अग्नि मिसाइल
अग्नि मिसाइल (Agni Missile) भारत द्वारा विकसित मध्यम से अंतरमहाद्वीपीय दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों का एक परिवार है (Family of Medium to Intercontinental range Ballistic Missiles Developed by India). अग्नि मिसाइल लंबी दूरी की, परमाणु हथियार सक्षम, सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल हैं. श्रृंखला की पहली मिसाइल, अग्नि- I को एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के तहत विकसित किया गया था. इसकी सफलता के बाद, अग्नि मिसाइल कार्यक्रम को इसके रणनीतिक महत्व को महसूस करने पर IGMDP से अलग कर दिया गया था. इसे भारत के रक्षा बजट में एक विशेष कार्यक्रम के रूप में शामिल किया गया था. नवंबर 2019 तक, अग्नि श्रृंखला की मिसाइलों को लगातार सेवा में शामिल किया जा रहा है. अग्नि परिवार में निम्नलिखित मिसाइल शामिल हैं:
अग्नि-I ठोस-ईंधन वाली मिसाइल है, जिसका परीक्षण पहली बार 1989 में चांदीपुर में अंतरिम परीक्षण रेंज में किया गया था. यह 1,000 किलोग्राम या एक परमाणु हथियार के पारंपरिक पेलोड को ले जाने में सक्षम था (Agni-I Details).
अग्नि-II 2,000-3,500 किमी की मारक क्षमता के साथ 20 मीटर लंबा मिसाइल है, इसका व्यास एक मीटर है, और इसका वजन लगभग 18 टन है. अग्नि-II अपने दोनों चरणों में ठोस प्रणोदक का उपयोग करता है (Agni-II Details).
अग्नि-III मिसाइल दोनों चरणों में ठोस प्रणोदक का उपयोग करती है. 7 मई 2008 को भारत ने इस मिसाइल का सफल परीक्षण किया. अग्नि-III की मारक क्षमता 3,500 किमी है, और यह 1.5 टन का आयुध ले जा सकता है (Agni-III Details).
अग्नि- IV मिसाइलों की अग्नि श्रृंखला में चौथी है. अग्नि- IV का परीक्षण 19 सितंबर 2012 को उड़ीसा के तट पर व्हीलर द्वीप से किया गया था. इसकी मारक क्षमता 3,000-4,000 किमी है. यह 1 टन का वारहेड लेकर जा सकती है. यह ठोस प्रणोदक द्वारा संचालित दो चरणों वाली मिसाइल है. इसकी लंबाई 20 मीटर और प्रक्षेपण वजन 17 टन है. इसे एक रोड मोबाइल लॉन्चर से दागा जा सकता है (Agni-IV Details).
अग्नि-V भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक ठोस ईंधन वाली अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है. यह 5,500 किमी से अधिक दूरी तक लक्ष्य पर प्रहार कर सकती है. अग्नि- V का वजन लगभग 49 टन है. इसका दूसरा परीक्षण 15 सितंबर 2013 को व्हीलर द्वीप से सफलतापूर्वक किया गया (Agni-V Details).
अग्नि-VI एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल है. यह पनडुब्बियों के साथ-साथ जमीन से भी लॉन्च होने में सक्षम होगा, और MIRVed वारहेड्स के साथ 8,000-10,000 किमी की स्ट्राइक-रेंज होगी (Agni-VI Details).
भारत ने रेल आधारित मोबाइल लॉन्चर सिस्टम से इंटरमीडिएट रेंज अग्नि प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जानकारी साझा करते हुए लिखा कि अगली पीढ़ी की यह मिसाइल 2000 किलोमीटर तक की दूरी को कवर करने के लिए डिजाइन की गई है.
भारत ने अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया. डीआरडीओ ने ओडिशा के चांदीपुर से रेल मोबाइल लॉन्चर से इसे दागा. यह 2000 किमी रेंज वाली नई पीढ़ी की मिसाइल है, जो सटीक निशाना लगाती है. तेजी से लॉन्च होती है. कैनिस्टर डिजाइन से मिसाइल मौसम से सुरक्षित रहती है.
DRDO ने ओडिशा के चांदीपुर से रेल मोबाइल लॉन्चर से अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया. 2000 किलोमीटर रेंज वाली यह आधुनिक मिसाइल भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल करती है जिनके पास कैनिस्टराइज्ड रेल लॉन्च सिस्टम है.
भारत ने अग्नि-प्राइम मिसाइल का पहला रेल लॉन्चर टेस्ट सफलतापूर्वक किया. डीआरडीओ ने ओडिशा के चांदीपुर से 2000 किमी रेंज वाली इस नई मिसाइल को दागा. कैनिस्टर डिजाइन से तेज और सुरक्षित लॉन्च हुआ. रेल पर चलते हुए हमला संभव, दुश्मन को चकमा देना आसान.
भारत 24-25 सितंबर को बंगाल की खाड़ी में एक बड़े रणनीतिक मिसाइल परीक्षण की तैयारी कर रहा है. NOTAM जारी हुआ है, जिसमें 1400 किमी से ज्यादा का नो-फ्लाई जोन बनाया गया है. यह परीक्षण अब्दुल कलाम द्वीप से होगा. संभवतः अग्नि-प्राइम मिसाइल का टेस्ट होगा, जो भारत की रक्षा ताकत को और मजबूत करेगा. DRDO क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों के लिए तैयार है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं को पांच साल के युद्ध के लिए तैयार रहने का लक्ष्य दिया. सेना को हथियार भंडारण, सीमा ढांचा और AI प्रशिक्षण बढ़ाना होगा. नौसेना को युद्धपोत और मिसाइलें, वायुसेना को फाइटर जेट और ड्रोन मजबूत करने होंगे. थिएटर कमांड और स्वदेशी तकनीक से भारत आत्मनिर्भर बनेगा, ताकि लंबे युद्धों में भी मजबूत रहे.
भारत ने अपनी सैन्य क्षमताओं में महत्वपूर्ण वृद्धि की है. अग्नि-1 और पृथ्वी-2 मिसाइलों का सफल परीक्षण हुआ है. गुरुवार, 17 जुलाई 2025 को ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से पृथ्वी-2 और अग्नि-1 ब्लास्टिक मिसाइलों का सफल परीक्षण किया गया.
भारत ने 16-17 जुलाई को आकाश-प्राइम, पृथ्वी-2 और अग्नि-1 मिसाइलों के सफल टेस्ट किए. आकाश-प्राइम लद्दाख में 4,500 मीटर ऊंचाई पर चमका, जबकि पृथ्वी-द्वितीय (350 किमी) और अग्नि-प्रथम (700 किमी) ओडिशा में. 24 घंटे में तीन महत्वपूर्ण मिसाइल टेस्ट करके भारत ने अपनी ताकत दुनिया के सामने रख दी.
अग्नि-V के ओरिजिनल वर्जन की तुलना में दोनों नए वर्जन की मारक क्षमता 2500 किलोमीटर होगी, लेकिन उनकी विध्वंसक क्षमता और सटीकता उन्हें भारत के सामरिक शस्त्रागार में उपलब्ध एक दुर्जेय हथियार बनाएगी.
अग्नि-V का नया पारंपरिक वैरिएंट भारत की रक्षा रणनीति में एक क्रांतिकारी कदम है. 7.5 टन का वारहेड, एयरबर्स्ट और बंकर-बस्टर वैरिएंट और 2000-2500 किमी की रेंज के साथ यह मिसाइल पाकिस्तान और चीन के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने में सक्षम होगी. यह भारत की नो-फर्स्ट-यूज नीति को मजबूत करेगा. क्षेत्रीय संतुलन को बनाए रखेगा.
देश के मशहूर साइंटिस्ट और अग्नि मिसाइलों के जनक डॉ. राम नारायण अग्रवाल नहीं रहे. पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित डॉ. अग्रवाल को लोग प्यार से 'अग्नि अग्रवाल' भी कहते थे. इन्होंने ही भारत की लंबी दूरी की मिसाइलों का प्रोग्राम बनाया. साथ ही उन्हें बनाया भी. अग्नि सीरीज मिसाइल इन्हीं की शुरूआत थी.
DRDO ने 3 अप्रैल 2024 की रात में ओओडिशा के तट पर न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल Agni-Prime का सफल परीक्षण किया. यह एक नाइट टेस्ट था. 2000 km रेंज की यह मिसाइल जल्द ही सेना में शामिल होगी. यह अग्नि-1 मिसाइल की जगह लेगी. आइए जानते हैं इस मिसाइल की ताकत?
Agni-V मिसाइल के परीक्षण के बाद पाकिस्तान डरा हुआ है. उसे लगता है कि भारत अपने परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ा रहा है. या जल्द ही बढ़ाएगा. क्योंकि अग्नि-5 में लगी MIRV तकनीक के लिए ज्यादा हथियारों की जरूरत पड़ेगी. पाकिस्तान रक्षा विशेषज्ञ ने इस पर एक लेख लिखकर पाक के भय को उजागर किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार शाम को मिशन दिव्यास्त्र के लिए DRDO को बधाई दी. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमारे डीआरडीओ वैज्ञानिकों पर गर्व है. 2022 में भी भारत की सबसे ताकतवर मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था. तब इसने टारगेट को 5500 किलोमीटर दूर जाकर ध्वस्त कर दिया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार शाम को मिशन दिव्यास्त्र के लिए DRDO को बधाई दी. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, मिशन दिव्यास्त्र के लिए हमारे डीआरडीओ वैज्ञानिकों पर गर्व है. 2022 में भी भारत की सबसे ताकतवर मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था. तब इसने टारगेट को 5500 किलोमीटर दूर जाकर ध्वस्त कर दिया था.
DRDO इस बार गणतंत्र दिवस परेड पर अपनी महिला वैज्ञानिकों की शक्ति और मिसाइलों की ताकत दिखाने वाला है. साथ ही वह सेना में इस्तेमाल होने वाले स्वदेशी हथियारों, तकनीकों और राडारों का भी प्रदर्शन करेगा. जानिए इस बार डीआरडीओ की झांकी में क्या-क्या दिखने वाला है?
भारतीय मिलिट्री इस समय भविष्य के लिए स्वदेशी हथियार बना रही है. ऐसे हथियार जिनके बारे में सोचकर चीन और पाकिस्तान अभी से खौफ में हैं. स्वदेशी हथियारों का फायदा ये होता है कि उनकी तकनीक के बारे में दुश्मन देशों को कुछ पता नहीं होता. या बेहद कम पता होता है. जिसका फायदा देश और उसकी सीमाओं की सुरक्षा के लिए मिलता है.
अग्नि-1 मिसाइल यह सिंगल स्टेज की मिसाइल है, जिसे करगिल युद्ध के बाद विकसित किया गया था. यह एक कम से मध्यम दूरी की मिसाइल है. यानी इसे शॉर्ट रेंज से लेकर मीडियम रेंज तक के लिए दाग सकते हैं. यानी 250 किलोमीटर से लेकर 2500 किलोमीटर की रेंज के बीच इसे दागा जा सकता है.
भारत की नए जेनरेशन की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि प्राइम का डीआरडीओ ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आइलैंड पर सफल परीक्षण किया. परीक्षण में सटीकता, रडार सिस्टम, टेलिमेट्री आदि की जांच की गई. सभी मानकों पर मिसाइल खरी उतरी. आइए जानते हैं इस मिसाइल की ताकत, रेंज और स्पीड?
भारत की स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड (Strategic Forces Command) के पास एक ऐसी मिसाइल है जिसकी खासियत जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। इसका नाम है अग्नि-प्राइम मिसाइल (Agni Prime Missile)। ये एक मीडियम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल (Ballistic Missile) है। इसे अग्नि-पी (Agni-P Missile) के नाम से भी बुलाते हैं। जानिए इस खतरनाक मिसाइल की खासियत.
भारत बहुत जल्द एक ऐसी परमाणु मिसाइल का टेस्ट करने जा रहा है, जो एक साथ दुश्मन के कई टारगेट को तबाह कर सकती है. इस मिसाइल का नाम है अग्नि-प्राइम. अग्नि सीरीज की मिसाइलों में से ये बेहद घातक, आधुनिक और मीडियम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल हैं. आइए जानते हैं कि इस मिसाइल से देश की ताकत कितनी बढ़ेगी?