पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी इस वक्त उसी मोड़ पर पहुंच गये हैं, जहां 1999 में उनके भाई नवाज शरीफ खड़े थे. फर्क बस ये है कि तब पाकिस्तानी फौज की कमान परवेज मुशर्रफ के हाथ में थी, और अभी ये काम आसिम मुनीर देख रहे हैं.
नवाज शरीफ पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके हैं, और खबर है कि भाई को समझाने के लिए ही खास तौर से पाकिस्तान लौटे हैं. नवाज शरीफ की पार्टी की ही फिलहाल पाकिस्तान में सरकार है, और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ उनके छोटे भाई हैं. नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की मुख्यमंत्री हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच दोनो भाइयों की मीटिंग में मरियम नवाज भी शामिल हुई बताई जाती हैं.
एक्स्प्रेस ट्रिब्यून के हवाले से आई खबर में कहा गया है, नवाज शरीफ चाहते हैं कि परमाणु हथियारों से लैस दोनो देशों के बीच शांति बहाल करने के लिए पाकिस्तान की सरकार सभी उपलब्ध कूटनीतिक संसाधनों का इस्तेमाल करे. रिपोर्ट के अनुसार नवाज शरीफ ने कहा है, मैं भारत के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने के पक्ष में नहीं हूं.
1. कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ अच्छी तरह जानते हैं कि पहलगाम हमले के बाद सरहद पर पैदा हुए हालात के लिए मुख्य रूप से कौन जिम्मेदार है - और पाकिस्तान में आर्मी चीफ के सामने ‘प्रधानमंत्री’ की हैसियत क्या होती है.
साफ है कि आसिम मुनीर में नवाज शरीफ इस वक्त परवेज मुशर्रफ की छवि देख रहे हैं, और अपनी ही तरह फिलहाल छोटे भाई को भी हालात के आगे मजबूर पा रहे हैं.
2. प्रधानमंत्री होते हुए भी तब नवाज शरीफ को ये मालूम भी नहीं था कि परवेज मुशर्रफ कारगिल जंग को लेकर क्या प्लान कर रहे हैं. ये बात वो खुद मान चुके हैं.
और, वो ये भी जानते हैं कि परवेज मुशर्रफ की ही तरह आसिम मुनीर भी शेखी बघारते कहां तक जा सकते हैं? और वो ये भी जानते हैं कि आखिर में अंजाम क्या होने वाला है?
3. नवाज शरीफ को मालूम है, कारगिल में पाकिस्तान को कहां और क्यों मुंहकी खानी पड़ी थी, और इस बार तो ने पहले से ही आक्रामक रुख अपना रखा है.
पहले के और मौजूदा हालात में बड़ा फर्क ये भी है कि अभी जो भी लड़ाई चल रही है, वो ज्यातर पाकिस्तान की जमीन पर ही चल रही है. अगर पाकिस्तान की तरफ से कोई फाइटर प्लेन, ड्रोन या मिसाइल छोड़ी भी जा रही है, तो भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम उसे हवा में ही तबाह कर दे रहा है.
4. नवाज शरीफ 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुलावे पर सार्क देशों के नेताओं के साथ दिल्ली भी आ चुके हैं, और बदले हालात से अच्छी तरह वाकिफ भी हैं.
अब तो वो ये भी जान चुके हैं कि सर्वाइव कैसे करना है? कैसे बातचीत शुरू की जा सकती है - और कैसे पाकिस्तान को संभाला जा सकता है?
5. बेशक नवाज शरीफ अपने अनुभवों का पाकिस्तान को लाभ दिला सकते हैं, लेकिन मुश्किल ये है कि फौजी शासक उनकी आशंका को शिकस्त मिलने से पहले शायद ही समझ पायें.
पहलगाम हमले के बाद जब से ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ है, भारत की तरफ से पाकिस्तान के 100 किलोमीटर अंदर तक के कई आतंकवादी ठिकाने तबाह किये जा चुके हैं - और उकसावे की तमाम कोशिशों के बावजूद भारत की तरफ से संयम बरतने की ही कोशिश नजर आ रही है.
लेकिन, कब ये हालात बेकाबू हो जाएंगे? कब भारत बचाव और जवाबी हमले से आगे बढ़कर आक्रमण की मुद्रा में आ जाएगा, आगे के हालात तय करेंगे - और पाकिस्तान के लिए वो स्थिति भयावह हो सकती है.
जनरल आसिम मुनीर के दिमाग में जो भी चल रहा हो, नवाज शरीफ को पाकिस्तान की हकीकत भी मालूम है.