Akshaya Navami 2025: दिवाली जा चुकी है, लेकिन हिंदू धर्म में अभी भी उत्सवों का सिलसिला लगातार जारी है. 25 से 28 अक्टूबर तक छठ का महापर्व है. इसके बाद अक्षय नवमी का पर्व भी आने वाला है, जिसे आंवला नवमी भी कहा जाता है. यह उत्सव प्रतिवर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर मनाया जाता है, जिसमें आंवले के वृक्ष की विशेष पूजा की जाती है. हालांकि इस बार अक्षय नवमी की तिथि को लेकर लोग बहुत कन्फ्यूज हैं. कोई 30 अक्टूबर तो कोई 31 अक्टूबर को अक्षय नवमी बता रहा है.
कब है अक्षय नवमी?
हिंदू पंचांग के अनुसार, 30 अक्टूबर को सुबह 10:06 बजे से प्रारंभ होगी और 31 अक्टूबर को सुबह 10:03 बजे इसका समापन होगा. उदिया तिथि के आधार पर अक्षय नवमी का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
अक्षय नवमी पर शुभ योग और मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार अक्षय नवमी पर वृद्धि योग और रवि योग जैसे कई शुभ योग रहने वाले हैं. 31 अक्टूबर को वृद्धि योग सुबह 06:17 बजे से पूरे दिन रहेगा. रवि योग भी दिनभर रहने वाला है. साथ ही, शिववास योग भी इस दिन को खास बना रहा है.
मान्यताओं के अनुसार, इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा, दान और उसके नीचे भोजन करने से अक्षय पुण्य मिलता है. इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है.
अक्षय नवमी की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, अक्षय नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा और उसके नीचे भोजन करने की परंपरा माता लक्ष्मी ने शुरू की थी. एक बार लक्ष्मी जी पृथ्वी पर भ्रमण करने आईं. तब भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की संयुक्त पूजा का विचार उनके मन में आया. लेकिन उन्हें यह संशय हुआ कि दोनों देवों की एकीकृत पूजा किस प्रकार संभव होगी.
तभी उन्हें स्मरण हुआ कि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और बेलपत्र भगवान शंकर को. और दोनों के गुण आंवला वृक्ष में मौजूद होते हैं. इसलिए उन्होंने आंवले के पेड़ को विष्णु और शिव दोनों का प्रतीक मानकर उसका पूजन किया. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु और भगवान शिव वहां प्रकट हुए.
इसके बाद माता लक्ष्मी ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन तैयार किया और दोनों देवताओं को भोग अर्पित किया. फिर स्वयं भी भोजन ग्रहण किया. तभी से अक्षय नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा और उसके नीचे भोजन करने की यह धार्मिक परंपरा चली आ रही है.