पाकिस्तान की हथियारों की धमकियां, खून बहाने की बातें और सहयोगियों से मदद की गुहार नाकाम रही हैं. चीन और तुर्की से सीमित समर्थन मिला. ईरान और सऊदी अरब जैसे देशों की तटस्थता ने पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग कर दिया. अब अमेरिका से मदद की गुहार लगाना पाकिस्तान की मजबूरी है, क्योंकि वह जानता है कि भारत के साथ सैन्य टकराव में वह टिक नहीं सकता.
दूसरी ओर, भारत ने सैन्य और कूटनीतिक मोर्चे पर मजबूत रुख अपनाया है. पहलगाम हमले के बाद उसका ध्यान आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने पर है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय विशेष रूप से अमेरिका इस तनाव को कम करने में मध्यस्थता कर सकता है, लेकिन पाकिस्तान को अपनी आतंकवाद-प्रायोजित नीतियों पर पुनर्विचार करना होगा. अगर वह ऐसा नहीं करता तो भारत की चेतावनियां—जैसा कि पीएम मोदी ने कहा—सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि कार्रवाई में बदल सकती हैं.
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पहलगाम हमला और बढ़ता तनाव
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बैसरन घाटी में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों की गोली मारकर हत्या कर दी. भारत ने इस हमले का जवाब सख्त कूटनीतिक और रणनीतिक कदमों के साथ दिया. इसमें 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी चेकपोस्ट बंद करना और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा सेवाएं रोकना शामिल है.
पाकिस्तान ने भारत के इन कदमों को "युद्ध की कार्रवाई" करार दिया. जवाब में शिमला समझौते को स्थगित करने, भारतीय उड़ानों के लिए हवाई क्षेत्र बंद करने और परमाणु हथियारों की धमकी देने जैसे कदम उठाए. पाकिस्तानी नेताओं, जैसे रेल मंत्री हनीफ अब्बासी और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भड़काऊ बयान दिए, जिसमें गौरी, शाहीन, गजनवी मिसाइलों और 130 परमाणु हथियारों का जिक्र किया गया.
पाकिस्तान की धमकियां और रणनीति
1. हथियारों की गीदड़भभकी
पाकिस्तान ने भारत को अपनी मिसाइलों और परमाणु हथियारों की ताकत दिखाने की कोशिश की। रेल मंत्री हनीफ अब्बासी ने दावा किया कि पाकिस्तान के पास "दुनिया का सबसे शक्तिशाली परमाणु बम" है और सभी मिसाइलें भारत की ओर लक्षित हैं. पूर्व राजनयिक अब्दुल बासित ने भी कहा कि अगर भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान या PoK पर कब्जा करने की कोशिश की, तो पाकिस्तान सामरिक परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है.
हालांकि, रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ये धमकियां ज्यादातर प्रचार और मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश हैं. अंतरराष्ट्रीय इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की सैन्य शक्ति—12 लाख सक्रिय सैन्यकर्मी, 730+ लड़ाकू विमान और त्रिस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली—पाकिस्तान की तुलना में कहीं अधिक है. इसके अलावा, भारत का रक्षा बजट ($78.7 बिलियन) पाकिस्तान ($7.6 बिलियन) से दस गुना ज्यादा है.
2. खून बहाने की धमकी
पाकिस्तानी नेताओं ने सिंधु जल संधि के निलंबन को युद्ध का उकसावा करार दिया. बिलावल भुट्टो ने कहा कि अगर भारत ने पानी रोका, तो "सिंधु नदी में भारतीयों का खून बहेगा". एक पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक ने भी कहा, "अगर पानी नहीं बहेगा, तो खून जरूर बहेगा". भारत ने इन धमकियों का जवाब देते हुए कहा कि पाकिस्तान को इसकी "भारी कीमत" चुकानी पड़ेगी. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने चेतावनी दी कि यह "सिर्फ शुरुआत" है.
3. चीन, ईरान और तुर्की से मदद की गुहार
चीन: पाकिस्तान ने दावा किया कि चीन ने उसकी संप्रभुता और सुरक्षा हितों की रक्षा का आश्वासन दिया है. खबरों के अनुसार चीन ने आपात स्थिति में PL-15 मिसाइलें भी भेजीं, जो पाकिस्तान के JF-17 लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल हो सकती हैं. हालांकि, भारतीय सेना के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) यूबीएस कलिता ने कहा कि गलवान 2020 की घटना के बाद भारत-चीन संबंधों और भू-राजनीतिक जटिलताओं को देखते हुए चीन के सीधे हस्तक्षेप की संभावना कम है.
तुर्की: तुर्की ने कथित तौर पर पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति की, जिसमें C-130 हरक्यूलिस सैन्य परिवहन विमानों के जरिए हथियार और ड्रोन (जैसे Bayraktar TB2) शामिल हो सकते हैं. हालांकि, तुर्की ने बाद में इन खबरों का खंडन किया और कहा कि केवल एक विमान ईंधन भरने के लिए पाकिस्तान में रुका था. तुर्की का यह कदम भारत के लिए निराशाजनक था, क्योंकि भारत ने 2023 के भूकंप के दौरान तुर्की की मदद की थी.
ईरान: ईरान ने भारत-पाकिस्तान तनाव में तटस्थ रुख अपनाया. दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश की. ईरान की यह तटस्थता पाकिस्तान के लिए एक झटका थी, क्योंकि वह इस्लामिक एकजुटता के नाम पर समर्थन की उम्मीद कर रहा था.
अजरबैजान: पाकिस्तान ने दावा किया कि अजरबैजान ने भी उसका समर्थन किया है. हालांकि, अजरबैजान भारत से भी हथियार खरीदता है, जिससे उसका रुख संदिग्ध है.
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4. अन्य मुस्लिम देशों का रुख
पाकिस्तान को उम्मीद थी कि सऊदी अरब और अन्य मुस्लिम देश उसका खुलकर समर्थन करेंगे. हालांकि, सऊदी अरब ने भी तटस्थ रुख अपनाया. दोनों देशों से तनाव कम करने की अपील की. किसी भी प्रमुख मुस्लिम देश ने पाकिस्तान का खुला समर्थन नहीं किया, जिससे उसकी कूटनीतिक अलगाव की स्थिति स्पष्ट हुई.
अमेरिका से मदद की गुहार
जब पाकिस्तान की धमकियां और सहयोगियों से मदद की उम्मीदें नाकाम रहीं, तो उसने अमेरिका की ओर रुख किया. पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चीन और अमेरिका को लेकर एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने दोनों देशों से समर्थन की अपील की.
कूटनीतिक दबाव: पाकिस्तान जानता है कि भारत के साथ युद्ध की स्थिति में वह अकेले टिक नहीं सकता. अमेरिका जो में एक प्रमुख शक्ति है, तनाव को कम करने में मध्यस्थता कर सकता है.
आर्थिक निर्भरता: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में है, जिसमें 24% की मुद्रास्फीति दर और खाद्य वस्तुओं की कमी शामिल है. वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और अमेरिकी वित्तीय सहायता पर निर्भर है.
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सैन्य समर्थन: अमेरिका ने अतीत में पाकिस्तान को सैन्य सहायता प्रदान की है, हालांकि हाल के वर्षों में यह कम हुई है. पाकिस्तान को उम्मीद है कि अमेरिका भारत पर दबाव डालकर तनाव को कम कर सकता है.
अमेरिका ने इस मामले में तटस्थ रुख अपनाया है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने 2024 में पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम में मदद करने वाली चीनी और बेलारूसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए थे, जिससे संकेत मिलता है कि वह पाकिस्तान की सैन्य महत्वाकांक्षाओं को लेकर सतर्क है. इसके अलावा, भारत के साथ अमेरिका के मजबूत रक्षा संबंध—पिछले पांच वर्षों में $20 बिलियन के हथियारों की खरीद—पाकिस्तान की उम्मीदों को कमजोर करते हैं.
पाकिस्तान की रणनीति क्यों नाकाम रही?
कूटनीतिक अलगाव: पाकिस्तान को अपने पारंपरिक सहयोगियों से अपेक्षित समर्थन नहीं मिला. ईरान और सऊदी अरब जैसे देशों ने तटस्थता बरती, जबकि तुर्की की कथित मदद सीमित और विवादास्पद रही.
सैन्य असंतुलन: भारत की सैन्य शक्ति और रक्षा बजट पाकिस्तान से कहीं आगे हैं. भारतीय वायुसेना के पास राफेल, तेजस, और Su-30 MKI जैसे आधुनिक विमान हैं, जबकि पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली सीमित है.
आर्थिक कमजोरी: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है. वह सैन्य संघर्ष को लंबे समय तक नहीं झेल सकता.
आतंकवाद का मुद्दा: पहलगाम हमले में पाकिस्तान का कनेक्शन सामने आने के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उसकी विश्वसनीयता कम हुई है. भारत ने इस हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों को सजा देने का वादा किया है, जिससे पाकिस्तान दबाव में है.
भारत का रुख
भारत ने पाकिस्तान की धमकियों को गंभीरता से लिया है, लेकिन उसका जवाब सख्त और रणनीतिक रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंकी कहीं भी छिपे हो, ढूंढकर सजा दी जाएगी. भारत ने अरब सागर में एक विमानवाहक पोत तैनात किया है, जो पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के लिए खतरा बन सकता है. इसके अलावा, भारत 26 राफेल-M लड़ाकू विमानों की खरीद पर डील कर चुका है.
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सैन्य संघर्ष होता है, तो भारत की रणनीतिक और सैन्य बढ़त पाकिस्तान पर भारी पड़ेगी. भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत किया है, जिसमें 15 दिनों तक गहन युद्ध के लिए गोला-बारूद का भंडार शामिल है.