अरविंद केजरीवाल दिल्ली में भले नजर न आते हों, लेकिन सत्ता के गलियारों में उनको शिद्दत से महसूस किया जाता है. विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की हार के बाद से अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के मुकाबले पंजाब में कहीं ज्यादा देखा जा रहा है - और वो अकेले नहीं बल्कि मनीष सिसोदिया सहित उनकी भरोसेमंद पूरी टीम भी वहीं डटी हुई है.
दिल्ली से अरविंद केजरीवाल निकले तो थे विपश्यना के लिए, लेकिन उसके बाद भी पंजाब में ही जमे हुए हैं. पंजाब में रुकने की बड़ी वजह तो वहां आम आदमी पार्टी की सरकार होना है, जिसे जैसे भी संभव हो बचाकर रखना अरविंद केजरीवाल के लिए सबसे जरूरी है. किसी भी राजनीतिक दल के लिए सत्ता की राजनीति कितना मायने रखती है, पंजाब में अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम की मौजूदगी सबसे बड़ी मिसाल है.
बीजेपी की दिल्ली सरकार के सौ दिन पूरे होने के मौके पर जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में एक कार्यक्रम हुआ था, जहां एक्टर अनुपम खेर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का इंटरव्यू ले रहे थे. इंटरव्यू के दौरान अनुपम खेर ने नाम तो नहीं लिया था, लेकिन उनके कटाक्ष में अरविंद केजरीवाल का जिक्र साफ तौर पर समझ में आ रहा था.
कार्यक्रम शुरू हुआ तो सबसे पहले मंच पर अनुपम खेर ही पहुंचे और कहने लगे, बहुत दिनों के बाद एक ऐसी सरकार आई है, जिसकी उपलब्धियों पर बात करना बहुत जरूरी है... अब आप पूछेंगे कि आपका इससे क्या मतलब है, तो कहना चाहूंगा कि मुझे सच्चाई की तरफ खड़ा होना अच्छा लगता है.
इंटरव्यू के दौरान जब रेखा गुप्ता अपनी सरकार की उपलब्धियां गिना रही थीं, तभी अनुपम खेर खांसी के बहाने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरफ ध्यान खींचा. और बोले, 'आप इतनी देर से बोल रही हैं, मगर एक बार भी खांसी नहीं हैं... और न ही यहां बैठे दो हजार लोग खांसे हैं... पहले लोगों को खांसी की आदत पड़ गई थी.'
दिल्ली में बीजेपी सरकार के 100 दिन पूरा होना एक बड़ा मौका था, लेकिन आम आदमी पार्टी की तरफ से रस्मअदायगी ही दिखी. दिल्ली तो सौरभ भारद्वाज और आतिशी के हवाले है, जबकि मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैसे आप नेता पंजाब में अरविंद केजरीवाल के साथ डेरा डाले हुए हैं.
पूरी ताकत से उपचुनाव लड़ रहे हैं केजरीवाल
लुधियाना में अरविंद केजरीवाल का कैंपेन तभी शुरू हो गया था, जब चुनाव आयोग ने तारीख भी नहीं घोषित की थी. अपडेट ये है कि लुधियाना वेस्ट सीट पर 19 जून को उपचुनाव होने जा रहे हैं. देश में जिन पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उनमें पंजाब के लुधियाना वेस्ट की तरह गुजरात की विसावदर सीट भी है. नतीजे 23 जून को वोटों की गिनती के बाद आएंगे.
लुधियाना सीट की राजनीतिक अहमियत की चर्चा तो पहले से ही हो रही है. वजह वहां से संजीव अरोड़ा का आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार होना है. संजीव अरोड़ा फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं, और आप के प्रवक्ताओं के बार बार खंडन के बावजूद जोरदार चर्चा यही है कि अरविंद केजरीवाल की नजर उनकी राज्यसभा सीट पर टिकी है. लेकिन, मकसद तो पूरा तभी होगा जब संजीव अरोड़ा उपचुनाव जीत जाते हैं.
बीजेपी और कांग्रेस नेताओं का दावा है कि संजीव अरोड़ा के विधायक बन जाने के बाद उनकी सीट खाली हो जाएगी, तो अरविंद केजरीवाल राज्यसभा चले जाएंगे. और, वो राष्ट्रीय राजनीति में ठीक से हाथ आजमाएंगे. बीजेपी का ये भी आरोप है कि संजीव अरोड़ा को उपचुनाव जीत जाने के बाद भगवंत मान के नेतृत्व में बनी पंजाब सरकार में मंत्री बनाने का वादा किया गया है.
गुजरात की विसावदर सीट पर भी अरविंद केजरीवाल की खास नजर है. आम आदमी पार्टी विसावदर से गोपाल इटालिया को चुनाव लड़ा रही है. गोपाल इटालिया के नामांकन के मौके पर गुजरात पहुंचे अरविंद केजरीवाल ने कहा, गुजरात में बीजेपी की सरकार है, लेकिन 18 साल से विसावदर की सीट बीजेपी नहीं जीत सकी है.
लोगों से अरविंद केजरीवाल ने कहा, पहले आप ने कांग्रेस को वोट दिया तो बीजेपी ने कांग्रेस के एमएलए को तोड़ लिया... उसके बाद आपने AAP को वोट दिया, तो आप के विधायक को तोड़ दिया... इस बार मैंने भी अपने सबसे बड़े हीरो को मैदान में उतारा है... मेरी बीजेपी की चुनौती है कि इटालिया को खरीदकर दिखाये, तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा.
2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 5 सीटें मिली थीं, लेकिन AAP के विधायक भूपत भायाणी ने पार्टी छोड़ दी, और बीजेपी में शामिल हो गए थे.
केजरीवाल का आगे का एक्शन प्लान
सुनने में आ रहा है कि आम आदमी पार्टी आने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रही है, और उसी हिसाब से संगठन को मजबूत करने पर फोकस है. सूत्रों के हवाले से आई रिपोर्ट से मालूम होता है कि अगले दो साल के विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी ने एक रोडमैप तैयार किया है, और इसके लिए राज्यों को दो कैटेगरी में रखा गया है. याद रहे, 2027 में पंजाब में भी विधानसभा चुनाव होने हैं.
पहली कैटेगरी में वे राज्य हैं जहां चुनावों में अरविंद केजरीवाल और उनकी कोर टीम सक्रिय भूमिका में होगी. जाहिर है, पंजाब पहली कैटेगरी में भी पहले नंबर पर ही होगा. सत्ता में वापसी हर हाल में करनी है, तभी दिल्ली का दर्द मिट पाएगा. पंजाब के अलावा ऐसी कैटेगरी में असम, उत्तराखंड, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली को रखा गया है. दूसरी कैटेगरी में वे राज्य हैं जहां चुनाव की कमान स्थानीय नेताओं के हाथ में होगी. बिहार में भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है, लेकिन स्थानीय नेताओं के भरोसे ही.
मतलब, आम आदमी पार्टी बिहार में महागठबंधन या इंडिया ब्लॉक के साथ चुनाव नहीं लड़ेगी जिसमें आरजेडी और कांग्रेस हैं. दिल्ली में हुई इंडिया ब्लॉक की एक महत्वपूर्ण बैठक से भी आम आदमी पार्टी ने दूरी बना ली है. इंडिया ब्लॉक की बैठक संसद का विशेष सत्र बुलाये जाने की मांग मजबूत करने के लिए बुलाई गई थी. कंस्टीट्यू़शन क्लब में हुई बैठक में कांग्रेस से जयराम रमेश, शिवसेना-यूबीटी से संजय राउत, समाजवादी पार्टी से राम गोपाल यादव, आरजेडी से मनोज झा और टीएमसी से डेरेक ओ'ब्रायन शामिल थे.
कांग्रेस की तरफ से बताया गया है कि संसद का विशेष सत्र बुलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा गया है, जिसमें 16 राजनीतिक दलों के नेताओं ने दस्तखत किया है. लेकिन, आम आदमी पार्टी उसमें शामिल नहीं है. आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया है कि वो अलग से एक चिट्ठी प्रधानमंत्री को लिखेगी, और संसद का विशेष सत्र बुलाये जाने की मांग करेगी.
असल में, आम आदमी पार्टी को कांग्रेस के साथ नहीं रहना है. आम आदमी पार्टी का कहना है क वो सिर्फ उसी गठबंधन से जुड़ना चाहती है जिसमें कांग्रेस न शामिल हो. दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अरविंद केजरीवाल को उसी अंदाज में कठघरे में खड़ा किया था, जैसे बीजेपी घेर रही थी. अरविंद केजरीवाल का मानना है कि बीजेपी के हाथों सत्ता गंवाने में कांग्रेस का बड़ा हाथ रहा है.