिन पुरानी मूर्तियों का क्या करें. क्या हैं धातू और मिट्टी की मूर्तियों से जुड़े नियम. जानिए सबकुछ डिटेल में...
Diwali 2025: दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा करने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है. ऐसे कुछ खास पौधे भी हैं जो मां लक्ष्मी को प्रसन्न करते हैं. इन पौधों को दिवाली से पहले घर लाना बेहद शुभ माना जाता है. जानते हैं वो पौधे कौन से हैं.
मुंबई में लालबाग के राजा की विसर्जन यात्रा रात भर चली. अलग-अलग इलाकों से होते हुए गणपति बाप्पा समुद्र किनारे पहुंचे, जहां प्रतिमा का विसर्जन किया गया. ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते-गाते गणपति बाप्पा के रथ को अलग-अलग जगहों से ले जाया गया. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग जुटे.
गणपति बप्पा के दर्शन के दौरान रोहित शर्मा का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें फैन्स उनके लिए 'मुंबई चा राजा रोहित शर्मा' का नारा लगाते दिख रहे हैं.
महाराष्ट्र में गणेशोत्सव का उत्साह अपने चरम पर है और अब समय आ गया है जब मुंबई के प्रसिद्ध लालबागचा राजा और पुणे के दगडूशेठ हलवाई गणपति को भक्तजन भावभीनी विदाई देंगे. दोनों शहरों में गणपति विसर्जन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं.
Anant Chaturdashi 2025: हर साल गणेश उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्त के जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है.
महाराष्ट्र समेत देशभर में गणपति की स्थापना के बाद उनका विसर्जन भी किया जाता है, लेकिन उत्तर भारतीय मत है कि श्रीगणेश का विसर्जन नहीं करना चाहिए. गणेशजी के विसर्जन को लेकर क्या है सवाल और उसकी सही वजह?
Ganesh Visarjan 2025: हर साल अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति बप्पा को विदाई दी जाती है और उनसे अगले बरस जल्दी आने का आग्रह किया जाता है. शास्त्रों में गणपति विसर्जन से पहले उत्तर पूजा का महत्व बताया गया है.
इस साल 6 सितंबर को गणेश विसर्जन किया जाएगा. शास्त्रों में बप्पा को विसर्जित करने के नियम बताए गए हैं. इसी संदर्भ में प्रेमानंद महाराज ने भी गणेश विसर्जन के सही तरीके पर अपने विचार बताए हैं.
Anant Chaturthi 2025: अनंत चतुर्दशी के दिन पूजा के लिए एक खास धागा होता है जिसे अनंत सूत्र कहते हैं. ये धागा चौदह गांठों वाला होता है, जो भगवान विष्णु के चौदह लोकों का प्रतीक है. जो कोई भी इस व्रत को विधि-पूर्वक रखता है और अनंत सूत्र को पहनता है, उसे जीवन में सब कामयाबी और खुशहाली मिलती है.
माना जाता है कि प्रतिमा का विसर्जन करने से भगवान पुनः कैलाश पर्वत पर पहुंच जाते हैं. स्थापना से ज्यादा विसर्जन की महिमा होती है. इस दिन अनंत शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं.
श्रीगणेश गीता की कथा राजा वरेण्य और भगवान गणेश के बीच एक आध्यात्मिक संवाद है, जो गणेश पुराण में वर्णित है. यह कथा न केवल गणेश की महिमा और उनके गजानन अवतार की कथा को दर्शाती है, बल्कि उनके द्वारा दिए गए उपदेशों के माध्यम से जीवन के उच्चतम लक्ष्य यानी मोक्ष को प्राप्त करने का मार्ग भी दिखाती है.