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मूर्खों के आखिरी ठिकाने में अन्‍ना का स्‍वागत: बाल ठाकरे

राजनीतिक पार्टी बनाने के टीम अन्ना के फैसले पर चुटकी लेते हुए शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने सोमवार को आश्चर्य जताते हुए कहा कि यह ‘चमत्कार’ कैसे हुआ.

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बाल ठाकरे
बाल ठाकरे

राजनीतिक पार्टी बनाने के टीम अन्ना के फैसले पर चुटकी लेते हुए शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने सोमवार को आश्चर्य जताते हुए कहा कि यह ‘चमत्कार’ कैसे हुआ.

पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखे संपादकीय में 89 वर्षीय ठाकरे ने कहा, 'कुछ बुद्धिजीवी कहते हैं कि राजनीति मूर्खों का आखिरी ठिकाना है. टीम अन्ना का यहां स्वागत है, लेकिन यह चमत्कार हुआ कैसे?’ ठाकरे ने कहा कि टीम अन्ना के अनशन में भीड़ नहीं आने के बाद वह कुछ उलटपुलट की उम्मीद कर रहे थे.

उन्होंने कहा, ‘अस्पताल में भर्ती के दौरान मैं जंतर मंतर पर होने वाली गतिविधियों पर करीबी निगाहें रखे हुए था. मैंने महसूस किया कि टीम अन्ना से भीड़ की दूरी के बाद लोगों को आकर्षित करने के लिए कुछ घोषणाएं की जाएंगी.

शिवसेना प्रमुख ने कहा कि यह अच्छा है कि टीम अन्ना ने चुनावी रास्ता अपनाया है क्योंकि भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने अनशन के तरीके को बनाए रख पाने में वे अक्षम रहे.

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बाल ठाकरे ने ‘सामना’ में लिखे संपादकीय में कहा, ‘हमारे देश में इतना बड़ा लोकतंत्र है कि व्यापक समर्थन या काडर से इतर कोई भी राजनीतिक पार्टी का गठन कर सकता है. यह व्यक्ति विशेष का अधिकार है कि वह अपनी पार्टी को गंभीरता से लेता है या नहीं.’

उन्होंने कहा, कौन जानता है. टीम अन्ना के सदस्यों की भी आखिर में अलग-अलग पार्टियां हो. टीम अन्ना में दरार दिखती है. अन्ना प्रणव मुखर्जी की प्रशंसा करते हैं जबकि उनकी बाकी टीम उन्हें भ्रष्ट कहती है. टीम अन्ना अपनी सुविधा के अनुसार भ्रष्टाचार और घोटाले को परिभाषित करती है.' ठाकरे ने आश्चर्य जताया कि टीम अन्ना बोफोर्स घोटाले पर खामोश क्यों रही.

बाल ठाकरे ने कहा, ‘जब तक चुनावों से काले धन का इस्तेमाल नहीं रुकता भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा. देश में बड़े कॉर्पोरेट घराने सत्ता की राजनीति चलाते हैं. चुनावों में बड़ा निवेश होता है. बिना पैसे के कोई चुनाव नहीं लड़ सकता.’

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