भारतीय धर्म और संस्कृति में भगवान विष्णु (Bhagwan Vishnu) का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है. वे हिंदू धर्म के त्रिदेवों में से एक हैं- ब्रह्मा, विष्णु और महेश. ब्रह्मा जहां सृष्टि के रचयिता हैं, वहीं भगवान विष्णु को सृष्टि का पालनकर्ता कहा जाता है. उनका कार्य संसार की व्यवस्था बनाए रखना, धर्म की रक्षा करना और अधर्म का नाश करना है.
भगवान विष्णु को शांत, गंभीर और करुणामय देवता माना जाता है. उनका शरीर श्याम वर्ण का है, और वे चार भुजाओं वाले होते हैं. उनके हाथों में क्रमशः शंख (पाञ्चजन्य), चक्र (सुदर्शन), गदा (कौमोदकी) और पद्म (कमल) होता है. उनका वाहन गरुड़ है, जो एक विशाल पक्षी है और उनका परम भक्त भी है.
वे क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर विश्राम करते हैं, और वहीं से समस्त ब्रह्मांड की व्यवस्था का संचालन करते हैं.
भगवान विष्णु ने हर युग में अधर्म के विनाश और धर्म की स्थापना के लिए अवतार लिया है. ये अवतार 'दशावतार' कहलाते हैं-
मत्स्य अवतार – जल प्रलय से मनु को बचाना
कूर्म अवतार – मंदराचल को मंथन में स्थिर करना
वराह अवतार – पृथ्वी को हिरण्याक्ष से मुक्त करना
नरसिंह अवतार – भक्त प्रह्लाद की रक्षा हेतु हिरण्यकशिपु का वध
वामन अवतार – राजा बलि से तीन पग भूमि मांगकर उसका गर्व तोड़ना
परशुराम अवतार – अन्यायी क्षत्रियों का विनाश
राम अवतार – रावण वध और आदर्श राज धर्म का पालन
कृष्ण अवतार – महाभारत युद्ध और भगवद्गीता का उपदेश
बुद्ध अवतार – करुणा और अहिंसा का संदेश
कल्कि अवतार – भविष्य में कलियुग के अंत में अधर्म का संहार
भगवान विष्णु के प्रति भक्ति को 'वैष्णव धर्म' के रूप में जाना जाता है. उनके भक्त उन्हें प्रेम, भक्ति और सेवा से प्रसन्न करते हैं. वैष्णव परंपरा में तुलसी, गीता, विष्णु सहस्रनाम और रामायण का विशेष महत्व है. विशेष रूप से एकादशी व्रत और विष्णु सहस्त्रनाम का जाप भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है.
भारत और विश्वभर में भगवान विष्णु को समर्पित अनेकों मंदिर हैं. कुछ प्रमुख मंदिर हैं- विष्णु मंदिर, बद्रीनाथ (उत्तराखंड), श्री रंगनाथस्वामी मंदिर (तमिलनाडु), जगन्नाथ मंदिर, पुरी (ओडिशा), बालाजी मंदिर, तिरुपति (आंध्र प्रदेश).
Adhik Maas 2026: ज्योतिष गणना के मुताबिक, साल 2026 बहुत ही विशेष रहने वाला है. दरअसल, इस वर्ष में अधिकमास पड़ने वाला है जिसमें ज्येष्ठ माह एक नहीं दो बार पड़ेगा. कुल मिलाकर वर्ष 2026 12 महीने की जगह 13 महीने का रहेगा.
मार्गशीर्ष मास को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है और इस महीने में उनकी पूजा, दामोदर सूत्र का पाठ और गऊ सेवा करने का विशेष महत्व है. पुराणों की कथा के अनुसार राजा दिलीप, जो निसंतान थे, महर्षि वशिष्ठ के आश्रम गए और उनकी सलाह पर गऊ सेवा की.
Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा और पितरों के तर्पण का विशेष महत्व है. इस दिन स्नान, दान और पूजा से प्रसन्न होकर हमारे पितृ परिवार को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
कार्तिक मास की देव उठनी एकादशी भगवान विष्णु के जागरण का प्रतीक है, जो आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. इस दौरान पेट की अग्नि तेज होती है और खान-पान में बदलाव आता है. पुराणों में इसे हरिहर मिलन उत्सव कहा गया है, जहां शिव और विष्णु का मिलन होता है.
Vaikunth Chaturdashi 2025: बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की संयुक्त रूप से पूजा की जाती है. यह दिन हरि और हर के एकत्व का प्रतीक है, जो भक्त को मोक्ष और दिव्य शांति का आशीर्वाद देता है.
शुक्राचार्य, जिन्हें असुरों के गुरु के रूप में जाना जाता है, की एक आंख टूटने की पौराणिक कथा प्रसिद्ध है. भगवान विष्णु के वामन अवतार के समय हुई इस घटना में शुक्राचार्य ने राजा बलि को तीन कदम भूमि दान देने से रोकने की कोशिश की थी.
Tulsi Vivah 2025: कार्तिक शुक्ल द्वादशी पर तुलसी विवाह का आयोजन भगवान विष्णु और तुलसी के पावन मिलन का प्रतीक माना जाता है. इस दिन पूजा करने से सौभाग्य, सुख और समृद्धि बढ़ती है. इसलिए इस शुभ अवसर पर तुलसी से संबंधित कुछ गलतियां करने से बचना चाहिए.
Dev Uthani Ekadashi 2025: देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु को जगाकर शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. चार माह के विश्राम के बाद भगवान विष्णु के जागने से चातुर्मास समाप्त होता है. इसके बाद तुलसी और शालिग्राम का विवाह भी किया जाता है.
Tulsi Vivah 2025: कार्तिक शुक्ल द्वादशी को तुलसी और शालिग्राम का विवाह होता है, जिसे देवउठनी एकादशी के अगले दिन मनाया जाता है. इस वर्ष द्वादशी तिथि 1 नवंबर की सुबह से 2 नवंबर की सुबह तक रहेगी. उदिया तिथि के अनुसार तुलसी विवाह 3 नवंबर को मनाया जाएगा.
Devuthani Ekadashi 2025 Shubh Muhurat: देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां तुलसी का पूजन किया जाता है. आज पूजन का पहला मुहूर्त सुबह 11 बजकर 42 मिनट से शुरू होगा और उसका समापन दोपहर 12 बजकर 27 मिनट पर होगा.
Chaturmas 2025: चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है. इस समय भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं. इसके पीछे एक पौराणिक कथा है. जानते हैं उसके बारे में, और यह भी जानेंगे कि इस दौरान दुनिया कौन चलाता है.
Dev Uthani Ekadashi 2025: देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. इसी दिन विवाह-शादी जैसे मांगलिक कार्यों का शुभ मुहूर्त शुरू होता है. देवउठनी एकादशी का ब्रह्म मुहूर्त भी बहुत दिव्य होता है, जिसमें कुछ लाभकारी उपाय जरूर करने चाहिए.
Dev Uthani Ekadashi 2025: इस बार देवउठनी एकादशी 1 नवंबर को मनाई जाएगी. देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी माता का पूजन करना भी शुभ माना जाता है. तो चलिए जानते हैं कि देवउठनी एकादशी पर माता तुलसी को क्या क्या अर्पित करना चाहिए.
कार्तिक शुक्ल द्वादशी के दिन तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह विधि-विधान से किया जाता है. इसे अत्यंत शुभ माना जाता है. तुलसी विवाह के साथ ही चातुर्मास की समाप्ति होती है और विवाह व अन्य मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है.
Tulsi Vivah 2025: पंचांग के अनुसार, तुलसी विवाह 2 नवंबर को कराया जाएगा. लेकिन, इसके अलावा देवउठनी एकादशी के दिन भी यह कार्य संपन्न किया जा सकता है. तो चलिए अब जानते हैं कि तुलसी विवाह के दिन पूजन के लिए क्या मुहूर्त रहेगा.
Dev Uthani Ekadashi 2025: इस साल कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि 1 नवंबर को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 2 नवंबर को सुबह 7 बजकर 31 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए देवउठनी एकादशी 1 नवंबर को ही मान्य है.
Devuthani Ekadashi 2025: चार महीने के चातुर्मास के बाद 1 नवबंर को भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागेंगे, इसलिए इसे देवउठनी एकादशी कहा जाता है. कहते हैं कि इस दिन जो भी श्रीहरि से मांगो, वह सभी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं. तो चलिए जानते हैं कि देवउठनी एकादशी से किन राशियों का गोल्डन टाइम शुरू होने वाला है.
Akshaya Navami 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, 30 अक्टूबर को सुबह 10:06 बजे से प्रारंभ होगी और 31 अक्टूबर को सुबह 10:03 बजे इसका समापन होगा. उदिया तिथि के आधार पर अक्षय नवमी का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
Papankusha Ekadashi: अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जाता है. हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का खास महत्व है. हर एकादशी तिथि को भगवान विष्णु और तुलसी माता की पूजा की जाती है.
भारत की तरह श्रीलंका में भी दशहरा मनाया जाता है, लेकिन यहां रावण दहन नहीं होता। जानिए कैसे मनाते हैं लोग बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व.
Papankusha Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में आश्विन माह में पड़ने वाली पापांकुशा एकादशी का खास महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का विधिपूर्वक पूजन किया जाता है.