दुनिया भर में बढ़ते प्रदूषण, सूखे और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) की तकनीक का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है. इसे आर्टिफिशियल रेनफॉल, प्लुवीकल्चर या वेधर मॉडिफिकेशन भी कहा जाता है. इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य बादलों में विशेष रसायन डालकर बारिश की संभावना को बढ़ाना होता है.
वैज्ञानिक बादलों की संरचना और तापमान को देखते हुए हवाई जहाज या रॉकेट के जरिए बादलों में कुछ तत्व फैलाते हैं, जैसे सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस (ठोस कार्बन डाइऑक्साइड) और नमक (सॉल्ट पाउडर). इन तत्वों की वजह से बादलों में नमी जमने लगती है और बारिश होने की संभावना बढ़ जाती है. हालांकि इस प्रक्रिया की सफलता को लेकर वैज्ञानिकों में अभी भी विवाद है, क्योंकि यह तय करना मुश्किल है कि यदि सीडिंग न की गई होती तो वर्षा कितनी होती. इस तकनीक का उपयोग- सूखे से राहत, सिंचाई व पेयजल उपलब्धता बढ़ाने, जलविद्युत उत्पादन के लिए पानी स्तर सुधारने और वायु प्रदूषण कम करने के लिए किया जाता है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुकाबले एक नए वैज्ञानिक हथियार के तौर पर क्लाउड सीडिंग आधारित कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) पर कदम उठाए जा रहे हैं. इस तकनीक के रिए बादलों में विशेष पदार्थों का छिड़काव कर वर्षा को प्रेरित करने का प्रयास किया जाता है, जिसका उद्देश्य वायु में तैरती धूल और सूक्ष्म कण (PM 2.5, PM 10) को नीचे लाना है.
ईरान में महीनों के भयानक सूखे के बाद सोमवार को पश्चिमी इलाकों में तेज बारिश से बाढ़ आ गई. औसत से 85% कम बारिश से तेहरान में नल सूख गए हैं. जल संकट गहराया हुआ है. सरकार ने क्लाउड सीडिंग शुरू की, लेकिन विशेषज्ञ बोले – यह महंगी और अस्थायी राहत है. सूखी जमीन पानी सोख नहीं पाई, इसलिए फ्लैश फ्लड आया.
दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश की चर्चा तेज है. इसी मुद्दे पर iFOREST के सीईओ चंद्रभूषण ने आईआईटी कानपुर के प्रयोग और इसकी सफलता की संभावनाओं पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं. चंद्रभूषण ने कहा, 'जिस तरह से क्लाउड सीडिंग पे चर्चा हुई है, वो एक्सपेरिमेंट कम और पोलिटिकल थिएटर ज्यादा लग रहा है'.
दिल्ली में जहरीली हवा से राहत दिलाने के लिए की गई क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम बारिश) की कोशिशें नाकाम रहीं. IIT कानपुर की मदद से दिल्ली सरकार ने अब तक तीन ट्रायल किए लेकिन एक बूंद बारिश भी नहीं हुई. करीब एक करोड़ रुपये खर्च करने के बाद सवाल ये उठ रहा है कि क्या सिर्फ फुहारों के लिए करोड़ों खर्च करना वाकई समझदारी है?
दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) का प्रयोग विफल रहा. बिहार चुनाव में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गृह मंत्री अमित शाह ने प्रचार किया, जबकि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अंबाला में राफेल फाइटर जेट में उड़ान भरी. अमेज़न की बड़ी छंटनी और नागपुर में किसानों के कर्जमाफी के लिए हुए विरोध प्रदर्शन भी प्रमुख रहे.
Delhi में क्यों फेल हुई 'Cloud Seeding'? IIT कानपुर के साइंटिस्ट से जानिए
क्लाउड सीडिंग जादू नहीं, विज्ञान है. बादलों में नमी के बिना यह सिर्फ आधी सफलता देती है. कई बार नहीं भी देती है. दिल्ली जैसे पॉल्यूशन वाले शहरों के लिए यह उम्मीद की किरण है. लेकिन असली समाधान नहीं है. वैज्ञानिक कहते हैं कि "सही बादल + सही नमी = सफल बारिश". अगली बार, शायद दिल्ली की हवा साफ हो जाए.
दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए सरकार ने क्लाउड सीडिंग की. लेकिन यह कोशिश बेनतीजा रही. इस बीच मौसम वैज्ञानिक डॉ. अक्षय देओरास का कहना है कि फिलहाल मौसम की स्थिति इसके अनुकूल नहीं है. उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल रेन तभी संभव है जब बादलों में पर्याप्त नमी और ऊर्ध्वाधर विकास हो जो अभी दिल्ली में नहीं है.
दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए एक ऐतिहासिक पहल की दिशा में कदम बढ़ाया गया है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने घोषणा की कि राजधानी में पहली बार क्लाउड सीडिंग कराने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. इसकी सफल टेस्टिंग भी कर ली गई है.
AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली में क्लाउड सीडिंग ट्रायल फेल होने पर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'केंद्र पहले ही बता चुका था कि सर्दियों में यह मुमकिन नहीं.' AAP ने कहा कि विशेषज्ञों ने रसायनों के नुकसान की चेतावनी दी थी.
दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए कृत्रिम बारिश कराने की कोशिश नाकाम हो गई है. मंगलवार को IIT कानपुर की देखरेख में एक विमान के जरिए दो राउंड में फ्लेयर्स छोड़े गए, लेकिन दिल्ली में बादल नहीं बरसे। इस नाकामी पर सियासत शुरू हो गई और सौरभ भारद्वाज ने इसे एक फर्जीवाड़ा बताते हुए सरकार पर हमला बोला. वहीं, IIT कानपुर के डायरेक्टर मनिंदर अग्रवाल ने भी इसपर बात रखी.
दिल्ली में प्रदूषण से राहत के लिए की गई क्लाउड सीडिंग असफल रही, जिस पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि इस सरकार के सारे इंजन फेल हैं. वैज्ञानिकों ने क्लाउड सीडिंग फेल होने के पीछे की असल वजह बताई है.
दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए कृत्रिम बारिश का प्रयोग फ़िलहाल असफल रहा, जिसके बाद आम आदमी पार्टी और सरकार में सियासी घमासान छिड़ गया है। आप नेता सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली सरकार पर तंज कसते हुए कहा, 'इंद्र कराएंगे वर्षा और सरकार करेगी खर्चा।' मंगलवार को आईआईटी कानपुर द्वारा की गई क्लाउड सीडिंग के बाद भी राजधानी में बारिश नहीं हुई, जिसे लेकर आप ने इसे एक दिखावा बताया। हालांकि, आईआईटी कानपुर के निदेशक ने स्पष्ट किया कि बादलों में नमी की कमी (केवल 15%) के कारण वर्षा नहीं हुई, लेकिन इस प्रक्रिया से पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में 6 से 10 प्रतिशत तक की मामूली गिरावट दर्ज की गई। यह गिरावट हवा में मौजूद प्रदूषण के कणों के नमी सोखकर भारी होने के कारण हुई।
दिल्ली की बीजेपी सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश का दूसरा ट्रायल किया है. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसे आईआईटी कानपुर की मदद से अंजाम दिए जाने की पुष्टि की. इस प्रयास पर कटाक्ष करते हुए, विपक्षी आम आदमी पार्टी ने कहा, 'इनके साथ इंद्रदेवता भी नहीं है.'
दिल्ली में जानलेवा प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश कराने का प्रयास असफल होता दिखा. इस प्रयोग पर चर्चा के बीच, भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसे एक 'गैंबल' बताते हुए कहा कि 'जिस तरीके से क्लाउड सीडिंग होती है उसमें परमात्मा का भी साथ चाहिए, बादलों का भी साथ चाहिए.'
राजधानी दिल्ली में आज कृत्रिम बारिश का ट्रायल किया गया. ट्रायल के तीन घंटे बाद अब तक भी दिल्ली के किसी इलाके में बारिश की जानकारी सामने नहीं आई है. अधिकारियों का दावा था कि 15 मिनट से 4 घंटे के भीतर बारिश शुरू हो सकती है, लेकिन तीन घंटे बाद भी आसमान साफ नजर आ रहा है.
दिल्ली में जानलेवा प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश कराने का प्रयास असफल होता दिखा. इस प्रयोग पर चर्चा के बीच, भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसे एक 'गैंबल' बताते हुए कहा कि 'जिस तरीके से क्लाउड सीडिंग होती है उसमें परमात्मा का भी साथ चाहिए, बादलों का भी साथ चाहिए.'
आखिर Cloud Seeding के लिए सही Situation क्या होती है? समझते हैं
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग का ट्रायल शुरू हुआ है. दूसरा सफल ट्रायल सेसना प्लेन के जरिए मेरठ से दिल्ली के बीच किया गया. खेकड़ा, बुराड़ी और मयूर विहार जैसे इलाकों में 8 फ्लेयर का उपयोग हुआ.
Delhi-NCR में प्रदूषण कम करने के लिए दूसरा सफल क्लाउड सीडिंग ट्रायल पूरा हुआ. मेरठ से सेसना विमान द्वारा बुराड़ी, खेकड़ा और मयूर विहार क्षेत्रों में 8 फ्लेयर का उपयोग किया गया. कुछ घंटों में हल्की बारिश की उम्मीद है. यह कदम दिल्ली के बढ़ते AQI को कंट्रोल करने के लिए उठाया गया है.
असली बारिश से कितनी अलग होती है क्लाउड सीडिंग वाली आर्टिफिशियल रेन? अगर गड़बड़ हुई तो क्या होगा?
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग का दूसरा ट्रायल आज हुआ है. IIT कानपुर की टीम का मानना है कि अगले कुछ घंटों में किसी भी समय दिल्ली में बारिश हो सकती है. IIT कानपुर मीडिया सेल ने इस ट्रायल का वीडियो भी जारी किया है. इसमें फ्लेयर्स को निकलते देखा जा सकता है.