गगनयान
गगनयान (Gaganyaan) भारतीय चालक दल वाला कक्षीय अंतरिक्षयान है. यह भारतीय मानव अंतरिक्षयान प्रोग्राम (Indian Human Spaceflight Programme) का प्रारंभिक अंतरिक्षयान है. गगनयान को तीन लोगों को ले जाने के लिए डिजाइन किया जा रहा है. यह यान नियोजित उन्नत संस्करण और डॉकिंग क्षमता से लैस होगा.
अपने पहले चालक दल के मिशन में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के बड़े पैमाने पर ऑटोनोमस 5.3 मीट्रिक टन कैप्सूल दो या तीन-व्यक्ति चालक दल के साथ, सात दिनों तक 400 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करेगा. पहले चालक दल के मिशन को मूल रूप से दिसंबर 2021 में इसरो के GSLV MK III पर लॉन्च करने की योजना थी, लेकिन अब इसे 2023 से पहले नहीं किया जा सकेगा (Gaganyaan Launch Date).
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) निर्मित क्रू मॉड्यूल ने 18 दिसंबर 2014 को अपनी पहली गैर-क्रू प्रायोगिक उड़ान भरी थी. मई 2019 तक, क्रू मॉड्यूल का डिजाइन पूरा कर लिया गया है. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) महत्वपूर्ण मानव-केंद्रित प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों जैसे अंतरिक्ष ग्रेड भोजन, चालक दल स्वास्थ्य देखभाल, विकिरण माप और सुरक्षा, चालक दल के मॉड्यूल की सुरक्षित वसूली के लिए पैराशूट और अग्नि शमन प्रणाली के लिए सहायता प्रदान करेगा.
11 जून 2020 को, यह घोषणा की गई थी कि भारत में COVID-19 महामारी के कारण पहले बिना चालक दल के गगनयान प्रक्षेपण में देरी हुई है, लेकिन अब चालक दल के प्रक्षेपण की समयरेखा अप्रभावित रहने की उम्मीद है (Delay of launching Gaganyaan ).
11 अप्रैल 1984 को राकेश शर्मा सोयुज T-10 के गोलाकार डिसेंट कैप्सूल (2.2 मीटर व्यास, 2950 किलो) में कजाकिस्तान में सुरक्षित उतरे. 1650°C गर्मी, 7.5G दबाव सहते हुए पैराशूट और रेट्रो रॉकेट से लैंडिंग हुई. यही कैप्सूल भारत की अंतरिक्ष यात्रा का पहला कदम था. आज वह रूस में संरक्षित है. दिल्ली के नेहरू प्लेनेटेरियम इसकी 1:1 अनुपात का रेप्लिका रखा है.
रूस ने इसरो को RD-191M सेमी-क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन की 100% तकनीक दे सकता है. LVM3 रॉकेट में इस्तेमाल होने से GTO पेलोड 4.2 टन से बढ़कर 6.5-7 टन हो जाएगा. भारत में ही बनेगा यह इंजन. गगनयान व भारी उपग्रह मिशनों को बड़ा बढ़ावा मिलेगा.
इसरो चेयरमैन वी. नारायणन ने कहा कि गगनयान मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है. विकास कार्य 90% पूरा हो चुका है. मानव-रेटेड रॉकेट, क्रू मॉड्यूल, सुरक्षा सिस्टम बन गए हैं. तीन अनक्रूड मिशन पहले, पहला व्योममित्र रोबोट के साथ होगा. 24 अगस्त 2025 को पैराशूट टेस्ट सफल हुआ था. 2027 के शुरुआत में चार अंतरिक्ष यात्री उड़ान भरेंगे. भारत का पहला मानव अंतरिक्ष सफर होगा.
ISRO का AI रोबोट व्योममित्र गगनयान G1 मिशन में दिसंबर 2025 को लॉन्च होगा. व्योममित्र इंसान की जगह लेगा – फ्लाइट एनालिसिस, पर्यावरण मॉनिटरिंग, कंट्रोल ऑपरेट करेगा. हिंदी-इंग्लिश में बातचीत, माइक्रोग्रैविटी एक्सपेरिमेंट. 2027 के क्रूड मिशन के लिए डेटा इकट्ठा करेगा. यह स्वदेशी इनोवेशन का प्रतीक, सुरक्षित स्पेसफ्लाइट सुनिश्चित करेगा.
भारतीय एस्ट्रोनॉट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इंडिया टुडे कॉनक्लेव में कहा कि स्पेस में तिरंगा फहराना सबसे बड़ा अचीवमेंट था. मिग-21 से ड्रैगन तक की उड़ान का अनुभव साझा किया. हार से सीख मिलती है. प्रयोगों से स्टेम सेल और फूड सिक्योरिटी को फायदा. गगनयान 2027 में, चांद पर 2040 में पहुंचेंगे.
इसरो ने गगनयान मिशन के लिए विकसित पैराशूट आधारित डीसेलेरेशन सिस्टम का पहला इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट श्रीहरिकोटा में सफलतापूर्वक किया. ये सिस्टम क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करेगा. परीक्षण इसरो, भारतीय वायुसेना, DRDO, नौसेना और तटरक्षक बल के सहयोग से हुआ.
नेशनल स्पेस डे पर PM मोदी ने कहा कि भारत स्पेस टेक्नोलॉजी में तेजी से आगे बढ़ रहा है और गगनयान और स्पेस स्टेशन जैसे बड़े मिशन पूरे करेगा. ISRO चेयरमैन वी नारायणन ने भी Chandrayaan-4, Venus Orbiter Mission और 2040 तक चंद्रमा से वापसी जैसे लक्ष्यों की घोषणा की.
राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा को गर्व के साथ प्रदर्शित किया. PSLV की शुरुआत से लेकर गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन तक, इसरो ने दुनिया को दिखाया कि भारत अंतरिक्ष में कितना सक्षम है. चंद्रयान-3 की सफलता ने नई पीढ़ी को प्रेरित किया. BAS जैसे प्रोजेक्ट भारत को अंतरिक्ष महाशक्ति बनाएंगे.
इसरो ने राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025 पर भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का मॉडल पेश किया. 2028 में पहला मॉड्यूल और 2035 तक पूरा स्टेशन बनेगा. BAS-01 का वजन 10 टन होगा. यह 450 किमी ऊपर होगा. यह स्वदेशी तकनीक, वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतरिक्ष पर्यटन को बढ़ावा देगा. भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल होगा, जो अंतरिक्ष स्टेशन चलाते हैं.
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा और वापसी भारत के अंतरिक्ष इतिहास में गर्व का क्षण है. रविवार को भारत लौटने के बाद वे पीएम मोदी से मिलेंगे. फिर लखनऊ जाएंगे. उनकी कहानी न सिर्फ देशवासियों को प्रेरित करती है, बल्कि भारत को अंतरिक्ष में नई ऊंचाइयों तक ले जाने का संदेश भी देती है.
शुभांशु की वापसी पर प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं पूरे देश के साथ ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का उनकी ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा से पृथ्वी पर वापसी के लिए स्वागत करता हूं. शुभांशु ने अपने समर्पण, साहस से अरबों सपनों को प्रेरित किया है. ये हमारी अपनी मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन गगनयान की दिशा में एक मील का पत्थर है.”
इसरो ने गगनयान मिशन के SMPS का विकास पूरा किया. 350 सेकंड का हॉट टेस्ट सफल रहा. SMPS ऑर्बिट सर्कुलराइजेशन और मिशन रद्द करने में मदद करेगा. LAM इंजन और RCS थ्रस्टर्स मुख्य हैं. 25 टेस्ट 14331 सेकंड के लिए किए गए. LPSC ने डिज़ाइन किया, IPRC में टेस्ट हुए.
पीएम मोदी ने वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण सम्मेलन में भारत की स्पेस एजेंसी इसरो की तारीफ की. उन्होंने भारत के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाले पहले राष्ट्र बनने का जिक्र किया. पीएम मोदी ने भविष्य की योजनाओं में गगनयान मिशन, 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय उपस्थिति के बारे में बताया.
शुभांशु शुक्ला की भागीदारी ग्लोबल स्पेस रिसर्च में भारत की बढ़ती भूमिका को दिखाती है, जो राकेश शर्मा के नक्शेकदम पर चल रही है, जिन्हें 1984 में अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बनने का गौरव हासिल है.
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने बुधवार को लोकसभा में ये जानकारी दी है कि सरकार की योजना में भारत नाम से अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की है. उन्होंने ये भी कहा है कि 2040 में चांद पर भारतीय मूल का व्यक्ति कदम रखेगा.
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला Axiom-4 Mission के लिए मुख्य पायलट के रूप में चुना गया है, जो मार्च से मई 2025 के बीच में होने वाला है. ये स्पेसक्राफ्ट को स्पेस स्टेशन ले जाएंगे. यह मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए मानव अंतरिक्ष उड़ान के लक्ष्य को साकार करेगा.
ISRO ने गगनयान मिशन के तहत पहला सॉलिड मोटर सेगमेंट लॉन्च कॉम्प्लेक्स तक पहुंचाकर एक बड़ी सफलता हासिल की है. यह भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन को हकीकत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
ISRO और Indian Navy ने गगनयान के क्रू मॉड्यूल की हाल ही में वेल डेक रिकवरी की. यह रिकवरी खास तरह के जहाज से की गई. ताकि भविष्य में एस्ट्रोनॉट स्पेस से लौटे तो इस तरह के विकल्प भी खुले रखे जाएं.
ISRO ने खुशखबरी दी है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भेजे जाने वाले गगनयात्रियों के पहले चरण की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है. जल्दी उन्हें एडवांस ट्रेनिंग के लिए भेजा जाएगा. यह इसरो-नासा का ज्वाइंट मिशन है. जिसमें मिशन पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और बैकअप ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर शामिल हैं.
सोमनाथ ने कहा, 'भारत का विजन 2047 हमारे स्पेस प्रोग्राम को बदलने और हमारी स्पेस इकोनॉमी का विस्तार करने के लिए एक ऐतिहासिक और दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दिखाता है. यह एक ऐसे भविष्य के बारे में बात करता है जहां आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी नवाचार अंतरिक्ष से संचालित होता है.' उन्होंने बताया कि भारत में 450 निजी कंपनियां स्पेस सेक्टर, लॉन्चिंग और सैटेलाइट बिल्डिंग में शामिल हैं.
देश का पहला Analog स्पेस मिशन लेह में शुरू हो चुका है. इस मिशन में गगनयान मिशन से जुटे साइंटिस्ट लेकर यूनिवर्सिटी के एकडेमिक, आईआईटी के इंजीनियर जुड़े हैं. ये मिशन पृथ्वी के बाहर भारतीय एस्ट्रोनॉट्स के सर्वाइवल को लेकर शुरू किया गया है.