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नोएडा: रेमडेसिविर के लिए CMO ऑफिस में 24 घंटे का इंतजार, ब्लैक में कीमत है 30 हजार

यूपी पुलिस के रिटायर्ड इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह भदौरिया की हालत खराब है. उनके बेटे दो दिनों से रेमडेसिविर इंजेक्शन की तलाश कर रहे हैं ताकि पिता की जान बचाई जा सके. ब्लैक मार्केट में ये इंजेक्शन 30 से 40 हजार रुपये का मिल रहा है और इनके पास पैसे नहीं हैं.

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पिता के लिए रेमडेसिविर न मिल पाने पर रोते हुआ एक युवक
पिता के लिए रेमडेसिविर न मिल पाने पर रोते हुआ एक युवक
स्टोरी हाइलाइट्स
  • गाजियाबाद में नहीं मिल रहा है रेमडेसिविर
  • इंजेक्शन के लिए परिजन कर रहे सुबह शाम इंतजार
  • ब्लैक मार्केट में बिक रहा है रेमडेसिविर इंजेक्शन

गाजियाबाद और नोएडा में रेमडेसिविर इंजेक्शन की किल्लत खत्म नहीं हो रही है. लोग जान बचाने के लिए ब्लैक मार्केट से इंजेक्शन खरीद रहे हैं और गरीब जिनके पास पैसा नहीं वो सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं.

अपने पिता के लिए इंजेक्शन न मिल पाने से असहाय और रोता हुआ ये युवक, उत्तर प्रदेश पुलिस से रिटायर्ड इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह भदौरिया के बेटे हैं. महेंद्र सिंह भदौरिया इस समय कोरोना से संक्रिमत हैं और नोएडा के सेक्टर 39 स्थित एक कोविड अस्पताल में भर्ती हैं, महेंद्र की स्थिति नाजुक बनी हुई है, जिस कारण डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत है, उनके पास समय कम है, अगर समय से रेमडेसिविर का डोज नही दिया गया तो महेंद्र भदौरिया की जान भी जा सकती है.

तब से ही उनका बेटा रेमडेसिविर के लिए सुबह से ही सेक्टर 39 सीएमओ कार्यालय पर ठोकर खा रहा है, बेटे का रो-रो कर बुरा हाल है, उनका कहना है सारी जिंदगी पुलिस में रहकर देश की सेवा में बिता दी और आज इंजेक्शन की व्यवस्था करने में असमर्थ हो रहे हैं.

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रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए नोएडा के सेक्टर 39 के सीएमओ कार्यालय पर पहुंचे अन्य लोगों का कहना है कि वो लोग बीते कई घंटे से रेमडेसिविर के लिए खड़े हैं, डॉक्टर की अनुमति और मरीज की आईडी होने के बाद भी रेमडेसिविर नहीं मिल रही है जबकि यहां रेमडेसिविर मौजूद है, लोगों का आरोप है कि सीएमओ से लेकर और कई अधिकारियों को फोन कर लिया लेकिन कोई फोन नही उठा रहा है.

एक अन्य युवक राकेश ने भी अपनी आपबीती सुनाई. राकेश ने बताया कि उनके पिता का बुरा हाल है. बाजार में इंजेक्शन 40 हजार रुपये का मिल रहा है. इतने पैसे नहीं हैं कि ब्लैक में इंजेक्शन खरीद लें. सीएमओ ऑफिस पर गाजियाबाद के रहने वाले लोग भी इस इंजेक्शन की दरकार में परेशान हैं. लोग सीएमओ दफ्तर के बाहर 24- 24 घंटे से इंतजार में बैठे हैं कि उन्हें जिंदगी बचाने के लिए इंजेक्शन मिल जाएगा.

 

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