Margshirsha Amavasya 2025: हिंदू धर्म में अमावस्या की तिथि बहुत ही खास और महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इस दिन पितरों का तर्पण और उपासना की जाती है. हर महीने में एक बार आने वाली अमावस्या का गहरा आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व होता है. 20 नवंबर यानी आज मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जा रही है. इसे मृगशिरा और अगहन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है.
मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन श्रीहरि और मां लक्ष्मी की पूजा भी करनी चाहिए. साथ ही, अमावस्या इस तिथि को परम शक्तिशाली माना जाता है. आइए जानते हैं कि मार्गशीर्ष अमावस्या पर आज क्या रहेगा स्नान-दान और पूजन का मुहूर्त.
मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि (Margshirsha Amavasya 2025 Tithi)
मार्गशीर्ष माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 19 नवंबर यानी कल सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर हो चुकी है और तिथि का समापन 20 नवंबर यानी आज दोपहर 12 बजकर 16 मिनट पर होगा.
मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 पूजन मुहूर्त (Margshirsha Amavasya 2025 Pujan Muhurat)
मार्गशीर्ष अमावस्या पर आज कई सारे मुहूर्तों का निर्माण होने जा रहा है जिसमें श्रीहरि-माता लक्ष्मी का पूजन हो सकता है.
- प्रात: संध्या मुहूर्त- सुबह 5 बजकर 28 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 48 मिनट तक
- अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 45 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक
- विजय मुहूर्त- दोपहर 1 बजकर 53 मिनट से लेकर 2 बजकर 35 मिनट तक
- गोधूलि मुहर्त- शाम 5 बजकर 26 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 52 मिनट तक
- संध्या मुहूर्त- शाम 5 बजकर 26 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 46 मिनट तक
मार्गशीर्ष अमावस्या पर करें पितृ पूजन
पितरों को अमावस्या का देवता माना गया है, इसलिए इस तिथि पर किए गए उपाय अत्यंत फलदायी माने जाते हैं. पितरों की तृप्ति के लिए अमावस्या के दिन किसी योग्य ब्राह्मण को विधि-विधान से भोजन कराएं. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और जीवन के कार्यों में आने वाली रुकावटें दूर होने लगती हैं. यदि संभव हो तो इस दिन व्रत रखें और अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या अन्य आवश्यक वस्तुओं का दान दें. शाम के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना भी अत्यंत शुभ और पुण्यदायी माना जाता है.
अमावस्या तिथि से लाभ
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन व्रत रखना बहुत ही लाभकारी होता है. पूजा उपासना, ध्यान, जप और दान विशेष शुभ होता है. अमावस्या पर पितरों के लिए विभिन्न अनुष्ठान भी किए जाते हैं. इसमें निर्धनों को भोजन कराया जाता है और उन्हें वस्त्र आदि का दान किया जाता है. इस दिन ज्यादा से ज्यादा सात्विक और पवित्र रहने का प्रयत्न करना चाहिए.