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शशि थरूर से परेशान राहुल गांधी को मुश्किल में डालने का ममता बनर्जी का केरल प्लान कितना असरदार?

नीलांबुर उपचुनाव के जरिये ममता बनर्जी ने राहुल गांधी और कांग्रेस को वायनाड में घेरने की पूरी रणनीति बना ली है. पहले से ही गुटबाजी से जूझ रही कांग्रेस को शशि थरूर के बाद अब ममता बनर्जी ने नई टेंशन दे डाली है - और ये मामला उपचुनाव तक ही खत्म नहीं होने वाला है.

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राहुल गांधी के लिए शशि थरूर क्या कम थे, जो ममता बनर्जी ने भी केरल की राजनीति में टीएमसी की घुसपैठ करा दी है.
राहुल गांधी के लिए शशि थरूर क्या कम थे, जो ममता बनर्जी ने भी केरल की राजनीति में टीएमसी की घुसपैठ करा दी है.

ममता बनर्जी अपनी तरफ से राहुल गांधी को परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़तीं. लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने कांग्रेस का क्या हाल किया, सबने देखा ही. और, अगले साल 2026 के पश्चिम बंगाल चुनाव को लेकर भी ममता बनर्जी कांग्रेस को लगातार मैसेज देती आ रही हैं कि कांग्रेस को भी वो बीजेपी जैसा ही दुश्मन मानती हैं. 

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बन चुके राहुल गांधी को टीएमसी सांसद भले ही 'हमारे नेता' कह कर संबोधित कर चुकी हों, लेकिन ममता बनर्जी की राजनीति को देखें तो ऐसा ही लगता है, जैसे जड़ें खोद डालने पर आमादा हों. और, ऊपर से दावा ये कि वो तो INDIA ब्लॉक में भी बनी हुई हैं ही - लेकिन, ये भी विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व ममता बनर्जी के अपने हाथ में लेने की कवायद ही साबित हो चुका है, जिसमें तृणमूल कांग्रेस नेता को लालू यादव सहित विपक्ष के कई नेताओं का साथ भी मिल जाता है. 

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव तो अभी काफी दूर है, लेकिन उससे पहले ममता बनर्जी ने सीधे राहुल गांधी के प्रिय इलाके वायनाड पर धावा बोल दिया है. राहुल गांधी की जगह अब उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा लोकसभा में वायनाड का प्रतिनिधित्व करती हैं. 

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केरल चुनाव पर नजर टिकाये बैठी कांग्रेस के लिए शशि थरूर तो पहले से मुश्किलें खड़ी करते आ रहे हैं, ममता बनर्जी का केरल प्लान तो ज्यादा ही खतरनाक महसूस हो रहा है. शशि थरूर तो केरल की राजनीति में उचित हिस्सेदारी भर चाहते हैं, ममता बनर्जी तो वायनाड पर ही काबिज हो जाने की तैयारी कर रही हैं. 

मुद्दे की बात ये है कि केरल की नीलांबुर विधानसभा सीट पर 19 जून को उपचुनाव होने जा रहा है, नतीजे 23 जून को वोटों की गिनती के साथ ही आ जाएंगे. ध्यान देने वाली बात ये है कि नीलांबुर, वायनाड लोकसभा क्षेत्र में ही आता है. 

केरल में कांग्रेस की नई मुसीबत

केरल कांग्रेस में पहले से ही भयंकर गुटबाजी है. केरल की राजनीति में राहुल गांधी को सबसे ज्यादा भरोसा कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल पर होता है, लेकिन तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर अलग ही पैंतरा अपनाये हुए हैं. 

पहलगाम अटैक और ऑपरेशन सिंदूर के बाद विदेश दौरे पर गये सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के नाम पर कांग्रेस की कितनी फजीहत हुई है, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भला कैसे भूल सकते हैं - और पूरी राजनीति शशि थरूर के इर्द-गिर्द ही घूमती नजर आती है. 

पहले से ही परेशान राहुल गांधी के ममता बनर्जी की तरफ से बड़ी टेंशन देने की कोशिश है. और, मुश्किल ये है कि ये टेंशन उपचुनाव नतीजे के पक्ष में या खिलाफ जाने से भी खत्म नहीं होने वाली है. 

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नीलांबुर उपचुनाव के लिए ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने पीवी अनवर को उम्मीदवार बनाया है - और खास बात ये है कि ये उपचुनाव भी पीवी अनवर के ही इस्तीफा देने की वजह से होने जा रहा है. 
पीवी अनवर दो बार केरल के विपक्षी गठबंधन LDF से विधायक रह चुके हैं, लेकिन बाद में वो UDF में पहुंच गये थे - और केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन के साथ मतभेदों के चलते अब वो तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं. 

ममता बनर्जी ने पीवी अनवर को केरल में तृणमूल कांग्रेस का संयोजक तो बनाया ही है, अब नीलांबुर से चुनाव भी लड़ा रही हैं. मतलब, कहानी उपचुनाव तक ही नहीं खत्म नहीं होने वाली, बल्कि ममता बनर्जी आने वाले चुनावों में भी कांग्रेस को परेशान करने का प्लान अभी से बना लिया है. 

फर्ज कीजिये, पीवी अनवर उपचुनाव जीत जाते हैं, तो वो सत्ताधारी यूडीएफ और एलडीएफ दोनों के लिए सिरदर्द साबित होंगे - लेकिन, उनके निशाने पर तो पहले कांग्रेस ही होगी. 

पीवी अनवर अभी 58 साल के हैं, यानी प्रियंका गांधी और राहुल गांधी से थोड़े ही बड़े हैं. उनका परिवार कांग्रेस से जुड़ा रहा है, और वो भी कांग्रेस, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और लेफ्ट के बाद अब तृणमूल कांग्रेस में पहुंच चुके हैं. 

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कारोबारी नेता पीवी अनवर का अपने इलाके में ठीक-ठाक प्रभाव है, जिसका फायदा अब ममता बनर्जी की पार्टी को मिल सकता है. नीलांबुर विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम, हिंदू और ईसाई धर्म के लोग रहते हैं - देखा जाये तो केरल के मुस्लिम वोट बैंक की तरफ ममता बनर्जी ने काफी सटीक कदम बढ़ाया है. 

बंगाल चुनाव से पहले टीएमसी की चाल

राहुल गांधी के साथ साथ ममता बनर्जी का ये कदम प्रियंका गांधी वाड्रा के लिए नई चुनौती साबित हो सकता है. यूपी चुनाव में फेल होने के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा मन ही मन केरल चुनाव की तैयारियों के बारे में सोच रही होंगी. 
राहुल गांधी खुद भी केरल चुनाव में खास दिलचस्पी लेते हैं. 2021 के केरल विधानसभा चुनाव के दौरान नदी में छलांग लगाते और शरीर सौष्ठव के काफी चर्चे थे. 

केरल चुनाव के दौरान ही राहुल गांधी ने उत्तर भारत और दक्षिण भारत के लोगों की राजनीतिक समझ पर बयान देकर मुसीबत मोल ली थी. राहुल गांधी उस बयान में 2019 के अमेठी की हार की खीझ साफ नजर आ रही थी.  

केरल चुनाव में टीएमसी चाहे कुछ हासिल कर पाये या नहीं, ये तो है ही कि पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले कांग्रेस पर दबाव बढ़ाने का इंतजाम तो कर ही लिया है - और ये राहुल गांधी के लिए फिलहाल सबसे बड़ी मुसीबत है.  
 

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