हर मानसून में भारत के बड़े शहर जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु जलभराव की चपेट में आ जाते हैं. सड़कें नदियों में बदल जाती हैं. लोकल ट्रेनें रुक जाती हैं. गाड़ियां पानी में फंस जाती हैं. वहीं लंदन और न्यूयॉर्क जैसे शहर भारी बारिश को भी आसानी से संभाल लेते हैं. आखिर इन शहरों में ऐसा क्या खास है?
दिल्ली और मुंबई की समस्याएं
भारत के बड़े शहर हर बारिश में जलभराव का शिकार क्यों होते हैं? इसके प्रमुख कारण हैं...
पुराना ड्रेनेज सिस्टम
दिल्ली और मुंबई के ड्रेनेज सिस्टम दशकों पुराने हैं. ये भारी बारिश को संभालने में असमर्थ हैं. दिल्ली में स्टॉर्म ड्रेन की कमी से मानसून में सड़कें जल्दी भर जाती हैं, जिससे यातायात ठप हो जाता है. मुंबई में, समुद्र का स्तर बढ़ने पर ड्रेन के गेट बंद करने पड़ते हैं, जिससे पानी शहर में ही रुकता है.
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रेनवाटर हार्वेस्टिंग की कमी
भारत में रेनवाटर हार्वेस्टिंग को बड़े पैमाने पर लागू नहीं किया गया. दिल्ली और मुंबई में कुछ इमारतों में यह सिस्टम है, लेकिन शहरी नियोजन का हिस्सा नहीं है. नीति आयोग (2019) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 तक 21 भारतीय शहरों में भूजल खत्म होने का खतरा था. रेनवाटर हार्वेस्टिंग इसका समाधान हो सकता है.
तेज शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन
शहरीकरण ने हरियाली और वेटलैंड्स को कम कर दिया, जिससे बारिश का पानी जमीन में नहीं सोखा जाता. जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश अनियमित और तीव्र हो गई है. दिल्ली और मुंबई के ड्रेनेज सिस्टम इस दबाव को झेल नहीं पाते.
कचरा प्रबंधन की कमी
मुंबई में हर दिन 650 मीट्रिक टन कचरा निकलता है, जिसमें 10% प्लास्टिक नालियों को जाम करता है. दिल्ली में भी नालियों की नियमित सफाई नहीं होती, जिससे जल निकासी रुकती है.
सीमित सरकारी समर्थन
भारत में रेनवाटर हार्वेस्टिंग के लिए जागरूकता और प्रोत्साहन की कमी है. सरकार को इंसेंटिव्स और सख्त कानून लागू करने चाहिए.
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हाल के तथ्य और आंकड़े
लंदन और न्यूयॉर्क कैसे संभालते हैं जल प्रबंधन?
लंदन और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में जलभराव की समस्या न्यूनतम है. उनके तरीके भारत के लिए प्रेरणा हो सकते हैं...
रेनवाटर हार्वेस्टिंग
लंदन: अधिकांश इमारतों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य है. उदाहरण के लिए, म्यूजियम ऑफ लंदन की 850 वर्ग मीटर छत से 25,000 लीटर पानी हर साल स्टोर होता है, जिसे टॉयलेट और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है.
न्यूयॉर्क: NYC Green Infrastructure Plan (2024) के तहत 10,000+ रेन गार्डन्स बनाए गए, जो बारिश के पानी को सोखते हैं. हर साल 1.5 बिलियन गैलन पानी प्रबंधित होता है.
लाभ: यह भूजल स्तर बढ़ाता है. बाढ़ रोकता है. पानी की बर्बादी कम करता है.
टिकाऊ शहरी ड्रेनेज सिस्टम (SUDS)
लंदन: स्टॉर्मवाटर प्रबंधन के लिए SUDS का उपयोग होता है, जिसमें रेन गार्डन्स, परमिएबल सतहें और ग्रीन रूफ्स शामिल हैं. यह सीवर सिस्टम पर दबाव कम करता है. पानी को साफ जलस्रोतों में भेजता है.
न्यूयॉर्क: Staten Island Bluebelt प्रोजेक्ट 400 एकड़ वेटलैंड्स का उपयोग करता है, जो 2024 में 350 मिलियन गैलन पानी प्रबंधित करता है. यह प्राकृतिक ड्रेनेज सिस्टम बाढ़ को रोकता है.
लाभ: प्राकृतिक और कृत्रिम ड्रेनेज का मिश्रण शहर को जलमग्न होने से बचाता है.
सख्त कानून और इंसेंटिव्स
लंदन: हर नई इमारत में रेनवाटर हार्वेस्टिंग और SUDS अनिवार्य. सरकार टैक्स छूट और सब्सिडी देती है. Environment Agency (2024) के अनुसार, 80% नई इमारतें SUDS का पालन करती हैं.
न्यूयॉर्क: NYC DEP रेनवाटर हार्वेस्टिंग के लिए 50% टैक्स क्रेडिट देता है. 2024 में 5,000+ इमारतों ने यह सिस्टम अपनाया.
भारत में तुलना: मध्य प्रदेश और राजस्थान में रेनवाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य है, लेकिन पालन कमजोर. इंदौर में 1500 वर्ग फुट से बड़े भवनों के लिए यह जरूरी है, साथ ही 10% टैक्स छूट मिलती है.
आधुनिक बुनियादी ढांचा
वेटलैंड्स और हरियाली
लंदन: 47% शहर हरियाली से ढका है, जिसमें 3,000+ पार्क और वेटलैंड्स शामिल हैं. यह बारिश का पानी सोखता है.
न्यूयॉर्क: Jamaica Bay Restoration (2024) ने 10,000 एकड़ वेटलैंड्स को पुनर्जनन किया, जो बाढ़ को 30% कम करता है.
भारत में कमी: भारत में वेटलैंड्स 70% कम हो गए. ORF (2024) के अनुसार, भारत का कोई शहर Wetland City के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है.
भारत के लिए समाधान
लंदन और न्यूयॉर्क के मॉडल से भारत निम्नलिखित कदम उठा सकता है...