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कांग्रेस में अब सिर्फ बदलाव नहीं 'ओपन-हार्ट सर्जरी' की मांग, आखिर दिग्विजय-थरूर-खुर्शीद क्या चाहते हैं?

वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने संघ की तारीफ करते हुए कांग्रेस संगठन पर परोक्ष रूप से तंज कसा तो पार्टी दो धड़ों में बट गई. एक गुट दिग्विजय के साथ खड़ा नजर आ रहा है तो दूसरा विरोध में है. ऐसे में कांग्रेस के संगठन में बदलाव की मांग भी उठने लगी है.

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दिग्विजय सिंह के बयान पर कांग्रेस क्यों दो धड़ों में बंटी (Photo-ANI)
दिग्विजय सिंह के बयान पर कांग्रेस क्यों दो धड़ों में बंटी (Photo-ANI)

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह द्वारा आरएसएस के संगठन की तारीफ के बाद से कांग्रेस में सियासत गरमा गई है. कांग्रेस दो धड़ों में बंट हुई नजर आ रही है. शशि थरूर, दिग्विजय के सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं तो सलमान खुर्शीद और पवन खेड़ा जैसे नेता खुलकर विरोध में उतर गए हैं.

दिग्विजय ने संघ की तारीफ कर भले ही अपने ही दल के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है, लेकिन इसके साथ ही कांग्रेस में फिर संगठनात्मक बदलाव की मांग जोर पकड़ने लगी है. दिग्विजय ने कहीं ना कहीं अपने बयान के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस के संगठन के कामकाज पर तंज कसा है.

पहले जान लेते हैं कि दिग्विजय ने क्या कहा

दरअसल, पूरा मामला दिग्विजय सिंह के सोशल मीडिया के एक पोस्ट से जुड़ा है. दिग्विजय ने शनिवार को 1990 के दशक की एक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर शेयर की थी. इस तस्वीर में युवा नरेंद्र मोदी गुजरात में एक कार्यक्रम में वरिष्ठ बीजेपी नेता एलके आडवाणी के पास जमीन पर बैठे दिख रहे हैं. इस फोटो के साथ उन्होंने लिखा, 'जो लोग कभी जमीनी स्तर पर काम करते थे, वे संगठनात्मक पदानुक्रम में ऊपर उठकर मुख्यमंत्री और आखिरकार प्रधानमंत्री बन सकते हैं.'

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दिग्विजय सिंह ने इसे संगठन की शक्ति बताया था. उन्होंने अपने इस पोस्ट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कई दिग्गज नेताओं को टैग किया था. उनके इसी बयान पर पार्टी के अंदर विरोध और समर्थन देखने को मिल रहा है. 

दिग्विजय सिंह को देनी पड़ी अपने बयान पर सफाई

हालांकि, मामला तुल पकड़ा तो विवाद में घिराने के बाद दिग्विजय सिंह ने सफाई देते हुए कहा है कि उनकी बातों को गलत समझा गया. मैं संगठन का समर्थन करता हूं. मैं संघ और मोदी जी के खिलाफ हूं, और रहूंगा. क्या संगठन को मजबूत करना और उसकी तारीफ करना बुरी बात है.

वहीं, कांग्रेस पार्टी की संगठनात्मक क्षमता पर उन्होंने कहा कि मैं इतना कह सकता हूं कि सुधार की गुंजाइश है और हर संगठन में सुधार की गुंजाइश होनी चाहिए. कांग्रेस पार्टी मूल रूप से एक आंदोलन की पार्टी है. मैंने यह कई बार कहा है कि कांग्रेस पार्टी एक आंदोलन की पार्टी है और रहनी चाहिए, लेकिन उस आंदोलन को वोटों में बदलने में कांग्रेस असफल रहती है.

दिग्विजय के बयान पर कांग्रेस दो धड़ों में बंटी

दिग्विजय सिंह के बयान के बाद कांग्रेस में पवन खेड़ा, सलमान खुर्शीद, मणिक्कम टैगोर जैसे नेताओं ने खुल कर विरोध किया है तो शशि थरूर साथ खड़े नजर आए. इससे कांग्रेस के भीतर स्पष्ट दो फाड़ साफतौर पर दिख रही है. एक पक्ष जो आत्मनिरीक्षण की बात कर रहा है और दूसरा जो इसे वैचारिक समझौता मान रहा है.

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कांग्रेस मुख्यालय में रविवार को आयोजित पार्टी के 140वें स्थापना दिवस कार्यक्रम के दौरान शशि थरूर ने अपने पार्टी सहयोगी दिग्विजय सिंह के विचारों का समर्थन किया. थरूर ने कहा कि संगठन को मजबूत किया जाना चाहिए. शशि थरूर ने कहा कि हमारा 140 साल का इतिहास है, और हम इससे बहुत कुछ सीख सकते हैं. उन्होंने कहा कि हम खुद से भी सीख सकते हैं. उन्होंने आगे कहा कि हमारे संगठन में अनुशासन होना चाहिए. दिग्विजय सिंह अपने लिए खुद बोल सकते हैं.

दिग्विजय के विरोध में खड़े खुर्शीद-खेड़ा और टैगोर

पूर्व विदेश मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद और पवन खेला ने दिग्विजय सिंह के रुख से अलग राय रखी है. आरएसएस पर तीखा निशाना साधते हुए पवन खेड़ा ने संघ को 1948 में महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे से जोड़ा. उन्होंने कहा, 'संघ से सीखने को कुछ नहीं है. गोडसे के लिए कुख्यात संगठन गांधी के बनाए संगठन को क्या सिखा सकता है?'

सलमान खुर्शीद ने कहा कि एक डाकू भी ताकतवर होता है तो क्या आप अपने बच्चे से कहेंगे कि तुम भी डाकू बन जाओ? उन्होंने कहा कि हम (कांग्रेस) उस तरह से खुद को मजबूत नहीं करना चाहते जिस तरह से आरएसएस मजबूत है. उन्होंने कहा कि हम आरएसएस का विरोध करते हैं. दिग्विजय सिंह और राहुल गांधी भी संघ का विरोध करते हैं. संघ की जगह हम एक ऐसा समाज और संगठन बनाना चाहते हैं, जिसमें वे कमियां न हों जो हमें लगता है कि RSS में हैं.

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कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने दिग्विजय सिंह के आरएसएस की संगठनात्मक ताकत की तारीफ करने की आलोचना की है. उन्होंने इसे 'एक मशहूर सेल्फ-गोल' बताया. टैगोर ने आरएसएस की तुलना अल-कायदा से की, यह कहते हुए कि दोनों नफरत फैलाते हैं और इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस पार्टी, अपने 140 साल के इतिहास के साथ, एकता और जन आंदोलन के लिए एक मॉडल होनी चाहिए, और इसके लिए उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा पार्टी में किए गए बदलावों का उदाहरण दिया.

कांग्रेस के संगठन में बदलाव की उठी आवाज

दिग्विजय सिंह बयानों ने कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) के भीतर केंद्रीकरण और संगठन की कमजोरी जैसी स्थिति को सार्वजनिक कर दिया है. इसके बाद से कांग्रेस संगठन में बदलाव की मांग तेज होती नजर आ रही है. कांग्रेस जहां संघ को अपनी मुख्य वैचारिक चुनौती मानती है, जिसके चलते कुछ लोग उसके तरह संगठन बनाने के पक्ष में नहीं है, लेकिन संगठन में बदलाव की बात जरूर करते नजर आ रहे हैं. 

वहीं, पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं अगर संघ के 'संगठन मॉडल' के संबंध में एक सुर मिलाते हैं. इससे कार्यकर्ताओं में नेगेटिव मैसेज जाता है. यही वजह है कि दिग्विजय सिंह को अपने बयान पर सफाई देनी पड़ी है. हालांकि, कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव की बहस फिर से एक बार जन्म दे दिया है. निश्चित रूप से कांग्रेस हाई कमान पर सुधार का दबाव बढ़ेगा.

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कांग्रेस संगठन में बदलाव की मांग क्यों उठी?

कांग्रेस का सियासी आधार लगातार सिमटता जा रहा है. 2014 के बाद से कांग्रेस एक के बाद एक राज्य की सत्ता से बेदखल होती जा रही है. कांग्रेस लगातार तीन लोकसभा चुनाव हार चुकी है और मौजूदा समय में सिर्फ तीन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है. उत्तर भारत से पार्टी पूरी तरह से साफ है, उसके पीछे बड़ी वजह कांग्रेस संगठन का जमीनी स्तर पर ना होना.

कांग्रेस के अंदर संगठनात्मक बदलाव की मांग यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने संगठनात्मक बदलाव की मांग की है. आठ दिसंबर में ओडिशा के पूर्व विधायक मोहम्मद मोकिम ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में 'ओपन-हार्ट सर्जरी' की मांग की थी. सोनिया गांधी को लिखे पत्र में मोहम्मद मोकिम ने ओडिशा में लगातार छह और लोकसभा में तीन चुनावों में हार पर अपनी बात रखी थी.

जी-23 ने उठाई थी कांग्रेस में बदलाव की मांग

नवंबर 2025 में बिहार विधानसभा चुनावों से पहले भी इसी तरह की चिंताएं उठाई गई थीं, जहां सीट बंटवारे की बातचीत के दौरान नेतृत्व' और कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी साफ दिखाई दे रही थी. 2020 की शुरुआत में, पार्टी के 23 सीनियर नेताओं के एक ग्रुप, ने सोनिया को एक लेटर लिखकर पार्टी में 'सामूहिक और सबको साथ लेकर चलने वाली लीडरशिप' की मांग की थी.

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कांग्रेस संगठन में बदलाव की मांग करने वाले इस ग्रुप को जी-23 का नाम दिया गया है. जी-23 से कुछ असंतुष्टों को पार्टी से निकाल दिया गया तो कुछ ने खुद ही पार्टी छोड़ दी. कांग्रेस के काम करने के तरीके में कोई बदलाव नहीं आया. ऐसे में फिर से एक बार पार्टी में बदलाव की मांग दिग्विजय ने इशारों-इशारों में उठा दी है.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दिग्विजय सिंह कांग्रेस के सबसे अनुभवी रणनीतिकारों में से एक हैं. इसके अलावा मध्य प्रदेश की राजनीति में उनकी पैठ मजबूत है. वहीं, शशि थरूर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का एक बौद्धिक चेहरा हैं. शशि थरूर कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ चुके हैं और इसके अलावा पार्टी के भीतर लोकतंत्र की पैरवी करते रहे हैं.

कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के दिशा में राहुल गांधी ने पहल भी किया है. गुजरात से लेकर मध्य प्रदेश तक कांग्रेस में जमीनी कार्यकर्ताओं को जिला अध्यक्ष बनाया गया है ताकि जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत किया जा सके.

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