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ईरान और पाकिस्तान... दोनों के परमाणु प्लान पर अमेरिका की टेढ़ी नजर? बड़ा गेम होने वाला है

अमेरिका ईरान और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों से चिंतित है, क्योंकि ये परमाणु हथियारों के विकास और क्षेत्रीय अस्थिरता का खतरा पैदा कर सकते हैं. इसलिए अमेरिका बड़ा खेल कर रहा है. जो कूटनीतिक, आर्थिक और सैन्य रणनीतियों का एक जटिल मिश्रण है. इसमें अमेरिका को सावधानीपूर्वक चलना होगा.

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अमेरिका इन दिनों ईरान और पाकिस्तान की तरफ केंद्रित हैं. वजह है न्यूक्लियर हथियार. (फाइल फोटोः AP/AFP/Retuers)
अमेरिका इन दिनों ईरान और पाकिस्तान की तरफ केंद्रित हैं. वजह है न्यूक्लियर हथियार. (फाइल फोटोः AP/AFP/Retuers)

ईरान और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों पर अमेरिका की चिंता एक जटिल जियो-पॉलिटिकल परिदृश्य का हिस्सा है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता को प्रभावित करता है. यह चिंता न केवल इन देशों की परमाणु क्षमताओं से, बल्कि इनके रणनीतिक संबंधों और क्षेत्रीय प्रभाव से भी जुड़ी है. 

ईरान का परमाणु कार्यक्रम: अमेरिका की चिंता का केंद्र

ईरान का परमाणु कार्यक्रम दशकों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता का विषय रहा है. 2015 में ईरान और अमेरिका ने संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत ईरान ने अपने परमाणु गतिविधियों में कटौती करने और अंतरराष्ट्रीय निरीक्षण को स्वीकार करने का वादा किया था, बदले में उसे आर्थिक प्रतिबंधों से राहत मिली. 

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Iran pakistan us nuclear weapons

हालांकि, 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समझौते से बाहर निकलने का फैसला किया, जिससे तनाव बढ़ गया. हालिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि ईरान ने JCPOA की सीमाओं का उल्लंघन करते हुए अपने यूरेनियम के भंडार को बढ़ाया है, जो 2015 की सीमा से 22 गुना ज्यादा है.

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अक्टूबर 2023 की IAEA रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने अपने यूरेनियम संवृद्धि को बढ़ाया है, जिससे चिंताएं बढ़ी हैं कि वह परमाणु हथियार बनाने की दिशा में आगे बढ़ सकता है. अमेरिका को डर है कि एक परमाणु-सशस्त्र ईरान मध्य पूर्व में अस्थिरता ला सकता है. उसके सहयोगियों जैसे इज़राइल और सऊदी अरब को खतरा हो सकता है.  

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अमेरिका ने ईरान के साथ बातचीत करने की इच्छा जताई है, खासकर अगर वार्ता ईरान के परमाणु कार्यक्रम के सैन्यीकरण को लेकर चिंताओं को संबोधित करती है. हालांकि, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनी ने कहा है कि वे अमेरिका के "धमकी" के तहत बातचीत नहीं करेंगे, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है. 

पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम: क्षेत्रीय तनाव और सुरक्षा चिंताएं

पाकिस्तान पहले से ही परमाणु हथियारों से लैस है. इसका परमाणु कार्यक्रम अमेरिका के लिए चिंता का विषय रहा है. खासकर भारत के साथ क्षेत्रीय तनाव के संदर्भ में. हाल ही में, भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य कार्रवाइयों ने परमाणु संघर्ष के जोखिम को उजागर किया है, जिससे अमेरिका को मध्यस्थता करनी पड़ी.

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मई 2025 में दोनों देशों ने एक-दूसरे के ठिकानों पर हमले किए, जिससे गंभीर चिंताएं पैदा हुईं. अमेरिका को पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता है, खासकर आतंकवाद और राजनीतिक अस्थिरता के संदर्भ में. पाकिस्तान का चीन के साथ परमाणु सहयोग भी एक बड़ा मुद्दा है, क्योंकि चीन ने पाकिस्तान की परमाणु क्षमताओं को मजबूत करने में मदद की है. 

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यह सहयोग दक्षिण एशिया में चीन के प्रभाव को बढ़ा सकता है, जो अमेरिका के रणनीतिक हितों को प्रभावित कर सकता है. पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम की शुरुआत 1979 में हुई थी, जब अमेरिका ने पता लगाया कि पाकिस्तान गुप्त रूप से यूरेनियम संवृद्धि कर रहा है. पाकिस्तान ने 1998 में परमाणु परीक्षण किए. अब उसके पास लगभग 165 परमाणु वारहेड्स हैं, जो भारत और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित करते हैं.

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बड़ा खेल: रणनीतिक संतुलन और भू-राजनीतिक गतिशीलता

अमेरिका की चिंता का एक बड़ा हिस्सा यह है कि ईरान और पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता को खतरे में डाल सकते हैं. एक परमाणु-सशस्त्र ईरान मध्य पूर्व में शक्ति संतुलन को बिगाड़ सकता है, जबकि पाकिस्तान के मामले में, भारत के साथ तनाव और चीन के साथ सहयोग एक जटिल रणनीति पैदा करते हैं.

यह बड़ा खेल कई देशों जैसे चीन, भारत, रूस और यूरोपीय देशों के बीच रणनीतिक संतुलन का हिस्सा है. अमेरिका को ईरान के साथ कूटनीतिक वार्ता जारी रखनी होगी. हाल ही में ओमान में चौथी दौर की बातचीत हुई. पाकिस्तान के साथ वह अपनी सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करने के लिए काम कर रहा है. 

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इसके अलावा, चीन की बढ़ती भूमिका, विशेष रूप से पाकिस्तान के साथ, इस खेल में एक और जटिलता जोड़ती है. अमेरिका को आर्थिक प्रतिबंधों और सैन्य तैयारियों के जरिए इन देशों पर दबाव बनाना होगा, जबकि साथ ही क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए कूटनीतिक प्रयास जारी रखने होंगे. यह खेल अंतरराष्ट्रीय राजनीति और रणनीति का एक जटिल पहलू है, जिसमें कई देशों की भागीदारी और रणनीतियां शामिल हैं.

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