अंतरिक्षयान (Spacecraft) एक वाहन या मशीन होता है जिसे बाहरी अंतरिक्ष में उड़ान भरने के लिए डिजाइन किया जाता है. यह एक प्रकार का कृत्रिम उपग्रह होता है जो पृथ्वी अवलोकन, मौसम विज्ञान, नेविगेशन, ग्रहों की खोज के साथ ही विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है. सिंगल-स्टेज-टू-ऑर्बिट वाहनों को छोड़कर सभी अंतरिक्षयान अपने आप अंतरिक्ष में नहीं जा सकते हैं. उन्हें लॉन्च वाहन (Rocket) की आवश्यकता होती है.
जून 1944 में जर्मनी ने पीनम्यूंडे (Peenemünde Germany) में वी-2 (V-2 ) नाम से पहला अंतरिक्षयान बनाया जिसने 189 किमी की ऊंचाई तक की उड़ान भरी थी (First Spacecraft), जबकि स्पुतनिक 1 (Sputnik 1) पहला कृत्रिम उपग्रह था (First Artificial Satellite). इसे 4 अक्टूबर 1957 को सोवियत संघ ने एक अण्डाकार निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO) में प्रक्षेपित किया था.
स्पेसक्राफ्ट के कई प्रकार होता हैं जिनमें चालित अंतरिक्ष यान, मानव रहित अंतरिक्ष यान, अर्ध-चालक दल - अंतरिक्ष स्टेशन्स शामिल है (Types of Spacecraft).
एक स्पेसक्राफ्ट सिस्टम (Spacecraft System) में मिशन प्रोफाइल के आधार पर विभिन्न सब-सिस्टम शामिल होती हैं. अंतरिक्षयान सब-सिस्टम में स्पेसक्राफ्ट बस शामिल है और इसमें एटिट्यूड और कंट्रोल के लिए विभिन्न रूप से ADAC, ADC, या ACS को इस्तेमाल में लाया जाता है. मार्गदर्शन, नेविगेशन और नियंत्रण (GNC या GN&C), संचार (comms), कमांड और डेटा हैंडलिंग (CDH या C & DH) शामिल हो सकते हैं. स्पेसक्राफ्ट बस से जुड़े आमतौर पर पेलोड होते हैं.
लॉन्च यान स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी की सतह से, वायुमंडल के माध्यम से ऑर्बिट में ले जाता है. लेकिन सटीक ऑर्बिट मिशन कॉन्फ़िगरेशन पर निर्भर होता है. लॉन्च यान, दोबारा इस्तेमाल हो सकता है (launch vehicle reusable).
5 नवंबर 2025 को शेंझोउ-20 स्पेसक्राफ्ट को अंतरिक्ष के कचरे ने टक्कर मारी. इसकी वजह से चीन के तीन अंतरिक्ष यात्री की वापसी टल गई है. तीनों स्पेस स्टेशन पर ही हैं. हीट शील्ड की जांच की जा रही है. इंजीनियर मरम्मत या बिना क्रू के वापसी प्लान कर रहे. लोअर अर्थ ऑर्बिट में लाखों कचरे से खतरा बढ़ गया है.
इसरो चेयरमैन वी. नारायणन ने कहा कि गगनयान मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है. विकास कार्य 90% पूरा हो चुका है. मानव-रेटेड रॉकेट, क्रू मॉड्यूल, सुरक्षा सिस्टम बन गए हैं. तीन अनक्रूड मिशन पहले, पहला व्योममित्र रोबोट के साथ होगा. 24 अगस्त 2025 को पैराशूट टेस्ट सफल हुआ था. 2027 के शुरुआत में चार अंतरिक्ष यात्री उड़ान भरेंगे. भारत का पहला मानव अंतरिक्ष सफर होगा.
भारतीय एस्ट्रोनॉट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इंडिया टुडे कॉनक्लेव में कहा कि स्पेस में तिरंगा फहराना सबसे बड़ा अचीवमेंट था. मिग-21 से ड्रैगन तक की उड़ान का अनुभव साझा किया. हार से सीख मिलती है. प्रयोगों से स्टेम सेल और फूड सिक्योरिटी को फायदा. गगनयान 2027 में, चांद पर 2040 में पहुंचेंगे.
चीन 5-10 सालों में स्पेस रेस में अमेरिका को पीछे छोड़ सकता है. 'रेडशिफ्ट' रिपोर्ट कहती है कि चीन का तियांगोंग स्पेस स्टेशन, चंद्रमा मिशन और सैटेलाइट तेजी से बढ़ रहे हैं. NASA का बजट कटने से अमेरिका पिछड़ रहा. चीन ने 2024 में $2.86 बिलियन खर्च किए. अगर अमेरिका न जागा, तो CNSA नई NASA बनेगी.
जून 2025 में अंतरिक्ष में 20-दिवसीय मिशन पर जाने वाले शुभांशु शुक्ला ने कहा कि वे न केवल भारत का तिरंगा, बल्कि 1.4 अरब नागरिकों की आकांक्षाएं भी लेकर गए थे. वे अपने साथ भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा डिज़ाइन किए गए वैज्ञानिक प्रयोग भी लेकर गए थे, जो पहली बार भारत द्वारा अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण अनुसंधान का प्रतीक है.
भारत में अगर पहले डॉक्टर की बात होती है तो धनवंतरि का नाम लिया जाता है. पहले शल्य चिकित्सक के रूप सुश्रुत का नाम चलता है. पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले छात्रों को बताया जाता है कि नारद मुनि पहले पत्रकार थे. पर दुनिया के पहले अंतरिक्ष यात्री का नाम बच्चों से पूछकर पूर्व मंत्री अनुराग ठाकुर आखिर फंस गए.
'क्रिसालिस' एक सपने जैसा यान है, जो 2400 लोगों को नजदीकी स्टार सिस्टम अल्फा सेंचुरी तक ले जा सकता है. 400 साल की यात्रा में कई पीढ़ियां इसमें रहेंगी. रोबोट, AI और परतों वाला डिजाइन इसे खास बनाता है. यह हमें अंतरिक्ष यात्रा के भविष्य की दिशा दिखाता है.
ब्लू ओरिजिन ने अब तक 70 लोगों को क्रम्न लाइन Karman Line (समुद्र तल से 100 किलोमीटर ऊपर एक काल्पनिक सीमा जो पृथ्वी के वायुमंडल को आउटर स्पेस से अलग करती है) के ऊपर भेजा है. NS-34 की लॉन्चिंग वेस्टर्न टेक्सास स्थित लॉन्च साइट से भारतीय समयानुसार शाम 6 बजे होगी.
अंतरिक्ष में बच्चा पैदा करना अभी सपना है, लेकिन वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं. माइक्रोग्रैविटी और रेडिएशन जैसे जोखिम इसे मुश्किल बनाते हैं, लेकिन गर्भ में भ्रूण का तैरना एक प्राकृतिक फायदा देता है. क्या भविष्य में अंतरिक्ष में जन्म संभव होगा?
करीब 41 साल पहले, अप्रैल 1984 में, अंतरिक्ष में जाने वाले भारत के पहले शख्स विंग कमांडर राकेश शर्मा, सोवियत सैल्यूट 7 अंतरिक्ष स्टेशन के अपने मिशन के बाद सोयूज टी-10 कैप्सूल पर सवार होकर कजाकिस्तान पहुंचे थे.
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर ऐतिहासिक यात्रा पूरी करने के बाद अंतरिक्ष से विदाई लेंगे. ये खास पल एक विदाई समारोह के रूप में आज शाम 7:25 बजे (भारतीय समयानुसार) आयोजित किया गया. ये समारोह LIVE प्रसारित किया गया, जिसे दुनियाभर में लाखों लोगों ने देखा.
स्पेस स्टेशन पर कई देशों के अंतरिक्ष यात्री एक साथ काम करते हैं और हर देश का अपना अलग टाइम जोन होता है. UTC का इस्तेमाल सभी मिशन कंट्रोल सेंटर और एस्ट्रोनॉट्स को एक ही सिस्टम के तहत लाता है, जिससे कम्युनिकेशन आसान हो जाता है.
स्पेस स्टेशन पर ली गई इस सेल्फी में शुभांशु के साथ नजर आए रहे हंगरी के एस्ट्रोनॉट टिबोर कपु को HUNOR कार्यक्रम के तहत अंतरिक्ष में भेजा गया है. वह मिशन स्पेशलिस्ट की भूमिका में वहां मौजूद हैं, जिनका काम साइंटिफिक रिसर्च और टेक्निकल चीजों में टीम की मदद करना है. टिबोर का स्पेस में जाना हंगरी के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है.
भारत के शुभांशु शुक्ला के साथ ही तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर एक्सिओम-4 मिशन, कैनेडी स्पेस सेंटर के कॉम्प्लेक्स 39ए से उड़ान भर चुका है. स्पेसक्राफ्ट ने ठीक दोपहर 12.01 बजे (भारतीय समयानुसार) उड़ान भरी. स्पेसक्राफ्ट के अंदर से शुभांशु शुक्ला ने पहला मैसेज दिया.
Shubhanshu Shukla को Space में करने हैं 7 भारतीय प्रयोग, जानिए ये 7 प्रयोग क्या हैं.
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ एक्सिओम-4 मिशन, कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भर चुके हैं. करीब 28 घंटे के सफर के बाद उनके अंतरिक्ष यान के गुरुवार को शाम करीब 04:30 बजे के ISS पर डॉक होने की उम्मीद जताई जा रही है. शुभांशु समेत सभी अंतरिक्ष यात्री 14 दिन तक स्पेस स्टेशन पर ही रहेंगे.
क्या आपने सोचा है अंतरिक्ष की बदबू कैसी होती है? वैज्ञानिकों ने स्पेस में बिल्ली के पेशाब, बारूद और सड़े अंडों जैसी गंध का पता लगाया है
कैटी पेरी ने इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर कर ब्लू ओरिजिन के न्यू शेपर्ड रॉकेट से दर्शकों को रूबरू कराया. उन्होंने कहा कि मैं आपको वह कैप्सूल दिखा रही हूं, जिसमें हमें पिछले कुछ दिनों से ट्रेनिंग दी जा रही थी. यही कैप्सूल आज सफर पर निकलेगा.
स्पेसएक्स के स्पेसक्राफ्ट ड्रैगन की बुधवार तड़के फ्लोरिडा के समंदर में सफल लैंडिंग हुई. इसके बाद एक-एक कर चारों अंतरिक्षयात्रियों को सकुशल बाहर निकाला गया. इस तरह अंतरिक्ष में 286 दिन बिताने के बाद सुनीता विलियम्स और उनके साथियों ने धरती की ताजा हवा में एक बार फिर सांस ली.
रूस के सोयुज अंतरिक्ष यान से उलट, जो अंतरिक्ष यात्रियों को महज 3.5 घंटे में पृथ्वी पर वापस ला सकता है, स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल को अपनी वापसी यात्रा पूरी करने में लगभग 17 घंटे लगते हैं. समयसीमा बढ़ने के पीछे कई फैक्टर्स हैं जो चालक दल की सुरक्षा और लैंडिंग की सटीकता पर निर्भर करते हैं.
अमेरिकी सेना का गुप्त अंतरिक्ष विमान एक्स-37बी 434 दिनों के रहस्यमय मिशन के बाद पृथ्वी की कक्षा से वापस लौट आया है. अमेरिकी स्पेस फोर्स के अनुसार, इस मिशन ने रीयूजेबल अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नए मानक स्थापित किए है. इस प्लेन से दुनिया के सारे देश खौफ में रहते हैं. क्योंकि ये क्या करता है, इसके बारे में किसी को कुछ नहीं पता.