प्रशांत कुमार को यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है. 1990 बैच के आईपीएस अफसर प्रशांत कुमार 31 मई, 2025 को उत्तर प्रदेश के एक्टिंग डीजीपी के पद से रिटायर हुए थे. उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के चेयरमैन का पद सितंबर से ही खाली चल रहा था.
शिक्षा सेवा चयन आयोग का कार्यभार प्रशांत कुमार ने ऐसे वक्त संभाला है, जब कई महत्वपूर्ण काम पेंडिंग पड़े हैं. और, ये सारे ही काम बड़े ही चुनौतीपूर्ण हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी की उत्तर प्रदेश सरकार ने दो साल पहले ही एकीकृत आयोग बनाया था, ताकि बेसिक, माध्यमिक, उच्च और तकनीकी शिक्षा सहित सभी विभागों के शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को सही तरीके से पूरा किया जा सके.
आयोग का गठन 23 अगस्त, 2023 को किया गया था, और प्रोफेसर कीर्ति पांडेय पहली चेयरपर्सन बनी थीं. लेकिन, प्रोफेसर कीर्ति पांडेय ने एक साल में ही इस्तीफा दे दिया. आयोग के अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल होता है. प्रशांत कुमार पर भी यही नियम लागू होगा. आयोग का मुख्यालय प्रयागराज में है.
क्या करता है यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग
1. उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग राज्य में उच्च शिक्षा विभाग, बेसिक शिक्षा विभाग, माध्यमिक शिक्षा विभाग, अल्पसंख्यक कल्याण और वक्फ विभाग के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग में शिक्षकों की भर्ती करता है.
2. यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग UPTET यानी उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा की जिम्मेदारी भी संभालता है.
3. अटल आवासीय विद्यालय समिति द्वारा संचालित संस्थानों के लिए भी शिक्षकों की भर्ती ये आयोग ही करता है.
4. ये आयोग ही व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के अधीन संचालित ITI यानी सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षकों का चयन भी करता है.
5. सहायता प्राप्त गैर-सरकारी महाविद्यालयों और सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक महाविद्यालयों, सहायता प्राप्त गैर-सरकारी इंटर कॉलेजों, हायर सेकेंडरी स्कूलों, हाई स्कूलों के अलावा संबद्ध प्राथमिक स्कूलों और ऐसे ही सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थाओं के शिक्षकों का चयन भी शिक्षा सेवा चयन आयोग ही करता है.
प्रशांत कुमार के सामने खड़ी चुनौतियां
अपनी नियुक्ति के बाद प्रशांत कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा, चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करना, और अभ्यर्थियों का भरोसा मजबूत करना उनकी प्राथमिकता होगी.
यूपी पुलिस का चीफ बनाए जाने से पहले प्रशांत कुमार को एडीजी लॉ एंड ऑर्डर बनाया गया था, और उस दौरान कई कुख्यात गैंगस्टरों का एनकाउंटर हुआ था. फरवरी, 2024 में एक दर्जन से ज्यादा सीनियर अफसरों को पीछे छोड़कर प्रशांत कुमार को कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था.
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से जब प्रशांत कुमार को उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने पर पत्रकारों ने सवाल किया, तो उनका जवाब था - 'बधाई हो, फेक एनकाउंटर के बाद फेक भर्तियां देखने को मिलेंगी.'
यूपी में शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने और सुदृढ़ करने के मकसद से ही ये आयोग बनाया गया था, और उम्मीद जताई गई थी कि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को केंद्रीकृत और पारदर्शी बनाया जा सकेगा. लेकिन, अब तक वे उम्मीदें पूरी नहीं हो सकी हैं.
1. उत्तर प्रदेश में चार साल से TET परीक्षा नहीं हो सकी है, शिक्षा सेवा चयन आयोग के नए नवेले अध्यक्ष प्रशांत कुमार के सामने सबसे बड़ी चुनौती तो ये इम्तिहान आयोजित कराना ही है. आयोग की ओर से अगले साल 29 और 30 जनवरी को टीईटी की संभावित तारीखें प्रस्तावित बताई जा रही हैं.
3. उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त डिग्री कालेजों में शिक्षकों के पांच हजार से ज्यादा पद खाली हैं, बड़ी संख्या में अभ्यर्थी लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं.
4. ऐसे सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 910 पदों पर लिखित परीक्षा हो चुकी है, लेकिन इंटरव्यू अभी तक नहीं हो पाया है. लिखित परीक्षा के रिजल्ट जारी करना, और उस पर अभ्यर्थियों की तरफ से की जाने वाली आपत्तियों का निपटारा करना भी एक बड़ा चैलेंज होगा.
4. टीजीटी और पीजीटी के इम्तिहान भी कई बार टाले जा चुके हैं, करीब 13 लाख अभ्यर्थियों इसके चलते प्रभावित बताए जाते हैं.
बीते जून-जुलाई में प्रतियोगी छात्रों ने आयोग के कार्यालय पर प्रदर्शन किया था. ये छात्र टीजीटी और पीजीटी परीक्षाओं की तारीख घोषित किए जाने की मांग कर रहे थे. तब आयोग के परीक्षा नियंत्रक की तरफ से बताया गया था कि एग्जाम की तैयारियां पूरी हैं और सरकार से हरी झंडी मिलते ही सूचना जारी कर दी जाएगी.
प्रशांत कुमार का एकेडमिक बैकग्राउंड
प्रशांत कुमार दिल्ली विश्वविद्यालय से एमएससी (एप्लाइड जियोलॉजी) में गोल्ड मेडलिस्ट हैं. प्रशांत कुमार के पास डिजास्टर मैनेजमेंट में एमबीए के साथ साथ डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज में एमफिल की भी डिग्री है.
आईपीएस बनने के बाद, और कार्यकारी डीजीपी बनने से पहले, अपने करियर में प्रशांत कुमार ने एडीजी लॉ एंड ऑर्डर, आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के चीफ, सीआईएसएफ और आईटीबीपी में डेपुटेशन पर कई महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं. प्रशांत कुमार को प्रेसिडेंट मेडल, गैलेंट्री मेडल, महाकुंभ मेला मेडल सहित कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले हुए हैं.
सितंबर, 2025 में प्रशांत कुमार को लखनऊ विश्वविद्यालय की तरफ से पब्लिक सेफ्टी और रणनीतिक सुरक्षा प्रबंधन में उनके योगदान के लिए मानद डॉक्टरेट (डी.लिट.) की उपाधि दी गई. यूपी कैडर के वो पहले आईपीएस अधिकारी हैं जिनको लखनऊ विश्वविद्यालय से ये मानद उपाधि मिली है.
कीर्ति पांडेय ने इस्तीफा क्यों दे दिया
प्रोफेसर कीर्ति पांडेय के इस्तीफे की कोई खास वजह सामने नहीं आई है. लेकिन, उनके इस्तीफे से हर कोई हैरान था. प्रोफेसर कीर्ति पांडेय ने 22 सितंबर, 2025 को इस्तीफा दिया था, और तभी से आयोग के चेयरमैन का पद खाली पड़ा था. प्रोफेसर कीर्ति पांडेय ने कहा था कि वो निजी कारणों से इस्तीफा दे रही हैं. इस्तीफे के बाद प्रोफेसर कीर्ति पांडेय ने आयोग के एक सीनियर सदस्य को जिम्मेदारी सौंप दी थी.