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क्या लंदन-न्यूयॉर्क में भी बारिश मचाती है हर बार कहर? क्या है वहां दिल्ली-मुंबई-चेन्नई से अलग

दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु हर मानसून में जलभराव से जूझते हैं, जबकि लंदन और न्यूयॉर्क इसे प्रभावी ढंग से प्रबंधित करते हैं. रेनवाटर हार्वेस्टिंग, SUDS, सख्त कानून और वेटलैंड्स संरक्षण भारत के लिए रास्ता दिखाते हैं. CAG (2024) की रिपोर्ट बताती है कि बाढ़ प्रबंधन की सिफारिशें अधूरी हैं. अब समय है कि भारत इन विदेशी मॉडल्स को अपनाए.

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मुंबई में बारिश के दौरान सड़क पर जमा पानी. रूकी हुई गाड़ियां और परेशान लोग. (सभी फाइल फोटोः PTI/Getty)
मुंबई में बारिश के दौरान सड़क पर जमा पानी. रूकी हुई गाड़ियां और परेशान लोग. (सभी फाइल फोटोः PTI/Getty)

हर मानसून में भारत के बड़े शहर जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु जलभराव की चपेट में आ जाते हैं. सड़कें नदियों में बदल जाती हैं. लोकल ट्रेनें रुक जाती हैं. गाड़ियां पानी में फंस जाती हैं. वहीं लंदन और न्यूयॉर्क जैसे शहर भारी बारिश को भी आसानी से संभाल लेते हैं. आखिर इन शहरों में ऐसा क्या खास है?  

  • जलभराव की समस्या: दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, और बेंगलुरु में हर मानसून में जलभराव से हाहाकार मचता है, जबकि लंदन और न्यूयॉर्क जैसे शहर इसे बेहतर तरीके से संभालते हैं.
  • पुराना ड्रेनेज सिस्टम: भारत के शहरों में पुराने और अपर्याप्त ड्रेनेज सिस्टम भारी बारिश का सामना नहीं कर पाते.
  • रेनवाटर हार्वेस्टिंग: लंदन और न्यूयॉर्क में रेनवाटर हार्वेस्टिंग और टिकाऊ ड्रेनेज सिस्टम अनिवार्य हैं, जबकि भारत में इसे व्यापक स्तर पर लागू नहीं किया गया.
  • जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण: तेज शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन ने भारत में जलभराव की समस्या को बढ़ाया है.
  • कानून और प्रोत्साहन: विदेशी शहरों में सख्त कानून और इंसेंटिव्स रेनवाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा देते हैं, जो भारत में कमी है.
  • हाल के आंकड़े: दिल्ली में 2025 में 445 जलभराव पॉइंट्स चिह्नित, मुंबई में 2024 में 650 मेट्रिक टन कचरा नालियों को जाम करता है.

how to manage rainwater

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दिल्ली और मुंबई की समस्याएं

भारत के बड़े शहर हर बारिश में जलभराव का शिकार क्यों होते हैं? इसके प्रमुख कारण हैं...

पुराना ड्रेनेज सिस्टम

दिल्ली और मुंबई के ड्रेनेज सिस्टम दशकों पुराने हैं. ये भारी बारिश को संभालने में असमर्थ हैं. दिल्ली में स्टॉर्म ड्रेन की कमी से मानसून में सड़कें जल्दी भर जाती हैं, जिससे यातायात ठप हो जाता है. मुंबई में, समुद्र का स्तर बढ़ने पर ड्रेन के गेट बंद करने पड़ते हैं, जिससे पानी शहर में ही रुकता है.

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रेनवाटर हार्वेस्टिंग की कमी

भारत में रेनवाटर हार्वेस्टिंग को बड़े पैमाने पर लागू नहीं किया गया. दिल्ली और मुंबई में कुछ इमारतों में यह सिस्टम है, लेकिन शहरी नियोजन का हिस्सा नहीं है. नीति आयोग (2019) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 तक 21 भारतीय शहरों में भूजल खत्म होने का खतरा था. रेनवाटर हार्वेस्टिंग इसका समाधान हो सकता है.

तेज शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन

शहरीकरण ने हरियाली और वेटलैंड्स को कम कर दिया, जिससे बारिश का पानी जमीन में नहीं सोखा जाता. जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश अनियमित और तीव्र हो गई है. दिल्ली और मुंबई के ड्रेनेज सिस्टम इस दबाव को झेल नहीं पाते.

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कचरा प्रबंधन की कमी

मुंबई में हर दिन 650 मीट्रिक टन कचरा निकलता है, जिसमें 10% प्लास्टिक नालियों को जाम करता है. दिल्ली में भी नालियों की नियमित सफाई नहीं होती, जिससे जल निकासी रुकती है.

सीमित सरकारी समर्थन

भारत में रेनवाटर हार्वेस्टिंग के लिए जागरूकता और प्रोत्साहन की कमी है. सरकार को इंसेंटिव्स और सख्त कानून लागू करने चाहिए.

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हाल के तथ्य और आंकड़े

  • दिल्ली (2025): दिल्ली सरकार ने 445 जलभराव पॉइंट्स चिह्नित किए, जिनमें 335 की जिम्मेदारी PWD की है. 2024 में यह संख्या 194 थी. लापरवाही पर इंजीनियरों को निलंबन का आदेश.
  • मुंबई (2024): भारी बारिश से लोकल ट्रेनें और हवाई सेवाएं बाधित. ड्रेनेज सिस्टम की खामियां और हाई टाइड ने स्थिति बिगाड़ी.
  • चेन्नई और बेंगलुरु: चेन्नई में 2024 की बाढ़ ने स्मार्ट सिटी परियोजनाओं की पोल खोली. बेंगलुरु में 2024 में जलभराव से IT हब प्रभावित हुआ.
  • वैश्विक जल संकट: ग्लोबल कमिशन ऑन द इकोनॉमिक्स ऑफ वाटर (2024) ने चेतावनी दी कि 2030 तक वैश्विक जल आपूर्ति में 40% कमी हो सकती है.

लंदन और न्यूयॉर्क कैसे संभालते हैं जल प्रबंधन?

लंदन और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में जलभराव की समस्या न्यूनतम है. उनके तरीके भारत के लिए प्रेरणा हो सकते हैं...

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रेनवाटर हार्वेस्टिंग  

लंदन: अधिकांश इमारतों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य है. उदाहरण के लिए, म्यूजियम ऑफ लंदन की 850 वर्ग मीटर छत से 25,000 लीटर पानी हर साल स्टोर होता है, जिसे टॉयलेट और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है.

न्यूयॉर्क: NYC Green Infrastructure Plan (2024) के तहत 10,000+ रेन गार्डन्स बनाए गए, जो बारिश के पानी को सोखते हैं. हर साल 1.5 बिलियन गैलन पानी प्रबंधित होता है.

लाभ: यह भूजल स्तर बढ़ाता है. बाढ़ रोकता है. पानी की बर्बादी कम करता है.

टिकाऊ शहरी ड्रेनेज सिस्टम (SUDS)
  
लंदन:
स्टॉर्मवाटर प्रबंधन के लिए SUDS का उपयोग होता है, जिसमें रेन गार्डन्स, परमिएबल सतहें और ग्रीन रूफ्स शामिल हैं. यह सीवर सिस्टम पर दबाव कम करता है. पानी को साफ जलस्रोतों में भेजता है.

न्यूयॉर्क: Staten Island Bluebelt प्रोजेक्ट 400 एकड़ वेटलैंड्स का उपयोग करता है, जो 2024 में 350 मिलियन गैलन पानी प्रबंधित करता है. यह प्राकृतिक ड्रेनेज सिस्टम बाढ़ को रोकता है.

लाभ: प्राकृतिक और कृत्रिम ड्रेनेज का मिश्रण शहर को जलमग्न होने से बचाता है.

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सख्त कानून और इंसेंटिव्स  

लंदन: हर नई इमारत में रेनवाटर हार्वेस्टिंग और SUDS अनिवार्य. सरकार टैक्स छूट और सब्सिडी देती है. Environment Agency (2024) के अनुसार, 80% नई इमारतें SUDS का पालन करती हैं.

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न्यूयॉर्क: NYC DEP रेनवाटर हार्वेस्टिंग के लिए 50% टैक्स क्रेडिट देता है. 2024 में 5,000+ इमारतों ने यह सिस्टम अपनाया.

भारत में तुलना: मध्य प्रदेश और राजस्थान में रेनवाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य है, लेकिन पालन कमजोर. इंदौर में 1500 वर्ग फुट से बड़े भवनों के लिए यह जरूरी है, साथ ही 10% टैक्स छूट मिलती है.

आधुनिक बुनियादी ढांचा  

  • लंदन: Thames Tideway Tunnel (2025 में पूरा) 25 मिलियन क्यूबिक मीटर सीवेज और बारिश के पानी को रबंधित करता है, जिससे नदी प्रदूषण 95% कम हुआ.
  • न्यूयॉर्क: Cloudburst Plan (2024) के तहत 100+ जल अवशोषण क्षेत्र बनाए गए, जो भारी बारिश में 2 मिलियन गैलन पानी प्रबंधित करते हैं.
  • भारत में कमी: दिल्ली और मुंबई में ऐसे बड़े प्रोजेक्ट्स की कमी है. मुंबई का अंडरग्राउंड रिवर प्रोजेक्ट अभी योजना में है.

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वेटलैंड्स और हरियाली  

लंदन: 47% शहर हरियाली से ढका है, जिसमें 3,000+ पार्क और वेटलैंड्स शामिल हैं. यह बारिश का पानी सोखता है.

न्यूयॉर्क: Jamaica Bay Restoration (2024) ने 10,000 एकड़ वेटलैंड्स को पुनर्जनन किया, जो बाढ़ को 30% कम करता है.

भारत में कमी: भारत में वेटलैंड्स 70% कम हो गए. ORF (2024) के अनुसार, भारत का कोई शहर Wetland City के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है.

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भारत के लिए समाधान

लंदन और न्यूयॉर्क के मॉडल से भारत निम्नलिखित कदम उठा सकता है...

  • रेनवाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य करें: हर नई इमारत में इसे लागू करें, जैसे इंदौर और बेंगलुरु में.
  • SUDS को बढ़ावा: रेन गार्डन्स, ग्रीन रूफ्स और परमिएबल सतहों को शहरी नियोजन में शामिल करें.
  • नालियों की सफाई: मुंबई और दिल्ली में नालियों को कचरे से मुक्त रखें और बड़े स्टॉर्म ड्रेन बनाएं.
  • वेटलैंड्स का संरक्षण: चेन्नई और बेंगलुरु में वेटलैंड्स को पुनर्जनन करें. CAG (2024) ने बाढ़ प्रबंधन के लिए वेटलैंड्स को जरूरी बताया.
  • जागरूकता और इंसेंटिव्स: टैक्स छूट और सब्सिडी से लोगों को प्रोत्साहित करें. रेनवाटर हार्वेस्टिंग से पानी के बिल 50% तक कम हो सकते हैं.
  • स्मार्ट तकनीक: GIS और रिमोट सेंसिंग से जल प्रबंधन डेटा इकट्ठा करें, जैसा ORF (2024) सुझाता है.
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