भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का गगनयान मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है. इसरो के चेयरमैन वी. नारायणन ने गुरुवार को कहा कि विकास कार्य का लगभग 90 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाएंगे.
ये मिशन भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा. ये जानकारी इसरो चेयरमैन वी. नारायणन के बयान पर आधारित है, जो दिल्ली में 3-5 नवंबर 2025 को होने वाले इमर्जिंग साइंस, टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन कॉन्क्लेव (ESTIC-2025) के प्रचार कार्यक्रम के दौरान कही गई.
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गगनयान भारत का महत्वाकांक्षी मिशन है, जो अंतरिक्ष में मानव भेजने का सपना पूरा करेगा. ये चंद्रयान या मंगलयान जैसा नहीं, बल्कि इसमें जीवित लोग अंतरिक्ष जाएंगे. मिशन का लक्ष्य कम से कम तीन दिनों तक अंतरिक्ष में रहना है. अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाएंगे. इसरो चेयरमैन ने कहा कि गगनयान मिशन बहुत अच्छा चल रहा है. इसमें कई नई तकनीकों का विकास करना पड़ता है. मुख्य तकनीकें हैं...
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इसरो चेयरमैन ने बताया कि विकास कार्य का करीब 90 प्रतिशत हो चुका है. बाकी काम पर तेजी से काम चल रहा है. अब मानव मिशन से पहले तीन बिना मानव वाली उड़ानें (अनक्रूड मिशन) करनी हैं. हम उसी की तैयारी कर रहे हैं.

गगनयान के लिए एक बड़ा परीक्षण हाल ही में हुआ. 24 अगस्त 2025 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में पहला इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट किया गया. इसरो ने कहा कि ये टेस्ट क्रू मॉड्यूल के पैराशूट-आधारित डिकेलरेशन सिस्टम का जांच था.
चेयरमैन ने कहा कि मिशन के आखिरी चरण में क्रू मॉड्यूल लौटते समय नौ पैराशूट एक साथ काम करने चाहिए. ये टेस्ट उसी की पुष्टि करता है. ये परीक्षा गगनयान की सुरक्षा को मजबूत बनाती है. अगर पैराशूट फेल हो गए, तो अंतरिक्ष यात्री खतरे में पड़ सकते थे.
चेयरमैन का बयान ESTIC-2025 के प्रचार कार्यक्रम के दौरान आया. ये कॉन्क्लेव 3 से 5 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में होगा. यहां उभरते विज्ञान, तकनीक और इनोवेशन पर चर्चा होगी. गगनयान जैसे मिशन इसी तरह की इनोवेशन को बढ़ावा देते हैं.