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भगवान गणेश

भगवान गणेश

भगवान गणेश

भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा में भगवान गणेश (Bhagwan Ganesh) का स्थान सर्वोपरि है. वे बुद्धि, विवेक, समृद्धि और शुभता के प्रतीक माने जाते हैं. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी के नाम के उच्चारण और पूजा से होती है, इसलिए उन्हें 'विघ्नहर्ता' और 'प्रथम पूज्य' कहा जाता है.

भगवान गणेश को शिव और पार्वती के पुत्र माने जाते हैं. उनका सिर हाथी का और शरीर मनुष्य का होता है, जो उन्हें अद्वितीय बनाता है. उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें वे अंकुश, पाश, मोदक और आशीर्वाद की मुद्रा धारण करते हैं. उनके वाहन का रूप एक छोटा मूषक (चूहा) है, जो यह दर्शाता है कि सबसे छोटे प्राणी को भी महत्व दिया जाना चाहिए.

भगवान गणेश की जन्म कथा पौराणिक ग्रंथों में अत्यंत प्रसिद्ध है. एक बार माता पार्वती ने स्नान करते समय अपने उबटन से गणेश को बनाया और उन्हें द्वारपाल बना दिया. जब भगवान शिव लौटे, तो गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोका. क्रोधित होकर शिव ने उनका सिर काट दिया. बाद में पार्वती के अनुरोध पर भगवान शिव ने एक हाथी का सिर लगाकर उन्हें जीवनदान दिया. तभी से वे गजानन कहलाए.

गणेश पूजा विशेष रूप से गणेश चतुर्थी के अवसर पर की जाती है, जो भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है. महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में यह पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है.

 "वक्रतुण्ड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।।"
 

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