नीतीश कुमार के सुशासन मॉडल सबसे बड़ा उदाहरण मिला है, बिहार के नालंदा में. जिले के गनगौरा पंचायत के बदरवाली गांव के एक परिवार की पूरे इलाके में चर्चा है. असल में, एक ही परिवार में बिहार सरकार की चार योजनाओं के लाभार्थी मिले हैं.
चुनाव से पहले जिन महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपये भेजे गए थे, इस परिवार की भी एक महिला शामिल है. और, लाभार्थियों में एक दिव्यांग व्यक्ति भी शुमार है.
लगता है नीतीश कुमार अब सुशासन बाबू की अपनी छवि को और निखारने में जुट गए हैं. 28 नवंबर को सचिवालय जाकर औचक निरीक्षण करना, और अफसरों को वक्त का पाबंद होने की हिदायत देना तो यही बता रहा है - तो क्या नीतीश कुमार अब देश को बिहार मॉडल देने की तैयारी कर रहे हैं?
एक ही परिवार में चार योजनाओं के लाभार्थी
बिहार सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं की केस स्टडी के लिए नालंदा गांव की रूबी देवी का परिवार बेहतरीन मिसाल है. सरकारी मदद से रूबी देवी का रोजगार तो शुरू हो ही चुका है, उनके पति, सास और बेटी सबको नीतीश कुमार की सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिल रहा है.
1. रूबी देवी को मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत मिले 10,000 रुपये मिले थे. रूबी देवी ने सरकारी मदद से मछली पालन का काम शुरू किया है. रूबी देवी अपने गांव की महिलाओं की प्रेरणास्रोत बन गई हैं. उनके छोटे से तालाब में पल रही मछलियां, परिवार की आय का नया साधन बन गया है.
2. रूबी देवी की सास आभा देवी को बुजुर्गों में दी जाने वाली सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिलती है. आभा देवी की खुशी अब ज्यादा हो गई है, क्योंकि हर महीने मिलने वाली पेंशन अब 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये कर दी गई है. अपनी पेंशन से वो दवाएं, पूजा-पाठ के सामान और रोजमर्रा की जरूरतें आसानी से पूरा कर लेती हैं, और इन सब के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता.
3. रूबी देवी के पति दिव्यांग हैं, लिहाजा उनको भी सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत 1100 रुपये हर महीने मिलते हैं. रकम छोटी ही सही, लेकिन परिवार के लिए बड़ी मददगार साबित हो रही है.
4. रूबी देवी की बेटी सुरवील को भी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना से 4 लाख रुपये का लोन मिला हुआ है. बेटी नर्सिंग की पढ़ाई कर रही है. पहले भी उसे मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना के तहत दसवीं की परीक्षा पास करने पर 10 हजार रुपये, और बारहवीं पास करने पर 25 हजार रुपये मिले थे.
ये योजनाएं ही हैं, जिनकी बदौलत नीतीश कुमार ने बड़े शान से सत्ता में वापसी की है. चुनावों में नीतीश कुमार के लिए सबसे बड़ा चैलेंज किसी भी सूरत में ज्यादा से ज्यादा सीटें लाना. क्योंकि, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी जेडीयू बीजेपी के मुकाबले काफी पिछड़ गई थी - 2025 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार को लोगों की सहानुभूति का फायदा तो मिला ही है, उनके सुशासन मॉडल को मंजूरी भी मिल गई है.
अब नीतीश कुमार को आगे का रास्ता तय करना है, और शायद इसीलिए वो चाहते हैं कि बिहार को स्पेशल स्टेटस का दर्जा मिले न मिले, बिहार को मॉडल स्टेट बनाने की कोशिश की जाए.
अब सुशासन के बिहार मॉडल की तैयारी है
ये ठीक है कि कानून और व्यवस्था कायम करने वाला गृह विभाग इस बार बीजेपी के कोटे में चला गया है. अब तक गृह मंत्रालय भी नीतीश कुमार के पास ही हुआ करता था, लेकिन अब ये जिम्मा डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी को दे दिया गया है - लेकिन मुख्यमंत्री तो नीतीश कुमार ही हैं.
चुनावों से पहले जिस नीतीश कुमार की सेहत पर सवाल उठाये जा रहे थे, मुख्यमंत्री के हेल्थ बुलेटिन जारी करने की मांग हो रही थी, वही नीतीश कुमार 10वीं बार मुख्यमंत्री बनने के बाद सुपर एक्टिव नजर आ रहे हैं.
1. 28 नवंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सुबह औचक निरीक्षण के लिए सचिवालय पहुंच गए. नीतीश कुमार ने अधिकारियों और कर्मचारियों को समय पर दफ्तर आने का निर्देश दिया, और सभी से कहा कि काम भी समय से पूरा किया करें.
2. सचिवालय के निरीक्षण के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री आवास 1, अणे मार्ग स्थित पहुंच गए. संकल्प में आयोजित महिला रोजगार योजना के कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद नीतीश कुमार ने 10 लाख महिलाओं के बैंक खातों में योजना के तहत 10-10 हजार रुपये भी भेजे. कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार कई जिलों की लाभार्थियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े भी थे.
3. नीतीश कुमार के कैबिनेट साथी सम्राट चौधरी का गृह विभाग अदालत से आदेश मिलने के बाद बुलडोजर भी चलने लगे हैं. लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए एंटी रोमियो स्क्वॉड तैयार हो रहा है.
4. शराबबंदी को भी ठीक से लागू करने की तैयारी हो रही है. बिहार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा है कि शराबबंदी कानून में कोई बदलाव नहीं होगा, और जो भी गड़बड़ियां होंगी उनको सुधारा जाएगा.
2014 के आम चुनाव से पहले देश में गुजरात मॉडल की खूब चर्चा रही. तब से कई राज्यों की तरफ से तरह तरह के दावे किए गए, लेकिन कोई मॉडल स्थापित नहीं हो पाया. काफी दिनों से यूपी का योगी मॉडल चर्चा में रहता है, लेकिन कानून-व्यवस्था को लेकर ही. सड़क से लेकर बिजली तक सुविधाओं को सुदृढ़ करने की कोशिशें जरूर हो रही हैं, लेकिन विकास का मॉडल अभी तक नहीं बन सका है.
नीतीश कुमार अब जिस बिहार मॉडल पर काम करने नजर आ रहे हैं, वो गुजरात और यूपी का कॉम्बो मॉडल लगता है - देखें तो चुनाव से पहले अपने ऊपर उठते सवालों का जवाब नीतीश कुमार अब एक्शन से देने लगे हैं.