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पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को हथियाने का क्या है अमेरिकी प्लान, भारत-पाक तनाव के बीच ये संभव है?

अमेरिका, इजरायल और यूरोप को लगता है कि पाकिस्तान की आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता के चलते ये बम आतंकवादी संगठनों (जैसे लश्कर-ए-तैयबा) के हाथ में जा सकते हैं. जाहिर है कि आतंकी संगठनों के हाथ में परमाणु बम के जाने का मतलब है कि मानव सभ्यता पर खतरे को दावत देना.

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पाकिस्तानी परमाणु बम
पाकिस्तानी परमाणु बम

यदि भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण युद्ध छिड़ता है तो दुनिया के सामने परमाणु युद्ध का खतरा मंडरा सकता है. भारत के उलट पाकिस्तान परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी देता रहा है. पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तानी मंत्रियों ने भी कई बार परमाणु युद्ध की धमकियां दीं, जिसके चलते अमेरिका सहित पूरा विश्व में चिंता में है. भारत शुरू से ही पहले परमाणु हथियार न प्रयोग करने की नीति की घोषणा कर चुका है, पर पाकिस्तान के बारे में ऐसा नहीं है. पाकिस्तान के बारे में सभी जानते हैं कि यहां लोकतंत्र के नाम पर असली राज सेना का होता है. सेना के पास जनता के सामने उत्तरदायित्व के नाम का कोई संकट नहीं होता है. इसके साथ ही दुनिया को लगता है कि यदि इस्लामी चरमपंथी पाकिस्तानी सरकार या सेना पर नियंत्रण कर लेते हैं तो उनके हाथ में परमाणु बम की ताकत जाएगी. गौरतलब है कि पाकिस्तान में 2012 में, ब्रिगेडियर अली खान समेत चार पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों को आतंकी संगठनों से संपर्क के आरोप में सजा भी मिल चुकी है.

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ऐसा माना जाता है कि इन्हीं सब आशंकाओं के चलते अमेरिका ने ‘स्नैच एंड ग्रैब’ (Snatch and Grab) नामक एक कथित गुप्त रणनीति बनाई हुई है. जिसका उद्देश्य पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को आपात स्थिति में जब्त करना या सुरक्षित करना है. ताकि ये हथियार आतंकवादी संगठनों, गैर-जिम्मेदार तत्वों, या शत्रुतापूर्ण ताकतों के हाथों में न पड़ें. यह योजना पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा को लेकर वैश्विक चिंताओं, विशेष रूप से 'लूज न्यूक्स' (Loose Nukes) के खतरे से प्रेरित है. 

पाकिस्तान के परमाणु बम पर वैश्विक चिंता

एक अनुमान के अनुसार, पाकिस्तान के पास 170 परमाणु हथियार हैं, जो विभिन्न मिसाइलों (जैसे नस्र, गौरी, शाहीन, गजनवी) और सैन्य ठिकानों पर तैनात हैं. इन हथियारों को सुरंगों, पहाड़ों, और सैन्य अड्डों में गुप्त रूप से रखा गया है. दुनिया भर के देशों विशेषकर अमेरिका, इजरायल और यूरोप को लगता है कि पाकिस्तान की आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता के चलते ये बम आतंकवादी संगठनों (जैसे लश्कर-ए-तैयबा) के हाथ में जा सकते हैं. जाहिर है कि आतंकी संगठनों के हाथ में परमाणु बम के जाने का मतलब है कि मानव सभ्यता पर खतरे को दावत देना. विशेष रूप से, 9/11 हमले के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार को अपनी सुरक्षा के लिए खतरा माना है.

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पहलगाम हमले के बाद, पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और रेल मंत्री हनीफ अब्बासी ने भारत के खिलाफ परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी दी, जो इस योजना को और प्रासंगिक बनाता है. ‘स्नैच एंड ग्रैब’ योजना का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार गलत हाथों में न पड़ें. यह योजना अमेरिका और उसके सहयोगियों (जैसे इजरायल और भारत) के हितों की रक्षा के लिए भी है.

योजना का उल्लेख और उत्पत्ति

2011 में अमेरिकी समाचार चैनल एनबीसी न्यूज ने एक रिपोर्ट में दावा किया कि अमेरिका ने पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को जब्त करने के लिए एक आकस्मिक योजना तैयार की है. यह योजना 9/11 हमले के बाद से अमेरिका की प्राथमिकता रही है.  2 मई 2011 को अबॉटाबाद में उसामा बिन लादेन को मारने वाले अमेरिकी ऑपरेशन ने पाकिस्तान के परमाणु शस्त्रागार की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी थी.  कहा जाता है कि तत्कालीन पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल अशफाक कयानी ने परमाणु सुरक्षा के प्रभारी लेफ्टिनेंट जनरल खालिद किदवई को फोन कर आशंका जताई कि अमेरिका परमाणु हथियारों को हथियाने की कोशिश कर सकता है. अमेरिकी राष्ट्रपति के निवास व्हाइट हाउस के पूर्व काउंटर-टेररिज्म उप निदेशक रोजर क्रेसी ने एनबीसी न्यूज को बताया था कि परमाणु हथियारों के सबसे खराब हालात के लिए अमेरिकी सरकार ने पहले ही योजना तैयार कर ली है.

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अमेरिका इस योजना को पाकिस्तान की आंतरिक अराजकता जैसे पाकिस्तान में गृहयुद्ध, सैन्य तख्तापलट, या व्यापक अस्थिरता फैलने पर क्रियान्वित करता. यदि आतंकवादी संगठन (जैसे लश्कर-ए-तैयबा) किसी परमाणु हथियार पर कब्जे की कोशिश करते हैं तो  2011 तक, आतंकवादियों ने पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी कम से कम छह साइट्स को निशाना बनाया था.

जरूरत होने पर अमेरिका कैसे करेगा इस योजना का कार्यान्वयन

इसमें कोई दो राय नहीं है कि अमेरिका सैटेलाइट इमेजरी, मानव खुफिया (HUMINT), और सिग्नल खुफिया (SIGINT) के जरिए पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों की निगरानी करता है. ‘बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स’ की 2023 की रिपोर्ट को सही माने तो पाकिस्तान के परमाणु हथियार आक्रो, खुजदार, और पानो अकिल जैसे ठिकानों पर हैं. जरूरत होने पर अमेरिकी विशेष बल, जैसे डेल्टा फोर्स या नेवी सील्स बिजली की गति से पाकिस्तान में प्रवेश करेंगे और परमाणु हथियारों को अपने कब्जे में ले लेंगे.हालांकि, पाकिस्तान के परमाणु हथियार कई गुप्त स्थानों पर बिखरे हुए हैं, जिससे ऑपरेशन जटिल हो जाता है.  पाकिस्तान ने ‘स्नैच एंड ग्रैब’ योजना को अपनी संप्रभुता पर हमला माना था परवेज मुशर्रफ ने 2011 में इसे युद्ध का कारण बताया था.

अमेरिका के लिए परमाणु हथियारों को हथियानें में सामने आने वाली चुनौतियां

पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों की सुरक्षा के लिए स्ट्रैटेजिक प्लान्स डिवीजन (SPD) बनाया है, जो हथियारों के प्रबंधन और सुरक्षा की देखरेख करता है. पाकिस्तान का दावा है कि उसके हथियार सुरक्षित हैं और किसी बाहरी हस्तक्षेप से बचाने के लिए पर्याप्त उपाय किए गए हैं. ‘स्नैच एंड ग्रैब’ योजना को लागू करना अत्यंत जटिल और जोखिम भरा है. पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों को सुरंगों, पहाड़ों, और सैन्य ठिकानों में छिपाया है. इनकी सटीक लोकेशन का पता लगाना मुश्किल है.

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 पाकिस्तानी सेना अपने परमाणु हथियारों को राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक मानती है. 2011 में, पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने चेतावनी दी थी कि इस तरह की कार्रवाई से अमेरिका और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ सकता है. मुशर्रफ के अलावा, पाकिस्तानी सेना और सरकार ने भी इस योजना को अपनी संप्रभुता पर खतरा माना. तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने अबॉटाबाद ऑपरेशन के बाद परमाणु सुरक्षा प्रभारी लेफ्टिनेंट जनरल खालिद किदवई से संपर्क कर सुरक्षा उपायों की समीक्षा की थी.

ऐसी कार्रवाई पाकिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन होगा, जिससे चीन और रूस जैसे देशों के साथ तनाव बढ़ सकता है. चीन, जो पाकिस्तान का प्रमुख सहयोगी है, इस तरह के हस्तक्षेप का विरोध कर सकता है. इसके साथ ही यदि ऑपरेशन सफल नहीं होता है या गलत समय पर लागू किया जाता है, तो यह परमाणु युद्ध की शुरूआत करने जैसा होगा.

अमेरिका की वर्तमान चिंता

हाल के वर्षों में अमेरिका ने पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम पर चिंता जताई थी. दिसंबर 2024 में उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने कहा कि पाकिस्तान की लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें अमेरिका के लिए उभरता खतरा बन सकती हैं. यही कारण रहा कि अमेरिका ने पाकिस्तान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम से जुड़ी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं, जैसे सितंबर 2024 में चार संस्थानों पर ऐसे प्रतिबंध लगाए.

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अमेरिका ने पाकिस्तान को परमाणु सुरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए सहायता की पेशकश की है, लेकिन पाकिस्तान ने उसे सीमित रूप से स्वीकार किया. हालांकि सोशल मीडिया पर ऐसे दावे भी किए जाते हैं कि अमेरिका ने क्वेटा में पाकिस्तानी परमाणु ठिकानों पर कब्जा कर लिया है, लेकिन ये दावे असत्यापित हैं और अभी तक दोनों ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं आई है.

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