दिल्ली के क्रिकेट में एक कहावत है कि आप तभी सफल हो सकते है जब व्यवस्था आपके खिलाफ होती है और अंडर-19 वर्ल्ड कप के फाइनल में 'मैन ऑफ द मैच' रहे मनजोत कालरा इसके सटीक उदाहरण है.
दिग्गज वीरेन्द्र सहवाग से विराट कोहली तक सब की दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) से जूनियर या सीनियर स्तर पर कोई ना कोई शिकायत जरूर रही है. कोहली ने यहां तक कहा था कि वह उस वक्त काफी निराश हुए थे जब रनों का अंबार लगाने के बाद भी दिल्ली अंडर-15 टीम में उनका चयन नहीं हुआ था.
पीटीआई के मुताबिक कालरा का मामला भी ज्यादा अलग नहीं है, उन पर उम्र संबंधी धोखाधड़ी का आरोप लगा. कुछ अभिभावकों ने डीडीसीए प्रशासक सेवानिवृत न्यायाधीश विक्रमजीत सेन से मनजोत के खिलाफ शिकायत की. डीडीसीए के एक धड़े ने कई जूनियर क्रिकेटरों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया जिसमें मनजोत का भी नाम था.
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हालांकि इससे पहले बीसीसीआई ने उनका आयु-सत्यापन परीक्षण करा लिया था जिसमें वह सफल रहे. दिल्ली अंडर-19 टीम में चयन के लिए उनसे फिर से चिकित्सा रिपोर्ट देने के लिए कहा गया, जबकि वह भारत के अंडर-19 वर्ल्ड कप टीम के संभावितों में शामिल थे.
इसके बाद दिल्ली के चयनकर्ताओं ने रणजी सत्र के लिए टीम में उनका चयन यह कहते हुए नहीं किया कि अंडर-19 टीम को उनकी ज्यादा जरूरत हैं. यह ऐसा समय था जब अंडर-19 टीम के कोच राहुल द्रविड़ चाहते थे कि ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी रणजी मैच खेले.
मनजोत के चचरे भाई चेतन कालरा ने बताया कि, ‘झूठी पुलिस शिकायतें दायर होने के कारण हमारे लिए मुश्किल समय था. लेकिन सच्चाई की जीत हुई क्योंकि हमे मनजोत के बारे में पता था. उसके पिता और भाई हितेश ने बहुत त्याग किया है और उसकी सफलता के पिछे उनका हाथ है.
मनजोत के कोच संजय भारद्वाज ने पीटीआई से बातचीत में उसकी तारीफ करते हुए कहा, ‘वह मेरे पास छह साल पहले भरत नगर क्रिकेट अकादमी में आया था. उसमें कौशल के साथ हाथ और आंख का शानदार समन्वय था. आयु-वर्ग क्रिकेट में उसने काफी रन बनाए है और उसके प्रदर्शन से मैं आश्चर्यचकित नहीं हूं.'