मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के खोजनखेड़ा गांव में सोमवार का दिन कभी न भूलने वाला बन गया. पूरे गांव में मातम पसरा रहा, हर चेहरा गमगीन और हर आंख नम थी. महिलाओं के करुण क्रंदन से माहौल और भी भारी हो गया. किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि जो लोग खुशी-खुशी शादी समारोह में शामिल होकर लौट रहे थे, वे अपने घरों तक केवल अर्थियों में पहुंचेंगे.
दरअसल, यह दर्दनाक हादसा रविवार को मंदसौर जिले के नारायणगढ़ थाना क्षेत्र के पास हुआ था. यहां तेज रफ्तार ईको वैन ने बाइक को टक्कर मारने के बाद नियंत्रण खो दिया और गहरे कुएं में जा गिरी, जिसमें 12 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई. मृतकों में रतलाम, उज्जैन और मंदसौर जिलों के लोग शामिल थे, जो शादी समारोह से लौट रहे थे.
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रतलाम जिले के खोजनखेड़ा गांव में एक साथ छह अर्थियां उठीं. वहीं पिपलिया और सुरजना गांव से भी एक-एक शवयात्रा निकली. उज्जैन और मंदसौर जिलों में भी मृतकों का अंतिम संस्कार किया गया. इस हादसे में एक और वीरता की कहानी भी सामने आई. जिस गांव में हादसा हुआ उस गांव के मनोहर सिंह ने वैन सवारों को बचाने के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना कुएं में छलांग लगा दी. उन्होंने चार लोगों को बचा लिया, लेकिन जहरीली गैस की चपेट में आकर खुद जिंदगी हार गए. उनका बलिदान गांव भर की आंखों में आंसू छोड़ गया.
12 मौतों पर PM और CM मोदी ने जताया दुख
हादसे की भयावहता इतनी बड़ी थी कि डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा स्वयं मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवारों को सांत्वना दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, मध्य प्रदेश के मंदसौर में हुए हादसे में लोगों की मौत से दुखी हूं. मृतकों के परिजनों को प्रधानमंत्री राहत कोष से 2 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की सहायता दी जाएगी.
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी हादसे पर शोक जताते हुए मृतकों के परिजनों को राज्य सरकार की ओर से 2-2 लाख रुपये, गंभीर घायलों को 1-1 लाख रुपये तथा सामान्य घायलों को 50-50 हजार रुपये आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए हैं.