इज़राइल के हमले में ईरान के नटांज़ परमाणु संयंत्र और अन्य सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिसमें कम से कम छह प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक मारे गए. इन वैज्ञानिकों की मौत ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गहरा झटका दिया है. इन वैज्ञानिकों के नाम हैं - अब्दुल हमीद मिनोउचहर, अहमदरज़ा ज़ोल्फ़ाघारी, सैयद अमीरहोसेन फेक्ही, मोत्लाबीज़ादेह, मोहम्मद मेहदी तहरेनची और फेरेदून अब्बासी. आइए इनके बारे में जानते हैं.
इज़राइल ने 13 जून 2025 को नतांज और तेहरान में कई स्थानों पर हमला किया, जिसमें सैन्य ठिकानों और परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाया गया. इस हमले में कई वरिष्ठ अधिकारी और वैज्ञानिक मारे गए, जिनमें ये छह परमाणु वैज्ञानिक शामिल हैं. ईरान ने इसे "आतंकवादी हमला" करार दिया है. बदला लेने की धमकी दी है.
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मारे गए ईरानी न्यूक्लियर साइंटिस्ट
1. अब्दुल हमीद मिनोउचहर (Abdolhamid Minouchehr)
- भूमिका: अब्दुल हमीद मिनोउचहर तेहरान के शहीद बेहेश्ती विश्वविद्यालय में परमाणु भौतिकी के प्रोफेसर थे. वे यूरेनियम संवर्धन प्रक्रिया में विशेषज्ञ थे. नतांज संयंत्र में सेंट्रीफ्यूज तकनीक के विकास में योगदान दिया.
- महत्व: उनकी रिसर्च ने ईरान को 20% शुद्धता तक यूरेनियम संवर्धन करने में मदद की, जो परमाणु ऊर्जा और संभावित हथियार के लिए आधार था.
- विशेषता: वे रिएक्टर डिज़ाइन और परमाणु ईंधन उत्पादन में माहिर थे.
2. अहमदरज़ा ज़ोल्फ़ाघारी (Ahmadreza Zolfaghari)
- भूमिका: अहमदरज़ा भी शहीद बेहेश्ती विश्वविद्यालय में परमाणु इंजीनियरिंग के प्रोफेसर थे. वे नतांज और फोर्डो संयंत्रों में सेंट्रीफ्यूज के रखरखाव और उन्नयन पर काम कर रहे थे.
- महत्व: उनके काम से ईरान की सेंट्रीफ्यूज क्षमता दोगुनी हुई, जिससे संवर्धन की गति बढ़ी.
- विशेषता: वे उन्नत सेंट्रीफ्यूज (IR-8) के डिज़ाइन में शामिल थे, जो 60% शुद्धता तक यूरेनियम संवर्धन कर सकते हैं.
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3. सैयद अमीरहोसेन फेक्ही (Seyed Amirhossein Feqhi)
- भूमिका: सैयद अमीरहोसेन भी शहीद बेहेश्ती विश्वविद्यालय में पढ़ाते थे. परमाणु रिएक्टर के डिज़ाइन पर शोध करते थे.
- महत्व: उन्होंने अराक भारी जल रिएक्टर को विकसित करने में योगदान दिया, जो प्लूटोनियम उत्पादन के लिए इस्तेमाल हो सकता है.
- विशेषता: उनकी विशेषज्ञता रिएक्टर सुरक्षा और परमाणु ईंधन चक्र में थी.
4. मोत्लाबीज़ादेह (Motlabizadeh)
- भूमिका: मोत्लाबीज़ादेह ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन (AEOI) में वरिष्ठ इंजीनियर थे. मिसाइल तकनीक से जुड़े परमाणु हथियार अनुसंधान में शामिल थे.
- महत्व: उन्होंने परमाणु हथियारों के लिए आवश्यक ट्रिगर तंत्र के विकास में काम किया, जो ईरान को "थ्रेशहोल्ड" स्थिति (हथियार बनाने की कगार) तक ले गया.
- विशेषता: वे मिसाइल और परमाणु प्रौद्योगिकी के संयोजन में माहिर थे.
5. मोहम्मद मेहदी तहरेनची (Mohammad Mehdi Tehranchi)

- भूमिका: मोहम्मद मेहदी तहरेनची इस्लामिक आज़ाद विश्वविद्यालय के अध्यक्ष थे. भौतिकी में पीएचडी रखते थे. वे परमाणु अनुसंधान को शिक्षा से जोड़ने में अहम भूमिका निभाते थे.
- महत्व: उन्होंने युवा वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित किया. ईरान के परमाणु कार्यक्रम को तकनीकी रूप से मजबूत करने में मदद की.
- विशेषता: उनकी रुचि परमाणु रिएक्टरों के थर्मल डिज़ाइन में थी.
6. फेरेदून अब्बासी (Fereydoun Abbasi)

- भूमिका: फेरेदून अब्बासी ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन (AEOI) के पूर्व प्रमुख थे. शहीद बेहेश्ती विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे.
- महत्व: वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम के "वास्तुकार" माने जाते थे. 2010 में एक बम हमले में वे बच गए थे, लेकिन इस बार उनकी जान चली गई.
- विशेषता: उन्होंने यूरेनियम संवर्धन और परमाणु हथियार अनुसंधान में नेतृत्व किया. संयुक्त राष्ट्र ने उन्हें हथियार विकास के लिए प्रतिबंधित किया था.
इन वैज्ञानिकों की मौत का असर
इन छह वैज्ञानिकों की मौत से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गहरा नुकसान पहुंचा है. विशेषज्ञों का मानना है कि...
- यूरेनियम संवर्धन और रिएक्टर डिज़ाइन में देरी हो सकती है.
- परमाणु हथियार विकास में शामिल विशेषज्ञों की कमी से ईरान की "थ्रेशहोल्ड" स्थिति कमजोर हो सकती है.
- नए वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करने में समय लगेगा, जो ईरान को 1-2 साल पीछे धकेल सकता है.
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ईरान की प्रतिक्रिया
ईरान ने इस हमले को "परमाणु आतंकवाद" करार दिया है. इज़राइल व अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है. उसने संयुक्त राष्ट्र में शिकायत की है. बदला लेने की बात कही है. हालांकि, वायु रक्षा में कमजोरी के कारण ईरान को नुकसान से बचाने में असफलता हाथ लगी.
इन 6 वैज्ञानिकों की मौत ने ईरान के परमाणु सपनों को झटका दिया है. उनकी विशेषज्ञता और नेतृत्व ने ईरान को परमाणु शक्ति बनने की दिशा में आगे बढ़ाया था. आने वाले समय में ईरान की प्रतिक्रिया और इज़राइल के अगले कदम इस क्षेत्र के भविष्य को तय करेंगे.
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