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मार्गशीर्ष अमावस्या

मार्गशीर्ष अमावस्या

मार्गशीर्ष अमावस्या

मार्गशीर्ष अमावस्या (Margshirsha Amavasya) हिंदू पंचांग के मार्गशीर्ष मास की अंतिम तिथि होती है, जो आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र और फलदायी मानी जाती है. इस दिन को विशेष रूप से पितरों की शांति, दान-पुण्य और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए शुभ माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, अमावस्या का दिन आत्मचिंतन, मन-शुद्धि और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति का प्रतीक है, जबकि मार्गशीर्ष मास स्वयं भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है. इसलिए इस अमावस्या का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है.

इस दिन श्रद्धालु स्नान-ध्यान करते हैं, पितरों के नाम तिलांजलि और पिंडदान किया जाता है. मंदिरों में भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. माना जाता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्य से पितृदोष में कमी आती है और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है. तेल के दीपक जलाकर मंदिरों तथा नदी किनारों पर प्रकाश करना भी शुभ माना जाता है.

योग, ध्यान और व्रत का भी इस दिन विशेष महत्व होता है, क्योंकि अमावस्या की ऊर्जा साधना को अधिक प्रभावी बनाती है. मार्गशीर्ष अमावस्या आध्यात्मिक उन्नति, परिवार की शांति और सकारात्मकता के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है, इसलिए इसे अत्यंत श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाता है.

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