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नई कांग्रेस की नई सोशल इंजीनियरिंग, रायपुर में तीन दिन के मंथन से क्या 2024 में निकलेगा अमृत?

कांग्रेस के तीन दिन के अधिवेशन में कई बड़े निर्णय लिए गए हैं. 2023 में होने वाले विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनाव से पहले रायपुर में हुई कांग्रेस की बैठक में देश भर से लगभग 15,000 से ज्यादा कांग्रेसी पदाधिकारी पहुंचे थे. रायपुर से कांग्रेस ने कई सियासी संदेश देने की कवायद की है. पार्टी ने नई सोशल इंजीनियरिंग बनाने का दांव चला है.

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रायपुर अधिवेशन में सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी
रायपुर अधिवेशन में सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी

दिल्ली से 1200 किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के रायपुर में कांग्रेस ने देश की सत्ता में वापसी का संकल्प लिया. तीन दिनों तक चले 85वें अधिवेशन में कांग्रेस ने विचार-विमर्श कर मिशन-2024 के लिए यूपीए मॉडल पर समान विचाराधारा वाले दलों के साथ गठबंधन का फॉर्मूला तैयार किया. मल्लिकार्जुन खड़गे ने रायपुर में एक नई कांग्रेस की घोषणा कर गांधी परिवार मुक्त पार्टी होने के नैरेटिव को सेट करने की कवायद की और नई सोशल इंजीनियरिंग के लिए कांग्रेस संविधान में भी बदलाव कर ओबीसी, दलित, अल्पसंख्यकों को संदेश दिया. 'सेवा, संघर्ष, बलिदान सबसे पहले हिंदुस्तान' का नया नारा देकर राष्ट्रवाद को धार देने की रणनीति बनाई. 

कांग्रेस ने 2024 का एजेंडा सेट किया
2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपना एजेंडा तय कर लिया है. कांग्रेस ने अधिवेशन के संकल्पपत्र में कहा कि वह न सिर्फ देश के सामने मौजूद तीन प्रमुख चुनौतियों- बढ़ती आर्थिक असमानता, बढ़ता सामाजिक ध्रुवीकरण और गंभीर होती जा रही राजनीतिक तानाशाही का मजबूती से सामना करेगी. इसे कांग्रेस की ओर से रायपुर हुंकार का नाम दिया गया है. कांग्रेस सामान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों के साथ मिलकर एक साझा और रचनात्मक कार्यक्रम के जरिए संविधान को बचाने के लिए काम करेगी.

कांग्रेस ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि कभी भी बीजेपी या आरएसएस की नफरत भरी राजनीति से समझौता नहीं किया जाएगा. पार्टी बीजेपी की तानाशाही, सांप्रदायिक राजनीति और उसके पक्षपातपूर्ण पूंजीवादी आक्रमण के खिलाफ अपने राजनीतिक मूल्यों की रक्षा के लिए लगातार लड़ती रहेगी. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि 2023 और 2024 में हमारा एजेंडा साफ है. हम देश के मुद्दों पर संघर्ष भी करेंगे, कुर्बानी भी देंगे. संबल और संपन्न राज की स्थापना करने के लिए पूरी कोशिश करेंगे. किसान महिलाओं और युवाओं के मुद्दों पर सदन से सड़क तक संघर्ष करेंगे. 

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कांग्रेस की नई सोशल इंजीनियरिंग 
कांग्रेस ने अपनी सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत करने के लिए पार्टी संविधान में भी बड़ा बदलाव किया है. पार्टी की सबसे पावरफुल कमिटी सीडब्ल्यूसी में महिलाओं, युवाओं., दलित-पिछड़े-आदिवासियों की भागीदारी बढ़ाने के लिए कदम उठाए गए हैं. करीब 35 साल के बाद कांग्रेस कार्य समिति यानी सीडब्ल्यूसी के स्थायी सदस्यों की संख्या 23 से बढ़ाकर 35 की गई, जिसमें से आधे आरक्षित होंगे. एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, युवा, महिला को जगह दी जाएगी जबकि बाकी 17 को पहले की तरह अब भी नामित किया जाएगा. पार्टी में 50 फीसदी पद रिजर्व होंगे. 

मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने अध्यक्षीय भाषण के दौरान कहा कि यूपीए-2 सरकार में 2011-13 के बीच जाति जनगणना करवाई गई थी, लेकिन हमारी सरकार बदल जाने से प्रकाशित नहीं हो पाई. नई जाति जनगणना जरूरी है. इन फैसलों से जाहिर होता है कि कांग्रेस की कोशिश है कि पार्टी में समावेशी नीति के साथ-साथ दलित और ओबीसी वोटों को जोड़ने के लिए बड़ा सियासी दांव चला है, क्योंकि देश की सियासत में 85 फीसदी से भी ज्यादा भागेदारी इन्हीं समुदाय की है. 

यूपीए मॉडल पर विपक्षी एकता का फॉर्मूला
2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस यूपीए मॉडल पर आगे बढ़ना चाहती है. कांग्रेस ने साफ तौर पर कहा कि 2004 से 2014 के बीच यूपीए गठबंधन में समान विचारधारा वाले कई दल हमारे सहयोगी थे. दस साल तक हमारी सरकार कॉमन मिनिमम प्रोग्राम को सामने रख चलती थी. आज फिर से उसी गठबंधन को और मजबूती देने की जरूरत है. वे तमाम दल जो भाजपा-आरएसएस के खिलाफ हैं, हम उन्हें भी अपने साथ लेने को तैयार हैं. कांग्रेस ने 2024 के आम चुनावों के मद्देनजर बीजेपी के प्रति विरोधी ताकतों को एकजुट होने की अपील की है. कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वो गैर-बीजेपी दलों के साथ हाथ मिलाने के लिए तैयार है, लेकिन विचाराधारा एक बड़ी शर्त होगी. 

गांधी मुक्त पार्टी के नैरेटिव सेट करने का दांव
रायपुर अधिवेशन के दौरान कांग्रेस ने गांधी परिवार मुक्त पार्टी होने के नैरेटिव को सेट करने की कोशिश की है. दरअसल, अधिवेशन की शुरुआत में जहां पर स्टीयरिंग कमेटी ने निर्णय लिया कि वर्किंग कमेटी के लिए चुनाव नहीं होंगे बल्कि पार्टी प्रेसिडेंट खड़गे मनोनीत करेंगे, उस बैठक से गांधी परिवार का नदारद रहना पार्टी की छवि को स्वतंत्र बनाने की ओर कदम बढ़ता हुआ जान पड़ता है. सोनिया गांधी के फैसले हों या फिर राहुल और प्रियंका गांधी के बयान. पिछले कुछ महीनों में गांधी परिवार ने पुरजोर तरीके से यह संदेश देने की कोशिश की कि कांग्रेस पर गांधी परिवार का प्रभाव नहीं है. पार्टी के बड़े फैसले गांधी परिवार इफेक्ट से फ्री होकर किए जाते हैं. 

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नई कांग्रेस के नए नारा का सियासी मकसद
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस का नया नारा देते हुए कहा कि 'सेवा, संघर्ष, बलिदान सबसे पहले हिंदुस्तान' ही अब पार्टी का नारा होगा. उन्होंने कहा कि देशभक्ति, त्याग और बलिदान, कांग्रेस का मतलब है- सेवा और समर्पण, कांग्रेस का मतलब है- निष्ठा और प्रेरणा, कांग्रेस का मतलब है- समृद्धि और खुशहाली और कांग्रेस का मतलब है- करुणा और न्याय, कांग्रेस का मतलब है- निर्भयता और अनुशासन, कांग्रेस का मतलब है- भारतीयता. हर एक कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता इसी भावना का प्रतीक है, उसे आगे बढ़कर और भी देश के लिए काम करना है. खड़गे ने कहा कि कांग्रेस के रायपुर महाधिवेशन का भले ही औपचारिक रूप से समापन हो रहा है, लेकिन इसके साथ ही एक नई कांग्रेस का आगाज होने जा रहा है. युवाओं की सख्त जरूरत है और युवा पीढ़ी को आगे आकर मोर्चा संभालना चाहिए.

 

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