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ममता बनर्जी का सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को लेकर रुख कांग्रेस के मुकाबले ज्‍यादा स्‍पष्‍ट और असरदार

सांसदों के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के विदेश दौरे को लेकर कांग्रेस और टीएमसी के रुख में साफ अंतर देखने को मिला है. शशि थरूर और युसुफ पठान का रुख तो अलग अलग है ही, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस की सरकार से संवाद का तरीका काफी अलग नजर आया है.

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सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पर कांग्रेस के मुकाबले तृणमूल कांग्रेस ने ज्यादा सख्ती दिखाई है, युसुफ पठान का मामला मिसाल है.
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पर कांग्रेस के मुकाबले तृणमूल कांग्रेस ने ज्यादा सख्ती दिखाई है, युसुफ पठान का मामला मिसाल है.

पहलगाम अटैक और ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकवाद पर अपना पक्ष दुनिया को समझाने और पाकिस्तान को अलग थलग करने के मकसद से केंद्र सरकार सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश दौरे पर भेज रही है. सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी के साथ साथ कांग्रेस और टीएमसी सहित विपक्ष की कई पार्टियों के सांसदों को शामिल किया गया. लेकिन, चर्चा में सिर्फ दो नाम सामने आये हैं - एक शशि थरूर और दूसरे युसुफ पठान.

दिलचस्प बात ये है कि शशि थरूर और युसुफ पठान ने इस मामले में अलग अलग तरीके से रिएक्ट किया है. और वैसे ही, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का भी अलग अलग रुख सामने आया है. ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने तो अपनी तरफ से साफ कर दिया है कि वो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के विदेशों में भेजे जाने वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा नहीं बनेगी, लेकिन कांग्रेस ने अपनी तरफ से चार सांसदों के नाम की सिफारिश भी की है.

सरकार की तरफ से टीएमसी सांसद युसुफ पठान का नाम भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल सांसदों की सूची में शामिल किया गया था. लेकिन, मालूम हुआ है कि युसुफ पठान ने विदेश दौरे का हिस्सा नहीं बनने जा रहे हैं. सूत्रों के हवाले से आ रही खबर के मुताबिक, युसुफ पठान का कहना है कि वो उपलब्ध नहीं हैं. 

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पूरे मामले में मुख्य तौर पर जो बातें समझ में आ रही हैं, वो ये भी है कि कांग्रेस के मुकाबले तृणमूल कांग्रेस अपनी पॉलिटिकल लाइन के प्रति सख्त है, और उसे लागू कराने में भी सफल है. 

1. सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के मुद्दे पर ये पूरी तरह साफ हो गया है कि कांग्रेस के मुकाबले टीएमसी ज्‍यादा एकजुट है. 

2. दोनो ही मामलों में एक बात कॉमन जरूर है कि केंद्र सरकार के पार्टी से संवाद न करने को लेकर ऐतराज है, क्योंकि सरकार की तरफ से सीधे सांसद से ही संपर्क किया गया है.

3. सेना और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भी तृणमूल कांग्रेस की तरफ से कोई बयान नहीं आया है,  जबकि कांग्रेस इस मामले में बंटी हुई नजर आती है.

युसुफ पठान ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से दूरी क्यों बनाई?

युसुफ पठान के मन की बात सामने नहीं आई है. ये नहीं पता चला है कि वो भी शशि थरूर की तरह विदेश दौरे पर जाना चाहते थे या नहीं. बताते हैं कि युसुफ पठान ने केंद्र सरकार को बताया है कि वो विदेश दौरे के लिए उपलब्ध नहीं होंगे. कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार ने टीएमसी सांसद युसुफ पठान से सीधे संपर्क किया था, और ये बात टीएमसी नेतृत्व को बेहद नागवार गुजरी है - और इसीलिए पार्टी की तरफ से युसुफ पठान को मना कर दिया गया है.

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तृणमूल कांग्रेस को सबसे ज्यादा इसी बात से आपत्ति है कि युसुफ पठान से सरकार ने सीधे क्यों संपर्क किया, पहले पार्टी से राय क्यों नहीं ली गई. सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में युसुफ पठान का नाम शामिल करने से पहले केंद्र सरकार ने टीएमसी के साथ कोई सलाह मशविरा क्यों नहीं किया. 

युसुफ पठान का मामला भी शशि थरूर से ही मिलता जुलता है, फर्क बस ये है कि शशि थरूर ने पार्टी की जरा भी परवाह नहीं की, और युसुफ पठान टीएमसी के स्टैंड के साथ बने हुए हैं. शशि थरूर ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल किये जाने पर गर्व का इजहार किया है, और युसुफ पठान ने चुपचाप पार्टी की हिदायत मान ली है.  

सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से टीएमसी को परहेज क्यों?

तृणमूल कांग्रेस ने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से अलग रहने के फैसले के पीछे विदेश नीति का हवाला दिया है. टीएमसी का कहना है कि विदेश नीति केंद्र सरकार का विषय है, और इसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार को लेनी चाहिये. टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भी ऐसी ही बात बोली है. 

ध्यान देने वाली बात ये है कि टीएमसी ने आधिकारिक तौर पर केंद्र सरकार की मुहिम से अलग रहने की कोई वजह नहीं बताई है, और जो भी खबर आ रही है, वो सूत्रों के हवाले से ही आ रही है. बताया जा रहा है कि टीएमसी की तरफ से केंद्र सरकार को इस बाबत अपडेट कर दिया गया है. 

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एक मीडिया रिपोर्ट में तृणमूल कांग्रेस के नेता का हवाला दिया गया है. टीएमसी नेता का कहना है, हमारा मानना है कि देश सबसे ऊपर है... और हमने देश की रक्षा के लिए जो भी जरूरी हो फैसले लेने के लिए केंद्र सरकार को अपना समर्थन देने का वादा किया है... हमारे सशस्त्र बलों ने देश को गौरवान्वित किया है, और हम हमेशा उनकी कर्जदार रहेंगे. 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी कहते हैं, राष्ट्रहित में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए केंद्र सरकार जो भी फैसला लेगी, टीएमसी कंधे से कंधा मिलाकर उसके साथ खड़ी मिलेगी. उनका कहना है कि टीएमसी को प्रतिनिधिमंडल भेजे जाने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सरकार का तरीका उनको पसंद नहीं आया है. 

अभिषेक बनर्जी ने कहा, हमें डेलिगेशन भेजे जाने से कोई समस्या नहीं है... हमारी पार्टी से कौन डेलिगेशन में जाएगा, ये पूरी तरह से हमारी पार्टी का फैसला होगा... केंद्र सरकार ये फैसला नहीं कर सकती कि किस पार्टी से कौन जाएगा... टीएमसी, डीएमके, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी, किस पार्टी से कौन डेलिगेशन में जाएगा, ये उस पार्टी को ही तय करना है.

ये तो ऐसा लगता है जैसे शशि थरूर पर कांग्रेस का कोई नियंत्रण नहीं रह गया हो, और युसुफ पठान के मामले में पार्टीलाइन ही सर्वोपरि है. कांग्रेस कार्यसमिति की मीटिंग में जरूर कई नेताओं ने शशि थरूर के एक्ट पर आपत्ति जताई है, लेकिन पार्टी की तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया गया है - हो सकता है, कांग्रेस केरल में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनावों की वजह से कोई कदम उठाने से बच रही हो, लेकिन विधानसभा के चुनाव तो पश्चिम बंगाल में भी 2026 में ही होने हैं.

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