बिहार चुनाव में लगभग 18% मुस्लिम आबादी के वोटों को लेकर राजनीतिक घमासान तेज हो गया है. एक ओर तेजस्वी यादव का महागठबंधन अपने पारंपरिक मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण को साधने में जुटा है, तो वहीं असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी भी इस वोट बैंक में अपनी हिस्सेदारी के लिए जोर लगा रही हैं. सीमांचल जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में ओवैसी के प्रभाव से वोटों के बंटवारे की आशंका बढ़ गई है, जैसा 2020 के चुनाव में हुआ था जब उनकी पार्टी ने 5 सीटें जीतकर महागठबंधन को सत्ता से दूर करने में भूमिका निभाई थी.