संसद का शीतकालीन सत्र खत्म होने के बाद सियासी तल्खी और टकराव को लेकर बहस तेज है. इसी बीच इंडिया टुडे के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई से खास बातचीत में केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सरकार का पक्ष मजबूती से रखा. उन्होंने साफ कहा कि सरकार के नजरिए से यह सत्र बेहद उत्पादक रहा, लेकिन विपक्ष के आचरण के कारण संसद की कार्यवाही सुचारू नहीं चल सकी.
किरेन रिजिजू ने कहा कि सरकार जितने भी अहम और सुधारात्मक विधेयक लाई, वे सभी पहले से बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) के सामने रखे गए थे. उन्होंने कहा, “कुछ भी अचानक या छिपाकर नहीं किया गया. विधेयकों पर चर्चा का समय तय था, लेकिन विपक्ष ने खुद दो अहम विधेयकों पर समय देने से इनकार किया.”
रिजिजू के मुताबिक, विधेयक पारित होने की संख्या के लिहाज से यह सत्र सरकार के लिए बेहद सफल रहा.
प्रदूषण पर बहस क्यों नहीं हुई?
विपक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हुए रिजिजू ने कहा कि प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दे पर चर्चा के लिए सरकार पूरी तरह तैयार थी. विपक्ष की मांग पर ही प्रदूषण पर चर्चा सूचीबद्ध की गई थी. प्रियंका गांधी को लीड स्पीकर बनाया गया था. पूरे दिन की चर्चा तय थी, लेकिन उसी दिन कांग्रेस सांसद कुर्सियों और टेबलों पर चढ़ गए और कार्यवाही बाधित कर दी. रिजिजू ने इसे असभ्य और अलोकतांत्रिक व्यवहार बताया.
जबरन विधेयक पास करने के आरोप पर जवाब
विपक्ष के इस आरोप पर कि सरकार आखिरी दिनों में विवादित विधेयक लाकर उन्हें जबरन पास करा रही है, रिजिजू ने कहा कि तारीख से कोई फर्क नहीं पड़ता, अहम यह है कि चर्चा के लिए पर्याप्त समय दिया गया. उन्होंने कहा, “विपक्ष ने SHANTI (न्यूक्लियर) विधेयक पर 6 घंटे मांगे, हमने 6 घंटे दिए. ग्रामीण रोजगार से जुड़े विधेयक पर 8 घंटे मांगे, हमने 8 घंटे देने की पेशकश की, यहां तक कि पूरी रात बैठने को भी तैयार थे.”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि संसदीय समितियां संसद का ही विस्तार हैं, लेकिन हर विधेयक को समिति के पास भेजना जरूरी नहीं. कई विधेयकों को हमने स्टैंडिंग कमेटी और जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी को भेजा है और आगे भी भेजेंगे.
संसद में हंगामा और संभावित कार्रवाई
लोकसभा में सांसदों के टेबल पर चढ़ने और कागज फाड़ने की घटनाओं पर रिजिजू ने कड़ा रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि विरोध करना सांसद का अधिकार है, लेकिन शारीरिक रूप से बाधा डालना या सदन की गरिमा तोड़ना स्वीकार्य नहीं. उन्होंने कहा, “नियम और परंपराएं हैं, उसी के मुताबिक कार्रवाई होगी. स्पीकर और एथिक्स कमेटी जो उचित समझेगी, वही फैसला होगा,” उन्होंने कहा और संकेत दिए कि निलंबन जैसी कार्रवाई से इनकार नहीं किया जा सकता.
राहुल गांधी पर हमला, प्रियंका की तारीफ
किरेन रिजिजू ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जनादेश भाजपा और एनडीए को मिला है. अगर राहुल गांधी चुनाव आयोग बनाना चाहते हैं, कानून बनाना चाहते हैं, तो उन्हें चुनाव जीतना होगा. विपक्ष सरकार चलाने की कोशिश करेगा तो यह अलोकतांत्रिक होगा. रिजिजू ने यह भी आरोप लगाया कि राहुल गांधी सदन में खुद दिखते नहीं और दूसरों को भी बोलने का मौका नहीं देते, जिससे विपक्षी सांसद ही नुकसान में रहते हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि प्रियंका गांधी वाड्रा का व्यवहार अपेक्षाकृत संतुलित और संवाद के लिए खुला रहता है. रिजिजू ने कहा, “मेरा मानना है कि प्रियंका गांधी अपनी बातों को अच्छे से रखती हैं और वह सुनती भी हैं."
मनरेगा के नाम और ढांचे में बदलाव पर सफाई
ग्रामीण रोजगार योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने के आरोपों पर रिजिजू ने कहा कि यह सिर्फ नाम बदलने का मामला नहीं, बल्कि पूरी संरचना में सुधार है. उन्होंने कहा, “मनरेगा लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने में पूरी तरह सफल नहीं रही. भारी भ्रष्टाचार भी है. 21वीं सदी के भारत में हमें लोगों को सिर्फ गड्ढे खोदने तक सीमित नहीं रखना चाहिए." रिजिजू के मुताबिक, नई योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने की दिशा में बड़ा सुधार है.
न्यूक्लियर विधेयक और अमेरिका के आरोप
न्यूक्लियर सुधार विधेयक को लेकर विपक्ष के ‘अमेरिका के दबाव’ वाले आरोपों को रिजिजू ने बेबुनियाद बताया. उन्होंने कहा कि देश की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा जैसे स्वच्छ विकल्प जरूरी हैं. उन्होंने कहा, “संप्रभुता से समझौते का सवाल ही नहीं उठता.”
सरकार-विपक्ष संवाद की संभावना
इंटरव्यू के अंत में रिजिजू ने कहा कि सरकार विपक्ष से संवाद के लिए हमेशा तैयार है. शीतकालीन सत्र के बाद हुई ‘चाय पर चर्चा’ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि माहौल सौहार्दपूर्ण था और भविष्य में भी गतिरोध तोड़ा जा सकता है. उन्होंने कहा, “हम दुश्मन नहीं, सिर्फ राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं. जनादेश का सम्मान होगा तो सहयोग की जमीन अपने आप बनेगी.”