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Chanakya Niti In Hindi: पाना चाहते हैं मुक्ति तो करें ये काम, जानें क्या कहती है चाणक्य नीति

'चाणक्य नीति' ग्रंथ में आचार्य चाणक्य ने कई नीतियों का बखान किया है जो हमारे जीवन में लाभकारी साबित हो सकती हैं. इसी ग्रंथ के नौवें अध्याय में वो बताते हैं कि मनुष्य को मुक्ति कैसे मिल सकती है. आइए जानते हैं इसके बारे में...

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Chanakya Niti In Hindi, चाणक्य नीति
Chanakya Niti In Hindi, चाणक्य नीति

'चाणक्य नीति' ग्रंथ में आचार्य चाणक्य ने कई नीतियों का बखान किया है जो हमारे जीवन में लाभकारी साबित हो सकती हैं. इसी ग्रंथ के नौवें अध्याय में वो बताते हैं कि मनुष्य को मुक्ति कैसे मिल सकती है. आइए जानते हैं इसके बारे में...

मुक्तिमिच्छासि चेत्तात विषयान् विषवत्त्यज । 
क्षमाऽऽर्जवं दया शौचं सत्यं पीयूषवद् भज ।।

चाणक्य कहते हैं कि अगर मनुष्य मुक्ति चाहता है तो भ्रष्ट आचरण और बुरी आदतों को विष के समान समझकर उनका त्याग कर दें तथा क्षमा, सरलता, दया, पवित्रता और सत्य को अमृत के समान ग्रहण करें.

आचार्य चाणक्य ने मुक्ति चाहने वालों को सलाह दी है कि विषयों को वे विष के समान छोड़ दें क्योंकि जिस तरह विष जीवन को समाप्त कर देता है, उसी तरह विषय भी प्राणी को 'भोग' के रूप में नष्ट करते रहते हैं. 

यहां विषय शब्द का अर्थ वस्तु नहीं बल्कि उसमें आसक्ति का होना है. इस प्रकार आचार्य की दृष्टि में विषयासक्ति ही मृत्यु है. लोग जिस अमृत की तलाश स्वर्ग में करते हैं, उसे आचार्य ने इन 5 गुणों में बताया है.

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 इस श्लोक का उल्लेख 'अष्टावक्र गीता' में भी इसी रूप में जनक अष्टावक्र संवाद के रूप में हुआ है. यहां चेत् अर्थात् यदि शब्द अत्यंत महत्वपूर्ण है. ऐसा कहने का तात्पर्य है कि यदि कोई मुक्त होने का संकल्प कर चुका है. वैसे प्राय: हम बंधन में आनंदित होते रहते हैं, बंधन में सुरक्षा महसूस करते हैं.

 

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