53 साल पुराना एक सोवियत अंतरिक्ष यान जो शुक्र ग्रह पर उतरने के लिए बनाया गया था, अगले हफ्ते के अंत में पृथ्वी पर अनियंत्रित रूप से गिरने वाला है. इस यान का नाम कोस्मोस 482 (Kosmos 482) है. यह सोवियत संघ के वेनरा कार्यक्रम का हिस्सा था. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह यान 10 मई 2025 के आसपास पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा, लेकिन यह कहां गिरेगा, इसका कोई सटीक अनुमान नहीं है.
कोस्मोस 482: शुक्र के लिए बनाया गया यान
कोस्मोस 482 को 1972 में सोवियत संघ ने लॉन्च किया था. यह यान वेनरा कार्यक्रम के तहत बनाया गया था, जिसका उद्देश्य शुक्र ग्रह की सतह से डेटा एकत्र करना था. यह यान वेनरा 8 का सहयोगी यान था, जिसने जुलाई 1972 में शुक्र की सतह पर उतरकर 50 मिनट तक डेटा भेजा था.
शुक्र का वातावरण अत्यधिक गर्म और विषैला है. कोस्मोस 482 का लैंडर हिस्सा इसी कठिन परिस्थिति को झेलने के लिए डिजाइन किया गया था. हालांकि, कोस्मोस 482 अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच सका. इसे अंतरिक्ष में ले जाने वाले सोयुज रॉकेट के ऊपरी हिस्से में खराबी आ गई, जिसके कारण यान को शुक्र तक पहुंचने के लिए आवश्यक गति नहीं मिली. यह यान पृथ्वी की एक अंडाकार कक्षा में फंस गया.
50 साल बाद पृथ्वी पर वापसी
लॉन्च के बाद कोस्मोस 482 दो हिस्सों में बंट गया: मुख्य बॉडी और लैंडर. मुख्य बॉडी 1981 में पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करके नष्ट हो गई, लेकिन लैंडर हिस्सा पिछले 50 वर्षों से पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहा है. अब, नीदरलैंड्स के डेल्फ्ट टेक्निकल यूनिवर्सिटी में अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता के लेक्चरर मार्को लैंगब्रोक ने टेलीस्कोप विश्लेषण के आधार पर खुलासा किया है कि यह लैंडर जल्द ही पृथ्वी पर वापस आएगा.
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लैंगब्रोक के अनुसार यह 495 किलोग्राम वजनी और 1 मीटर चौड़ा लैंडर 10 मई 2025 के आसपास पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा. यह अनुमान कुछ दिनों की अनिश्चितता के साथ है. सबसे खास बात यह है कि यह लैंडर शुक्र के कठोर वातावरण को झेलने के लिए बनाया गया था, इसलिए यह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान भी बिना टूटे रह सकता है. संभावित रूप से सतह पर बरकरार गिर सकता है.
कहां गिरेगा कोस्मोस 482?
लैंगब्रोक ने बताया कि कोस्मोस 482 की कक्षा का झुकाव 52 डिग्री है, जिसका मतलब है कि यह 52 डिग्री उत्तरी अक्षांश से 52 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के बीच कहीं भी गिर सकता है. इसमें दक्षिणी और मध्य-अक्षांश यूरोप, एशिया, अमेरिका, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे क्षेत्र शामिल हैं.
हालांकि, सबसे अधिक संभावना यह है कि यह किसी महासागर में गिरेगा जैसा कि 2011 में रूस के असफल फोबोस-ग्रंट मिशन के साथ हुआ था. लैंगब्रोक ने इसकी तुलना एक उल्कापिंड से की है, क्योंकि यह लैंडर लगभग 242 किमी/घंटा की रफ्तार से पृथ्वी की सतह से टकरा सकता है.
जोखिम और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
कोस्मोस 482 का अनियंत्रित पुन:प्रवेश कई सवाल उठाता है. यह लैंडर जो शुक्र की सतह के लिए बनाया गया था, पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान पूरी तरह जलने के बजाय बरकरार रह सकता है. यदि यह सतह पर गिरता है, तो यह संपत्ति या लोगों के लिए खतरा पैदा कर सकता है. हालांकि पृथ्वी का 70% हिस्सा महासागरों से ढका है, इसलिए इसके समुद्र में गिरने की संभावना अधिक है. अंतरिक्ष वैज्ञानिक और उपग्रह ट्रैकर्स इस यान की गति को लगातार मॉनिटर कर रहे हैं, ताकि इसके पुन:प्रवेश का समय और संभावित प्रभाव क्षेत्र का सटीक अनुमान लगाया जा सके.
वेनरा कार्यक्रम का ऐतिहासिक महत्व
वेनरा कार्यक्रम सोवियत संघ की अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी. इस कार्यक्रम के तहत कई यान शुक्र ग्रह पर भेजे गए, जिनमें वेनरा 7 और वेनरा 8 ने ग्रह की सतह से महत्वपूर्ण डेटा भेजा. कोस्मोस 482 इस कार्यक्रम का हिस्सा था, लेकिन तकनीकी खराबी ने इसे असफल कर दिया. फिर भी, यह यान उस समय की इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षमताओं का प्रतीक है.