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Shukra Pradosh Vrat 2022: ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत आज, बनने जा रहे हैं तीन शुभ योग, जानें पूजन विधि

Shukra Pradosh Vrat 2022: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है. माना जाता है इस दिन पूजा करने और व्रत रखने से भगवान शिव का खास आशीर्वाद प्राप्त होता है. आइए जानते हैं भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.

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Shukra Pradosh Vrat 2022 (Photo Credit: Getty Images)
Shukra Pradosh Vrat 2022 (Photo Credit: Getty Images)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत आज
  • भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना
  • आज बने रहे 3 शुभ योग

Shukra Pradosh Vrat 2022: ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष का पहला प्रदोष व्रत 27 मई यानी आज है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है. ये व्रत महीने में दो बार आता है एक शुक्ल पक्ष में तो एक कृष्ण पक्ष में. प्रदोष व्रत जब सोमवार के दिन आता है तो उसे सोम प्रदोष कहा जाता है. अगर प्रदोष व्रत शुक्रवार के दिन आता है तो उसे शुक्र प्रदोष कहा जाता है. आज शुक्र प्रदोष व्रत है. 

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2022 Shubh Muhurat) 

प्रारम्भ - 27 मई 2022 सुबह 11 बजकर 47 मिनट से शुरू
समाप्त - 28 मई 2022 दोपहर 1 बजकर 9 मिनट पर समाप्त 

शुक्र प्रदोष व्रत शुभ योग (Shukra Pradosh Vrat Shubh Yog)

शुक्र प्रदोष व्रत के दिन सुबह से ही सौभाग्य योग शुरू हो चुका है. यह योग रात के 10 बजकर 9 मिनट तक रहेगा. इसके बाद से  शोभन योग शुरू होगा. ये दोनों ही योग मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माने जाते हैं. इन दोनों ही योग में कार्य करना काफी मंगलकारी माना जाता है. इसके अलावा इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग 27 मई को सुबह 5 बजकर 25 मिनट पर शुरू हो चुका है. यह योग पूरी रात तक रहेगा. इस योग में कोई भी कार्य करना काफी शुभ माना जाता है. 

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शुक्र प्रदोष व्रत के दिन इस तरह करें भगवान शिव की पूजा (Pradosh Vrat Puja Vidhi)

- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. 

- स्नान करने के बाद साफ और हल्के सफेद या गुलाबी रंग के कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें. 

- इसके बाद  बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें.

- प्रदोष व्रत के दौरान आप सिर्फ जल पी सकते हैं, इस दिन भोजन नहीं किया जाता. 

- पूरा दिन व्रत रखने के बाद सूर्यास्त से कुछ देर पहले दोबारा से स्नान कर लें.

- शाम के समय उतर-पूर्व दिशा में मुंह करके कुश के आसन पर बैठ जाएं और भगवान शिव को जल से स्न्नान कराकर रोली, मौली, चावल ,धूप, दीप से पूजा करें.  भगवान शिव को चावल की खीर और फल अर्पित करें. 

- अंत में ऊँ नम: शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करें और भोलेनाथ से प्रार्थना करें.

 

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